महाराष्ट्र-हरियाणा विधानसभा चुनाव: उम्मीदवारों की चुनावी उड़ान को श्राद्ध का सियासी झटका! चंदा जुटाना बड़ी चुनौती

By प्रदीप द्विवेदी | Published: September 22, 2019 08:44 AM2019-09-22T08:44:05+5:302019-09-22T08:44:05+5:30

पितृपक्ष लगने के साथ इन दिनों श्राद्ध चल रहे हैं, लिहाजा चुनाव को लेकर कोई भी नया कदम उठाना, नया निर्णय करना, नई शुरूआत करना, किसी भी दल और उम्मीदवार के लिए आसान नहीं है.

Maharashtra-Haryana assembly elections 2019: Shraddh's political shock to candidates | महाराष्ट्र-हरियाणा विधानसभा चुनाव: उम्मीदवारों की चुनावी उड़ान को श्राद्ध का सियासी झटका! चंदा जुटाना बड़ी चुनौती

महाराष्ट्र-हरियाणा विधानसभा चुनाव: उम्मीदवारों की चुनावी उड़ान को श्राद्ध का सियासी झटका! चंदा जुटाना बड़ी चुनौती

Highlights पहले नवरात्रि और फिर दीपावली, ऐसे मौकों पर चुनाव प्रचार करना बहुत मुश्किल होता है. श्राद्ध के एक सप्ताह से ज्यादा बचे समय का कोई खास राजनीतिक उपयोग नहीं हो पाएगा

चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों में 64 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव का भी ऐलान किया गया है, लेकिन उम्मीदवारों की चुनावी उड़ान को श्राद्ध का तगड़ा सियासी झटका भी लगा है.

पितृपक्ष लगने के साथ इन दिनों श्राद्ध चल रहे हैं, लिहाजा चुनाव को लेकर कोई भी नया कदम उठाना, नया निर्णय करना, नई शुरूआत करना, किसी भी दल और उम्मीदवार के लिए आसान नहीं है. चुनाव की घोषणा के साथ ही जहां विभिन्न दलों को अपने उम्मीदवारों का चयन करना होता है, उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करनी होती है, चुनाव प्रचार प्रारंभ करना होता है, अपने नाम के ऐलान का इंतजार होता है और चुनाव प्रचार भी प्रारंभ करना होता है, किंतु यह धारणा है कि श्राद्ध में नया कार्य प्रारंभ नहीं किया जाता है, इसलिए चुनाव की तारीखों की घोषणा के बावजूद, श्राद्ध के एक सप्ताह से ज्यादा बचे समय का कोई खास राजनीतिक उपयोग नहीं हो पाएगा, सियासी गतिविधियां ठप रहेंगी.

चंदा जुटाना बड़ी चुनौती
पितृपक्ष के बाद त्यौहारों की धूम रहेगी. पहले नवरात्रि और फिर दीपावली, ऐसे मौकों पर चुनाव प्रचार करना बहुत मुश्किल होता है. सबसे बड़ी परेशानी यह भी है कि इस दौरान चुनावी चंदा जुटाना भी बड़ी चुनौती रहेगी. याद रहे, दीपावली के अवसर पर जहां विभिन्न प्रतिष्ठान अपने साल भर के व्यवसाय का सबसे बड़ा आधार तैयार करते हैं, वहीं लोग कार, घर आदि खरीद कर अपने सपने साकार करते हैं. ऐसे में न तो उनके पास चुनाव प्रचार में सहयोग देने का वक्त होता है और न ही चंदा देने की श्रद्धा. 

Web Title: Maharashtra-Haryana assembly elections 2019: Shraddh's political shock to candidates

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