मुंबई: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ सभी आरोप हटा दिए हैं। राज्य सरकार ने दिसंबर 2021 में परमबीर सिंह के खिलाफ जारी निलंबन आदेशों को रद्द करते हुए निलंबन की अवधि को ड्यूटी पर माने जाने का आदेश दिया। महाराष्ट्र में पिछली महा विकास अघाड़ी सरकार ने सिंह को अनुशासनहीनता और अन्य अनियमितताओं के लिए निलंबित कर दिया था।
एमवीए सरकार ने उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की थी। परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस प्रमुख के पद से बर्खास्त कर दिया गया था और 2021 में दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास विस्फोटकों के साथ एक एसयूवी मिलने के बाद होम गार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था और इस मामले में पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को गिरफ्तार किया गया था।
परमबीर सिंह ने बाद में राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाया कि उन्होंने सचिन वाजे को हर महीने मुंबई के होटलों और बार से 100 करोड़ रुपये वसूलने के लिए कहा। देशमुख ने इन आरोपों का खंडन किया और दावा किया कि ये उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर के बाहर सुरक्षा चूक के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई से बचने के लिए परमबीर सिंह के प्रयास थे।
परमबीर सिंह पर जबरन वसूली और भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगे थे। परमबीर सिंह और छह पुलिस अधिकारियों समेत 28 अन्य के खिलाफ जुलाई 2021 में रंगदारी का मामला दर्ज किया गया था। इन पर एक बिल्डर से पैसे ऐंठने का आरोप है। शिकायतकर्ता केतन तन्ना ने आरोप लगाया था कि जनवरी 2018 से फरवरी 2019 तक ठाणे पुलिस आयुक्त के रूप में परमबीर सिंह ने उनसे 1.25 करोड़ रुपये वसूले थे।
तन्ना ने आरोप लगाया कि परमबीर सिंह ने उन्हें गंभीर आपराधिक मामलों में फंसाने की धमकी दी थी।
वहीं, परमबीर सिंह को लेकर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने शुक्रवार को कहा, "कैट (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल) ने एक फैसला सुनाया जिसके तहत परमबीर सिंह की विभागीय जांच को गलत करार दिया और उसे बंद करने का आदेश दिया। इसने उनके निलंबन को गलत बताया और निलंबन आदेश वापस लेने का अनुरोध किया। उसी के तहत यह फैसला लिया गया है।"