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महंत और व्यक्ति विशेष 'कबीर मठ' की भूमि के स्वामी नहीं हो सकते: बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड

By भाषा | Updated: December 11, 2021 12:44 IST

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पटना, 11 दिसंबर बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन ने कहा कि महंत और व्यक्ति विशेष कबीरपंथ से संबंधित 'कबीर मठ' भूमि के मालिक नहीं हो सकते।

जैन ने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में विसंगतियों को दूर करने के लिए, बोर्ड व्यक्ति विशेष के स्वामित्व के दावों को अवैध मानेगा। इस कदम से इन मठों की भूमि की व्यापक अवैध बिक्री और खरीद पर रोक लगेगी।

उन्होंने कहा कि समस्तीपुर, सीवान, वैशाली और वाराणसी के चार कबीर मठों के प्रमुखों से विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया।

जैन ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''हमें राज्य में कबीर मठ संपत्तियों के राजस्व रिकॉर्ड में कई विसंगतियों के बारे में जानकारी है। कुछ मामलों में संबंधित मठों के महंतों ने अपने नाम पर संपत्ति दर्ज कराई, जो कि अवैध है। अब, हम इस प्रथा को नहीं चलने देंगे। निर्देश दिया गया है कि इन मठों की संपत्तियों का स्वामित्व केवल संप्रदाय के पास होना चाहिए। चार मठों के प्रमुखों की सहमति से यह निर्णय लिया गया है।''

उन्होंने कहा कि एक बार कबीर मठ की जमीन जायदाद संप्रदाय के नाम दर्ज हो जाने के बाद किसी व्यक्ति विशेष या महंत के लिये इसे बेचना संभव नहीं होगा।

जैन ने कहा, ''राज्य के गैर पंजीकृत कबीर मठों को भी बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड में पंजीकरण कराने के निर्देश दिये गये हैं। वर्तमान बिहार हिंदू धार्मिक ट्रस्ट अधिनियम 1950 के अनुसार, राज्य के सभी धार्मिक न्यासों को बोर्ड में पंजीकृत होना चाहिये।''

उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारियों और जिलों के राजस्व विभाग के अन्य संबंधित अधिकारियों को भी बोर्ड के इस फैसले से अवगत करा दिया गया है और उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित कबीर मठों के साथ समन्वय स्थापित करने को कहा गया है।

इससे पहले, राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि बोर्ड से पंजीकृत या संबद्ध मंदिरों और मठों की भूमि का स्वामित्व मंदिरों के पास होगा।

ऐसा माना जाता है कि राज्य में कबीर मठों की लगभग 50 प्रतिशत भूमि पहले ही इन मठों के प्रमुखों या व्यक्तियों द्वारा बेची जा चुकी है। अब बोर्ड राज्य में चल रहे कबीर मठों की कुल संख्या और उनकी कई करोड़ रुपये की संपत्ति की विस्तृत सूची तैयार करने का प्रयास कर रहा है।

कबीरपंथ संत कबीर के नाम पर बना और बिहार के कई हिस्सों में इसने अपना आधार बढ़ाना शुरू कर दिया। कबीरपंथ के लिए स्थापित सबसे पुराने मठों में से एक मठ राज्य के सारण जिले में स्थित धनौती में था। बाद में, राज्य के मधुबनी और समस्तीपुर जिलों में दो और मठों की स्थापना की गई।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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