मुंबई: महाराष्ट्र में सियासत का पहिया तेजी से घूम रहा है। विपक्षी दल कांग्रेस महाराष्ट्र की मौजूदा शिंदे सरकार पर दबाव बना रही है कि वो गद्दी खाली करें और सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। अंग्रेजी समाचार पत्र के अनुसार कांग्रेस नेता बाला साहब थोराट ने ऐलान किया है कि कांग्रेस एनसीपी में अजित पवार गुट के अलग होने के कारण विधानसभा में मुख्य विपक्ष के पद पर दावा करेगी। इसके साथ ही थोराट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
जिसके जवाब में मुख्यमंत्री एकानाथ शिंदे ने उनकी मांग को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि ऐसे समय में जब हमारे पास 210 विधायकों का पूर्ण बहुमत है, ऐसी मांग करना हास्यास्पद है। इतने बड़े नेता द्वारा ऐसा बयान देना हास्यास्पद है।
सीएम शिंदे ने यह बात नवी मुंबई में कही, जहां उनके समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने उनका बेहद भव्य स्वागत किया। सीएम शिंदे ने कांग्रेस नेता थोराट के बयान को चर्चा में बने रहने का माध्यम बताया।
महाराष्ट्र की राजनीति में बयानों का यह भूचाल एनसीपी नेता अजित पवार के सत्ता खेमे में शामिल होने के बाद आ रहा है। कांग्रेस नेता थोराट का दावा है कि कांग्रेस को विधानसभा में मुख्य विपक्ष दल का पद मिलना चाहिए क्योंकि पूर्व विपक्षी दल के प्रधान अब सरकार में चले गये हैं और कांग्रेस के पास सर्वाधिक 45 विधायक हैं। इसलिए नियमावली के तहत कांग्रेस पार्टी से विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहिए।
दरअसल इस सियासत के पीछे सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुक्रवार को विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को जारी की गई नोटिस भी एक मुख्य कारण है। शिवेसना (यूबीटी) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर राहुल नार्वेकर से सीएम शिंदे समेत तत्कालीन शिवसेना से बगावत करने और पार्टी व्हीप का उल्लंघन करने वाले विधायकों के खिलाफ लंबित मामले में जल्द फैसला न लेने के विषय में नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में जवाब मांगा है।
शिवसेना यूबीटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके अपील की थी कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते 11 मई को दिये स्पष्ट फैसले में शिवसेना में उपजे बगावत में हिस्सा लेने वाले विधायकों की विधानसभा सदस्यता पर स्पीकर राहुल नार्वेकर को फैसला लेना था लेकिन विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर अयोग्यता की लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय नहीं ले रहे हैं।