महाराष्ट्र स्वास्थ्य सर्वेक्षण: कोविड-19 पर मुख्य फोकस, कर्मियों की कमी से मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित

By भाषा | Updated: August 29, 2021 20:48 IST2021-08-29T20:48:59+5:302021-08-29T20:48:59+5:30

Maharashtra Health Survey: Main focus on Kovid-19, patients most affected by shortage of personnel | महाराष्ट्र स्वास्थ्य सर्वेक्षण: कोविड-19 पर मुख्य फोकस, कर्मियों की कमी से मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित

महाराष्ट्र स्वास्थ्य सर्वेक्षण: कोविड-19 पर मुख्य फोकस, कर्मियों की कमी से मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित

महाराष्ट्र में हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि कोविड-19 महामारी पर ध्यान केंद्रित करने की वजह से अस्पतालों में कई प्रकार की सर्जरी को स्थगित कर दिया गया और अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी के कारण मरीजों पर असर पड़ा। जन आरोग्य अभियान की ओर से शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि राज्य में खासकर ग्रामीण हिस्सों में सिजेरियन सेक्शन प्रक्रियाओं, ट्रॉमा केयर आदि सेवाएं काफी प्रभावित हुईं। जन आरोग्य अभियान ने यह सर्वेक्षण किया। वह एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान है, जिसमें कार्यकर्ता, विशेषज्ञ और गैर-सरकारी संगठन शामिल हैं। विज्ञप्ति में कहा गया कि सर्वेक्षण इस साल जुलाई में किया गया था और इसमें महाराष्ट्र के 17 जिलों- अकोला, अमरावती, अहमदनगर, उस्मानाबाद, औरंगाबाद, कोल्हापुर, गढ़चिरौली, चंद्रपुर, ठाणे, नंदुरबार, परभणी, पालघर, पुणे, बीड, यवतमाल, सोलापुर और हिंगोली के 122 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी), 24 ग्रामीण अस्पतालों और 14 उप-जिला अस्पतालों को कवर किया गया था। जिनका सर्वेक्षण किया गया, उनमें से कम से कम 11 अस्पतालों ने महामारी के कारण दुर्घटना के मामलों का इलाज नहीं किया, 22 ग्रामीण और उप-जिला अस्पतालों ने सी-सेक्शन प्रक्रियाएं करना बंद कर दिया और 12 ने कई सारी सर्जरी को बंद कर दिया था, जिससे कई लोगों को निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसकी वजह से मरीजों को इलाज के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़े। मोतियाबिंद ऑपरेशन, मामूली सर्जरी और नसबंदी प्रक्रियाओं को भी स्थगित कर दिया गया था। स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों की कमी को उजागर करते हुए, सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया कि सर्वेक्षण किए गए पीएचसी में से केवल 51 प्रतिशत में एक स्थायी चिकित्सा अधिकारी है, जिसका मतलब लगभग 30,000 लोगों के लिए केवल एक डॉक्टर है, और केवल 53 प्रतिशत के पास स्थायी नर्स हैं। रिपोर्ट में कहा गया, "लगभग 46 प्रतिशत ग्रामीण अस्पतालों और 30 प्रतिशत उप-जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। ग्रामीण अस्पतालों में मनोचिकित्सकों के 81 प्रतिशत पद, सर्जन के 63 प्रतिशत पद, एनेस्थेटिस्ट के 47 प्रतिशत पद, स्त्री रोग विशेषज्ञ के 26 प्रतिशत पद, बाल रोग विशेषज्ञों के 23 फीसदी और दंत चिकित्सकों के 47 फीसदी पद खाली पड़े हैं। हैं। जेएए कार्यकर्ता गिरीश भावे ने कहा कि खराब ग्रामीण स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा चिंता का विषय है क्योंकि वहां के लोग सरकारी सुविधाओं पर अत्यधिक निर्भर हैं, जबकि कार्यकर्ता शैलजा अरलकर ने कहा कि महामारी ने दिखाया कि सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों का मुख्य आधार हैं, खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में, और इन्हें मजबूत किया जाना चाहिए।

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Web Title: Maharashtra Health Survey: Main focus on Kovid-19, patients most affected by shortage of personnel

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