मध्य प्रदेश चुनावः मौन तोड़कर मुखर होते मतदाता, बीजेपी नेताओं के लिए बढ़ी मुसीबत
By राजेंद्र पाराशर | Updated: November 19, 2018 05:45 IST2018-11-19T05:45:11+5:302018-11-19T05:45:11+5:30
कहीं गांवों में नहीं घुसने दे रहे प्रत्याशियों को तो कहीं बैनर लगाकर जता रहे विरोध

मध्य प्रदेश चुनावः मौन तोड़कर मुखर होते मतदाता, बीजेपी नेताओं के लिए बढ़ी मुसीबत
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार गरमाते ही मतदाताओं ने अपना मौन तोड़कर मुखर होते हुए प्रत्याशियों का विरोध करना शुरू कर दिया है. अब तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर मंत्रियों और विधायकों के विरोध की दर्जनों से ज्यादा घटनाएं घटित हो गई हैं. विरोध के वीडियो भी खूब वायरल हो रहे हैं. मतदाताओं के विरोध का सामना भाजपा प्रत्याशियों को ज्यादा करना पड़ रहा है.
विधानसभा चुनाव का प्रचार जैसे-जैसे गरमाता जा रहा है, भाजपा प्रत्याशियों का विरोध भी उसी गति से तेज होता चला जा रहा है. राजधानी भोपाल में सबसे पहले विरोध का सामना राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता को करना पड़ा. गुप्ता एक कालोनी में प्रचार के लिए पहुंचे तो वहां महिला मतदाता उनसे विकास के वादों पर बहस कर बैठीं. नतीजा यह हुआ कि वे उस कालोनी में बिना प्रचार किए ही वापस लौट गए. इसी तरह भोपाल मध्य विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के सुरेंद्र नाथ सिंह को भी विरोध का सामना करना पड़ा. सुरेंद्रनाथ सिंह को तो क्षेत्र के मतदाता ने काले झंडे तक दिखा दिए.
राज्यमंत्री दीपक जोशी को भी अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के कोप का भाजक बनना पड़ा. वे जब समर्थकों के साथ मतदाता के बीच पहुंचे तो उन्हें मतदाताओं ने पिछले चुनाव में जनता से किए वादे याद दिलाए और अधूरे कामों की बात कही. इस दौरान मतदाताओं का विरोध मंत्री ने कुर्सी पर बैठकर ङोला, मगर विरोध जब तेज हो गया तो वे मतदाताओं से हाथ जोड़कर वहां से चले गए.
आगर मालवा में भाजपा प्रत्याशी और सांसद मनोहर ऊंटवाल को तो विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बड़ोद में ग्रामीणों ने न केवल घेरा, बल्कि उन्हें जमकर खरी-खोटी भी सुनाई. विरोध करने वालों का कहना था कि पांच साल तो कोई आया नहीं, अब जनता से वोट मांगने चले आए. इसी तरह गोहद विधानसभा क्षेत्र में सामान्य प्रशासन मंत्री लाल सिंह आर्य का चंदहारा ग्राम में सड़क निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों ने घेरा और जमकर विरोध किया.
इनके अलावा नीमच में भाजपा प्रत्याशी माधव मारु एवं मुरैना जिले के सबलगढ़ में भाजपा प्रत्याशी सरला रावत का भी विरोध किया गया. यहां पर रावत का विरोध पानी की समस्या को लेकर किया गया.
वापस जाओ के लगाए नारे, किन्नर का समर्थन
राज्य के ग्वालियर-चंबल अंचल में जहां एट्रॉसिटी एक्ट का खासा विरोध रहा, वहां पर मुरैना जिले की अंबाह विधानसभा क्षेत्र ग्राम धर्मगढ़ में भाजपा प्रत्याशी गब्बर सखवार को सवर्ण समाज का खासा विरोध ङोलना पड़ा. सखवार जब मतदाताओं के बीच पहुंचे तो मतदाताओं ने उनका विरोध करते हुए ‘वापस जाओ’ के नारे लगाए और उन्हें वहां से वापस जाने को मजबूर कर दिया. यहां पर सखवार का विरोध आरक्षित सीट पर एट्रॉसिटी एक्ट को लेकर किया गया. मजेदार बात यह है कि इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी का विरोध करने वाला सवर्ण मतदाता किन्नर नेहा के समर्थन में उतर आया है.
भाजपा-कांग्रेस दोनों का विरोध
खरगोन जिले के भगवानपुरा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम देवली में तो मतदाताओं ने बकायदा बैनर लगा दिया है. बैनर पर ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ का स्लोगन लिखा गया है. यहां पर मतदाता भाजपा के अलावा कांग्रेस प्रत्याशी का भी विरोध जता रहे हैं. मतदाताओं का कहना है कि विधायक बनने के बाद हमसे किए वादे को दल भूल जाते हैं. देवली में भाजपा विधायक जमना सिंह सोलंकी जब मतदाताओं के बीच पहुंचे तो उन्हें युवाओं ने रोक लिया. युवाओं का कहना था कि हमारी समस्याओं का हल बताएं तभी वे वोट मांगने जाएं, इतना ही नहीं ग्रामीणों ने भाजपा के अलावा कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों को चेतावनी दे डाली है कि वे वोट मांगने गांव में न आएं.
मुख्यमंत्री की पत्नी, बेटे भी झेल चुके हैं विरोध
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह और पुत्र कार्तिकेय चौहान बुधनी विधानसभा क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क कर मुख्यमंत्री के लिए मतदान की अपील कर रहे हैं, मगर इस बार उन्हें भी मतदाताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. साधना सिंह को जहां महिलाओं द्वारा जनसमस्याओं को लेकर घेरा जा रहा है, वहीं मुख्यमंत्री के पुत्र कार्तिकेय को भी नसरुल्लागंज सहित अन्य स्थानों पर मतदाताओं के विरोध का सामना करना पड़ा है.