कोविड-19 से बचावः कर्म के साथ उज्जैन प्रशासन देवी की शरण में, जानिए क्या है पूरा मामला
By बृजेश परमार | Published: June 13, 2020 08:50 PM2020-06-13T20:50:16+5:302020-06-13T20:50:16+5:30
शनिवार को कलेक्टर आशीषसिंह और एसपी मनोजसिंह ने देवियों को मदिरा का भोग लगाया है। कोविड-19 के तहत कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर उज्जैन जिला प्रशासन की स्थिति काफी सुधार पर आ गई है। कड़ी मेहनत के चलते काफी हद तक इसके नियंत्रण की स्थिति बनी है।
उज्जैनः कोरोना वायरस से बचाव को लेकर कर्म के साथ उज्जैन प्रशासन परंपराओं के तहत महामारी और प्राकृतिक आपदा से बचाव को लेकर चौबीस खंबा स्थित देवियों की शरण में पहुंचा है।
शनिवार को कलेक्टर आशीषसिंह और एसपी मनोजसिंह ने देवियों को मदिरा का भोग लगाया है। कोविड-19 के तहत कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर उज्जैन जिला प्रशासन की स्थिति काफी सुधार पर आ गई है। कड़ी मेहनत के चलते काफी हद तक इसके नियंत्रण की स्थिति बनी है।
इसके साथ ही जिला प्रशासन धार्मिक नगरी के आध्यात्म और परंपराओं के तहत देवी देवताओं की शरण में पहुंचा है। शनिवार को उज्जैन में नगर पूजा का आयोजन किया गया। मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य के काल से प्रजा की सुरक्षा,आपदा,रोग-व्याधि से बचाव को लेकर पूरातन महाकाल वन द्वार के परकोटे पर चौबीस खंबा स्थित देवी महालया-महामाया को मदिरा का भोग लगाया जाता है। इसी का पालन करते हुए प्रशासन की और से रोग- व्याधि से बचाव के लिए नगर पूजा की गई।
शनिवार को अष्टमी के अवसर पर इसी के चलते उज्जैन में नगर पूजा का आयोजन किया गया और 24 खंबा स्थित देवी महामाया और महालाया को जिले के मुखिया होने के नाते कलेक्टर आशीष सिंह ने मदिरा का भोग लगाया और पूजा अर्चना की। इस दौरान एसपी मनोज कुमार सिंह मौजूद रहे।
वैसे यह पूजा शारदेय नवरात्रि की अष्टमी को प्रति वर्ष एवं 12 वर्ष में सिंहस्थ आयोजन के पूर्व प्रशासन के सहयोग से होती है। इसके लिए तहसील के धर्मस्व विभाग की और से नियत राशि भी पूजा के लिए दी जाती है।मान्यता है कि उज्जैन के महापराक्रमी और प्रतापी सम्राट विक्रमादित्य ने उज्जैन में करीब 2000 साल पहले नगर पूजा की परंपरा शुरू की थी जो लगातार चली आ रही है।कोरोना के इस दौर में कुछ संगठनों ने नगर पूजा को लेकर जिला प्रशासन से अपेक्षा जताई थी।
वर्तमान में उज्जैन भी वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहा है लिहाजा उज्जैन को इस महामारी से बचाने के लिए नगर पूजा का आयोजन किया गया और परंपरा अनुसार देवी महामाया और महालाया को मदिरा का भोग लगाया गया और शासकीय पूजा अर्पित की गई।
गौरतलब है कि देवी महामाया और महालया के पूजन के साथ ही प्रशासनिक अमला जिसमें पटवारी,ग्राम कोटवार शामिल होते हैं नगर के 4 दर्जन से अधिक मंदिरों में 30 किलोमीटर सफर कर पूजन करने पहुंचते हैं। नगर पूजा का विसर्जन अंकपात स्थित हांडी फोड भैरव पर होता है। शासकीय अमला पूजन सामग्री लेकर सभी भैरव और देवी मंदिरों में जाता हैं। इस दौरान रास्ते भर हांडी में मदिरा की धार अनवरत रहती है।
हम पुरी मेहनत के साथ फिल्ड में काम कर रहे हैं।सर्वे जारी है।कर्म के साथ धार्मिक नगरी की मान्यताओं और परंपराओं का पालन करते हुए पूजन किया गयाः आशीषसिंह,कलेक्टर,उज्जैन