महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे परमबीर सिंह, कहा-तत्काल, निष्पक्ष और भेदभाव मुक्त जांच हो
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 25, 2021 06:06 PM2021-03-25T18:06:34+5:302021-03-25T20:51:43+5:30
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा था कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा अपनी याचिका में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ उठाए गए मुद्दे ‘‘अत्यंत गंभीर’’ हैं।
मुंबईः मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ “तत्काल व निष्पक्ष” जांच की मांग की। परमबीर ने दावा किया था कि देशमुख ने पुलिस अधिकारी सचिन वाझे से बार और रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये वसूलने को कहा था।
आईपीएस अधिकारी ने इसी हफ्ते पूर्व में उच्चतम न्यायालय का रुख किया था जिसने बुधवार को मामले को गंभीर करार दिया था। न्यायालय में अधिकारी ने देशमुख के खिलाफ दी याचिका दी थी, हालांकि अदालत ने उनसे बंबई उच्च न्यायालय में जाने को कहा था।
सिंह ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में कहा कि इस साल फरवरी में देशमुख ने अपने आवास पर वाजे समेत मुंबई पुलिस के कई अधिकारियों के साथ मुलाकात की। याचिका के मुताबिक, इन बैठकों में देशमुख ने अधिकारियों को विभिन्न प्रतिष्ठानों से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया।
याचिका में कहा गया है कि देशमुख नियमित रूप से पुलिस के कामकाज में दखल देते थे और अपने पद का दुरुपयोग करते थे। याचिका के मुताबिक देशमुख के आचरण को देखते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराए जाने की जरूरत है। सिंह ने अदालत से अनुरोध किया कि वह सीबीआई को निर्देश दे कि वह मंत्री के “विभिन्न भ्रष्ट कदाचारों” की तत्काल, निष्पक्ष, बिना किसी प्रभाव के भेदभाव मुक्त जांच करे।
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1988 बैच के अधिकारी सिंह ने खुद को मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटाए जाने के आदेश को रद्द करने का भी न्यायालय से अनुरोध किया था। उनका आरोप है कि यह आदेश ‘‘मनमाना’ और ‘‘गैर कानूनी’’ है। सिंह ने आरोप लगाया है कि देशमुख ने पुलिस के लिए और इस संबंध में उन्होंने सचिन वाझे सहित पुलिस अधिकारियों से अपने आवास पर बैठकें की थीं।