महाराष्ट्र विधानसभा चुनावः कांग्रेस का मजबूत किला लातूर, भाजपा लोकसभा कारनामा दोहराएगी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 10, 2019 03:54 PM2019-09-10T15:54:01+5:302019-09-10T16:10:17+5:30
Maharashtra Assembly Elections Update: कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले लातूर जिले में भाजपा ने लोकसभा, तीन विधानसभा सीटें, जिला परिषद, मनपा समेत स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में कब्जा जमाने से अब भाजपा का गढ़ माना जा रहा है।
बाबूराजा ठेंगाड़े।
लातूर जिले को कांग्रेस का मजबूत किला माना जाता था, लेकिन अब भाजपा का गढ़ माना जाने लगा है। मोदी लहर के बावजूद यहां तीन सीटें कांग्रेस व तीन सीटें भाजपा ने जीती थीं।
लोकसभा चुनाव में भारी जीत से भाजपा का मनोबल ऊंचा है। टिकट के लिए प्रत्येक चुनाव क्षेत्र में इच्छुकों की भीड़ है, जबकि कांग्रेस फिर से कब्जा जमाने की कोशिश में लगी है। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले लातूर जिले में भाजपा ने लोकसभा, तीन विधानसभा सीटें, जिला परिषद, मनपा समेत स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में कब्जा जमाने से अब भाजपा का गढ़ माना जा रहा है।
फिलहाल उम्मीदवार निश्चित नहीं हैं। इससे भाजपा में दिखने वाली शक्ति प्रत्यक्ष चुनाव मैदान में बिखरती है या बनी रहती है, यह देखना होगा। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली सीटें फिर से जीतने के लिए कड़ी मेहनत करनी होंगी। जिले के लातूर शहर व निलंगा चुनाव क्षेत्र की ओर सभी का लक्ष्य होगा।
निलंगा से वर्तमान पालकमंत्री संभाजी पाटील निलंगेकर भाजपा की ओर से मैदान में होंगे, यह एक मात्र क्षेत्र है, जहां भाजपा का उम्मीदवार निश्चित है। दादा-पोते व चाचा-भतीजे के बीच हुए मुकाबले से निलंगा क्षेत्र की ओर राज्य का ध्यान रहा है।
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल चाकूरकर, पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय विलासराव देशमुख, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर का अनेक वर्षो तक प्रभाव रहे जिले में कांग्रेस का वर्चस्व रहा। 2014 के मोदी लहर में कांग्रेस के हाथ से भाजपा ने लोकसभा की सीट ढाई लाख मतों से जीत ली।
इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में 6 में से लातूर शहर, लातूर ग्रामीण व औसा इन तीन विधानसभा सीट पर जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा और विधानसभा चुनाव का गणित अलग-अलग है। इसे ध्यान में रखकर कांग्रेस नेता कार्यकर्ताओं में चेतना जगाने का काम कर रहे हैं।
लातूर शहर क्षेत्र में पूर्व राज्यमंत्री विधायक अमित देशमुख ने मोदी लहर के बाद भी विधानसभा चुनाव में जीत प्राप्त की।
हर सीट के लिए हो रही जोरदार तैयारी
जिले में गत पांच वर्षो में भाजपा ने मनपा की सत्ता हथिया ली़ इससे शहर में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। अहमदपुर चुनाव क्षेत्र में एक बार चुनाव जीता उम्मीदवार फिर से जीत कर नहीं आने की परंपरा है।
निर्दलीय चुनाव जीते विधायक विनायकराव पाटिल अब भाजपा में हैं, वहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक बाबासाहब पाटिल कड़े मुकाबले की तैयारी में हैं। उदगीर में दो बार जीत प्राप्त कर चुके विधायक सुधाकर भालेराव को टिकट के लिए संघर्ष करना पड़ेगा, ऐसी संभावना है कि इस आरक्षित सीट पर भाजपा व राष्ट्रवादी के बीच मुकाबला होगा।
हालांकि कांग्रेस भी यह सीट मांग रही है, औसा विधानसभा के विधायक बसवराज पाटिल को टक्कर देने के लिए भाजपा जोर लगा रही है। हालांकि यह क्षेत्र शिवसेना का है फिर भी भाजपा ने तैयारी की है़ लातूर ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा व कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होगा।