200 किमी की दूरी बचानेवाले महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में बाधा, वन कानून का बन रहा शिकार

By फहीम ख़ान | Published: July 9, 2021 08:59 AM2021-07-09T08:59:13+5:302021-07-09T08:59:13+5:30

महाराष्ट्र को छत्तीसगढ़ से जोड़ने वाले इस राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत हो रहा है। यहां लगभग पूरी सड़क ही घने जंगल से होकर गुजरेगी। ऐसे में वन कानून यहां लागू होता है।

Maharashtra-Chhattisgarh National Highway construction becoming a victim of forest law | 200 किमी की दूरी बचानेवाले महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में बाधा, वन कानून का बन रहा शिकार

महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय महामार्ग के निर्माण में आ रही है बाधा

Highlightsपरियोजना पूरी होने पर महाराष्ट्र के भामरागढ़ से छग के नारायणपुर की दूरी होगी मात्र 60 किमीबड़ी मुश्किल से साढ़े पांच मीटर का बन पा रहा है हाईवेवन कानून के नाम पर लाई जा रही हैं रुकावटें, भारत माला परियोजना का हिस्सा होकर भी धीमी रफ्तार

मुंबई: देश में भारतमाला परियोजना के अंतर्गत नए राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण युद्धस्तर पर हो रहा है. लेकिन इसी परियोजना का हिस्सा होकर भी महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में केंद्रीय वन कानून के नाम पर रुकावटें लाई जा रही हैं. 

उल्लेखनीय है कि यह राष्ट्रीय राजमार्ग यदि बन जाता है तो महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित भामरागढ़ से नारायणपुर की दूरी 200 किमी घट जाएगी. आज 265 किमी का सफर करना पड़ता है जबकि दोनों राज्यों के आदिवासी आज भी दो दिन लगातार पैदल चलकर भामरागढ़ से नारायणपुर पहुंचते हैं.

महाराष्ट्र के गढ़चिरोली जिला मुख्यालय से भामरागढ़ की दूरी 177 किमी है. जबकि चंद्रपुर की दूरी 182 किमी है. अगर ये राष्ट्रीय राजमार्ग बन जाएगा तो भामरागढ़ से छत्तीसगढ़ के नारायणपुर की दूरी महज 60 किमी की हो जाएगी. इसका सीधा असर क्षेत्र के विकास पर होगा. उल्लेखनीय है कि यह राजमार्ग हो जाने से भामरागढ़, हेमलकसा की प्राकृतिक सुंदरता, ग्लोरी ऑफ आलापल्ली देखने आनेवाले पर्यटकों की भी संख्या तेजी से बढ़ सकती है.

‘विदर्भ के कश्मीर’ तक पहुंच आसान हो जाएगी

भामरागढ़ तहसील का बिनागुंडा गांव ऊंची पहाड़ियों पर और घने जंगल में बसा होने से यहां तापमान अन्य इलाकों की तुलना में हमेशा कम रहता है. यहां की सुंदरता और ठंड की वजह से ही इसे विदर्भ का कश्मीर कहा जाता रहा है. लेकिन यहां पहुंचने के लिए सड़क के अभाव में बहुत परेशानी उठानी पड़ती है. 

अब यह राजमार्ग बन जाने से यहां पहुंचना आसान हो जाएगा. इसी के साथ यह राजमार्ग छग में अबुझमाड़ क्षेत्र से होकर गुजरनेवाला है. इस लिहाज से अभी यह परियोजना बेहद अहम हो गई है.

बनाना है फोर लेन, नहीं दे रहे अनुमति

इस परियोजना के साथ दिक्कत ये है कि लगभग पूरी सड़क ही घने जंगल से होकर गुजरेगी. इस वजह से केंद्रीय वन कानून यहां लागू होता है. वन विभाग सड़क निर्माण के प्रस्ताव पर अनुमति देने में आनाकानी कर रहा है. 

अभी आलापल्ली से भामरागढ़ के बीच जो सड़क वन विभाग की अनुमति के बाद बनी है, वह भी सिर्फ 5.5 मीटर ही है. उसमें भी ताड़गांव से हेमलकसा के बीच वन विभाग ने सड़क को बढ़ाने की अनुमति नहीं देने से 3.5 मीटर की सड़क का निर्माण संबंधित विभाग कर पाया. 

ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या वन कानून के नाम पर इस राष्ट्रीय राजमार्ग को अधूरा छोड़ दिया जाएगा? जबकि तय प्रोजेक्ट के अनुसार इसे फोर लेन बनाया जाना है. लेकिन वन विभाग की अनुमति नहीं मिलेगी तो फिर ये संभव कैसे हो सकेगा.

33 किमी की सड़क बाकी

इस राजमार्ग के निर्माण में अभी और 33 किमी सड़क का निर्माण किया जाना बाकी है. उल्लेखनीय है कि यह रास्ता भी घने जंगल और पहाड़ियों के बीच से होकर गुजरेगा. 

अभी इस 33 किमी में 25 किमी की सड़क महाराष्ट्र के इलाके में बनाई जानी है और उधर छग में 8 किमी की सड़क बनाई जानी है. यह सड़क बनते ही दोनों राज्यों के बीच सड़क मार्ग से पहली बार आवागमन आरंभ हो जाएगा.

'सर्वे हो चुका है, जल्द होगा निर्माण'

गढ़चिरोली के नेशनल हाईवे के कार्यकारी अभियंता विवेक मिश्रा के अनुसार इस राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण को लेकर भामरागढ़ तहसील में बनाई जानेवाली सड़क का जरूरी सर्वे किया जा चुका है. उन्होंने कहा, 'वन विभाग की जरूरी अनुमतियों के लिए हमारी ओर से पत्राचार भी किया जा रहा है. हमें विश्वास है कि दो राज्यों को जोड़ने वाले इस राजमार्ग का जल्द निर्माण पूरा हो जाएगा.'

Web Title: Maharashtra-Chhattisgarh National Highway construction becoming a victim of forest law

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