मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ी शिवसेना ने अब इस बात की पड़ताल शुरू कर दी है कि क्या वह भाजपा के बिना रांकापा-कांग्रेस की मदद से करकार बना सकती है और संकेत दिए हैं कि हम बहुमत सिद्ध कर सकते हैं।
उधर, भाजपा भी 2014 की तरह अकेले ही 5 अथवा 6 नवंबर को शपथ ग्रहण की तैयारी कर चुकी है। साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली दोनों पार्टियों के बीच सत्ता के बंटवारे को लेकर 'डेडलॉक' कायम है।
शिवसेना सांसद संजय राउत के इस कथन ने तनाव और बढ़ा दिया कि राज्य की जनता शिवसेना का मुख्यमंत्री देखना चाहती है। मुख्यमंत्री शिवसेना की होगा। भाजपा का मानना है कि 5 या 6 नवंबर को देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी जाए। भाजपा ने शिवसेना के समक्ष उपमुख्यमंत्री पद और 16 मंत्री पद देने का प्रस्ताव तीन दिन पहले ही रखा था। लेकिन, संजय राउत ने साफ कहा है कि अगर 50-50 का फॉर्मूला भाजपा नहीं मानेगी तो हमारे पास विकल्प है।
शिवसेना ढाई साल सीएम पद की मांग पर अड़ी
फॉर्मूला माने जाने पर ही भाजपा के साथ सरकार गठन होगा। इस बात से साफ हो गया कि शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद और आधे मंत्री पदों के फॉर्मूले पर अड़ी है। पार्टी को उम्मीद है कि कांग्रेस और रांकापा की मदद से वह सरकार बना लेगी, पर दोनों पार्टियों ने अब तक वादा नहीं किया है।
उधर भाजपा विधायक प्रसाद लाड ने कहा, 'राउत की प्रतिक्रिया अधिकृत नहीं है।' यह भी तय हो गया है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शनिवार को उद्धव ठाकरे से चर्चा करने नहीं आ रहे हैं और इस तरह की खबरें अफवाह ही थीं।
जितनी देरी होगी, उतनी समस्याएं बढ़ेंगी
2014 में 31 अक्टूबर को पहले भाजपे के मंत्रियों ने शपथ ले ली थी। उसके कुछ दिन बाद शिवसेना सरकार में शामिल हुई थी। भाजपा के भीतर यह मजबूत राय है कि शपथग्रहण की तिथि जितनी, उतनी अधिक कठिनाई बढ़ेगी। लिहाजा तुरंत शपथ ग्रहण समारोह करवाया जाए। लेकिन, भाजपा नेताओं ने इस बात से इनकार किया है कि 5 नवंबर को शपथग्रण के लिए वानखेड़े स्टेडिम बुक किया गया है।