मध्यप्रदेश चुनावः डकैती छोड़ बने नेता, किया नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार, पर अब हो गई ऐसी हालत

By भाषा | Published: November 15, 2018 10:20 AM2018-11-15T10:20:01+5:302018-11-15T10:24:56+5:30

पिछले तीन दशक में पहला मौका है, जब ऐसा हो रहा है जब मध्य प्रदेश चुनाव में डकैतों की ऐसी हालत बनी है। नहीं तो ग्वालियर, चंबल एवं विन्ध्य क्षेत्र डकैतों को चुनावी मैदान में उतारने में मशहूर रहे हैं। कुछेक डकैत विधायक बनकर सुर्खियों में भी रहे हैं।

Madhya Pradesh Election: know the Dacoit history in MP assembly election | मध्यप्रदेश चुनावः डकैती छोड़ बने नेता, किया नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार, पर अब हो गई ऐसी हालत

बड़ी मूंछों और लाल टीका लगाए पूर्व डाकू मलखान सिंह (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रदेश की किसी भी सीट पर इस बार न तो कोई डकैत चुनावी मैदान में उतरा है और न ही किसी प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार कर रहा है।

पिछले तीन दशक में पहला मौका है, जब ऐसा हो रहा है। हालांकि, इससे पहले डकैतों के चुनाव में उतरने के लिए प्रदेश के ग्वालियर, चंबल एवं विन्ध्य क्षेत्र मशहूर रहे हैं । कुछेक डकैत विधायक बनकर सुर्खियों में भी रहे हैं ।

डकैत प्रेम सिंह को मिली थी कांग्रेस की टिकट
डाकू प्रेम सिंह बीच में
डाकू प्रेम सिंह बीच में

वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्व डकैत प्रेम सिंह कांग्रेस की टिकट पर मध्यप्रदेश के सतना जिले की चित्रकूट सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे और उन्होंने भाजपा के सुरेन्द्र सिंह गहरवार को 10,970 मतों से पराजित किया था। दस्यु जीवन से राजनीति का सफर करने वाले प्रेम सिंह इस सीट से तीन बार विधायक रहे। वह वर्ष 1998 एवं वर्ष 2003 में भी कांग्रेस की टिकट पर ही जीत कर विधायक बने थे।

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं दिवंगत दिग्गज कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह के कट्टर समर्थक रहे प्रेम सिंह का लंबी बीमार के बाद पिछले साल मई में निधन हो गया था।

सतना के पत्रकार राजेश द्विवेदी ने बताया कि प्रेम सिंह के निधन के बाद डकैतों द्वारा चुनाव को प्रभावित करने और उनके द्वारा किसी भी सीट से चुनाव जीतने का युग मध्यप्रदेश में अब खत्म हो गया है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र के बीहड में डकैतों के दो गैंग मौजूद हैं, जिनमें बबली कौल एवं लवलेश कौल शामिल हैं। लेकिन इन दोनों गैंगों की राजनीतिक अखाड़े में कोई गिनती नहीं है।

खूंखार डकैत शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ का रहा है प्रभाव

द्विवेदी ने बताया कि प्रेम सिंह से पहले पूर्व खूंखार डकैत शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ चित्रकूट एवं मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्ररेश से सटे हुए विंध्य क्षेत्र में चुनावों में अपनी मौजूदगी दर्शाता था और चुनावों में अपना असर दिखाता था। ठीक इसी तरह से एक अन्य डकैत अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया भी चुनावों को प्रभावित किया करता था। इन दोनों डकैतों की ग्रामीण इलाकों के वोटों विशेष रूप से पटेल जाति के लोगों पर प्रभाव रहता था। पटेल मध्यप्रदेश में ओबीसी में आता है।

उन्होंने कहा कि ददुआ का मध्यप्रदेश से सटे हुए उत्तरप्रदेश में भी राजनीतिक वर्चस्व रहा है। वहां पर उसके छोटे भाई बाल कुमार पटेल मिर्जापुर (उत्तरप्रदेश) से समाजवादी पार्टी की टिकट पर वर्ष 2009 से वर्ष 2014 तक सांसद रहे हैं।

