महाराष्ट्र चुनाव: मुंबई में फिर चला भाजपा-शिवसेना का सिक्का, 30 सीटों पर जमाया कब्जा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: October 25, 2019 08:53 AM2019-10-25T08:53:12+5:302019-10-25T08:53:12+5:30
BJP and Shiv Sena in Mumbai: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मुंबई में शानदार प्रदर्शन करते हुए बीजेपी-शिवसेना ने 36 विधानसभा सीटों में से 30 सीटें जीती
मुंबई। गुटबाजी से त्रस्त कांग्रेस को इस बार मुंबई से कुछ ज्यादा मिलने की उम्मीद नहीं थी। हुआ भी वैसा ही। इक्का-दुक्का चौंकाने वाला परिणाम छोड़कर कुछ अलग नहीं हुआ। भाजपा (16) और शिवसेना (14) का सिक्का फिर चला और दोनों ने यहां कुल 36 में से 30 सीटें जीत लीं। कांग्रेस को 4 और राकांपा को एक सीट पर कामयाबी मिली है, जबकि समाजवादी पार्टी मानखुर्द की सीट बचाने में सफल हुई है।
शिवसेना के लिए एक अच्छी खबर यह है कि ठाकरे परिवार का पहला सदस्य विधानसभा में पहुंच गया है। वर्ली से आदित्य ठाकरे ने आसानी से जीत हासिल कर ली। आदित्य का मंत्री बनना निश्चित माना जा रहा है। मगर शिवसेना के लिए बुरी खबर यह है कि मुंबई मनपा में उनके महापौर विश्वनाथ महाडेश्वर चुनाव हार गए।
उन्हें बांद्रा पूर्व में कांग्रेस के जीशान सिद्दीकी (बाबा सिद्दीकी के पुत्र) ने हरा दिया। हालांकि उनकी हार के लिए उन्हीं की पार्टी की तृप्ति सावंत जिम्मेदार हैं। शिवसेना नेतृत्व ने उन्हें काफी कमजोर मान लिया था।
वर्सोवा में भाजपा ने बगावत के बावजूद किसी तरह अपनी सीट कायम रखने में सफलता पाई है। शिवसंग्राम की उम्मीदवार भारती लवेकर ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। बागी राजूल पटेल ने उन्हें कड़ी टक्कर दी। आखिरकार लवेकर जीतने में सफल हुईं।
जिन सीटों पर भाजपा और शिवसेना ने उम्मीदवार बदले, उसका उतना विपरीत परिणाम दिखाई नहीं दिया। बोरिवली से भाजपा ने विनोद तावड़े के बजाय सुनील राणे को टिकट दिया। तावड़े की नाराजगी के बावजूद वे भाजपा के प्रचार में अव्वल रहे। इसके चलते राणे हजारों वोटों से जीत सके।
कांग्रेस को पारंपरिक सीटें मिलीं:
कांग्रेस को उसकी पारंपरिक सीटें मिली हैं। धारावी से वर्षा गायकवाड़, मालाड़ से असलम शेख और मुंबा देवी से अमीन पटेल फिर विधानसभा में पहुंच गए हैं। राकांपा ने खाता खोलते हुए अणुशक्ति नगर से जीत हासिल की है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक 12 हजार से ज्यादा वोटों से जीते। मानखुर्द से समाजवादी पार्टी के अबू आजमी फिर चुनाव जीत गए हैं।
एमएनएस के लिए फिर बुरे साबित हुए चुनाव:
एमएनएस के लिए यह चुनाव एक बार फिर बुरे साबित हुए हैं। मुंबई में उसे एक भी सीट नहीं मिली। हालांकि मनसे को बिना मेहनत के वोट अच्छे मिले हैं। यदि राकांपा और कांग्रेस के साथ उसका तालमेल हो जाता तो न सिर्फ मनसे का फायदा होता, बल्कि कांग्रेस-राकांपा की सीटें भी बढ़तीं। राज ठाकरे को फिर एक बार अपनी पार्टी और चुनावी रणनीति को लेकर ठंडे दिमाग से सोचना होगा। संगठन को मजबूत बनाने के लिए उन्हें गंभीरता से सोचना होगा।