मध्यप्रदेश के सतना जिले से बाल कुमार पटेल ने 'पीटीआई-भाषा' को फोन पर बताया, 'वर्तमान में मैं मध्यप्रदेश समाजवादी पार्टी का चुनाव कमेटी का सदस्य हूं।' उन्होंने कहा कि उनका भतीजा एवं ददुआ का बेटा वीर सिंह वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक उत्तरप्रदेश के चित्रकूट सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर विधायक रहा है। ठीक इसी तरह से मेरा बेटा राम सिंह भी वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक उत्तरप्रदेश की प्रतापगढ सीट से समाजवादी पार्टी का विधायक रहा है।

बाल ने बताया, 'वर्तमान में राम सिंह उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ जिले के समाजवदी पार्टी के अध्यक्ष हैं।' उन्होंने कहा, 'मेरा भतीजा वीर सिंह भी वर्तमान में मध्यप्रदेश के सतना जिले का समाजवादी पार्टी का चुनाव प्रभारी है।' पत्रकार द्विवेदी ने बताया कि उत्तरप्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मायावादी ने जब डकैतों के खिलाफ अभियान चलाया था तो उस दौरान पुलिस मुठभेड में ददुआ एवं ठोकिया को क्रमश: वर्ष 2006 एवं वर्ष 2007 में मध्यप्रदेश से सटे हुए उत्तरप्रदेश के गांवों में ढेर कर दिया गया था।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि वे मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश में हत्या, अपहरण एवं डकैती के 300 से अधिक अपराधों में शामिल थे।

पूर्व डाकू मलखान सिंह ने बीजेपी के लिए किया था प्रचार

वहीं, ग्वालियर के समाजसेवी डाक्टर केशव पांडे ने बताया कि चंबल के बीहड़ों में खौफ से दहलाने वाले पूर्व डाकू मलखान सिंह एवं डाकू मनोहर सिंह गुर्जर ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार किया था।

25 साल से अधिक समय तक चंबल घाटी में आतंक मचाने के बाद मलखान सिंह ने करीब साढ़े तीन दशक पहले अर्जुन सिंह सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था और अब वे बंदूक छोड़ आध्यात्मिक मार्ग अपना चुके हैं।

बड़ी-बड़ी मूंछ रखने वाले मलखान सिंह ने पंचायत चुनाव लड़ा था और इसमें जीत भी हासिल की थी। वह विभिन्न राजनीतिक दलों से भी जुड़ा रहा। उसने वर्ष 1996 में भिंड से समाजवादी पार्टी की टिकट पर विधानसभा का उपचुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गया। मलखान ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस के और समाजवादी पार्टी के लिए उत्तरप्रदेश में चुनाव प्रचार भी किया। पिछले दो विधानसभा चुनाव में उसने भाजपा के प्रत्याशियों का समर्थन किया और उनके लिए वोट भी मांगे।

वहीं, मधुमेह से पीड़ित डाकू मनोहर सिंह गुर्जर 90 के दशक में भाजपा में शामिल हुए और वर्ष 1995 में भिंड जिले की मेहगांव नगरपालिका के अध्यक्ष बने। हालांकि, अब वह अपना छोटा-मोटा निजी कारोबार करते हैं।

वहीं, पूर्व डकैत बलवंत सिंह (65) ने बताया कि वह इस साल एससी/एसटी एक्ट में हुए संशोधन से नाराज हैं, लेकिन इसके बाद भी मैं किसी राजनीतिक दल को इस चुनाव में समर्थन नहीं कर रहा हूं। बलवंत जाने माने डकैत पान सिंह तोमर का रिश्तेदार है। डाक्टर पांडे ने बताया कि ग्वालियर एवं चंबल क्षेत्र में डकैतों का प्रभाव अब खत्म हो गया है।

Web Title: Madhya Pradesh Election: know the Dacoit history in MP assembly election

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