MP: कांग्रेस से झटका मिलने के बाद BJP हाईकमान हुआ नाराज, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह से रिपोर्ट की तलब

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 25, 2019 07:37 PM2019-07-25T19:37:38+5:302019-07-25T19:37:38+5:30

मध्य प्रदेश राज्य विधानसभा में दंड विधेयक के दौरान भाजपा के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल द्वारा सरकार के पक्ष में मतदान किए जाने की घटना के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह प्रदेश संगठन से खफा हैं.

Madhya Pradesh: BJP high command gets angry after two bjp mla voted for congress in assembly | MP: कांग्रेस से झटका मिलने के बाद BJP हाईकमान हुआ नाराज, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह से रिपोर्ट की तलब

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भाजपा के दो विधायकों के कांग्रेस के पाले में जाने की घटना को लेकर भाजपा हाईकमान प्रदेश संगठन से खफा है. हाईकमान ने बुधवार की शाम से ही प्रदेश के नेताओं से लगातार संपर्क कर पहले जानकारी एकत्रित की और फिर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह को भोपाल भेजकर घटनाक्रम की पूरी रिपोर्ट तलब की है. प्रदेश संगठन बागी हुए विधायकों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा था कि हाईकमान ने इस पर आपत्ति जताई है, जिससे इन पर होने वाली कार्रवाई भी अब भाजपा नहीं करना चाहती है.

राज्य विधानसभा में दंड विधेयक के दौरान भाजपा के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल द्वारा सरकार के पक्ष में मतदान किए जाने की घटना के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह प्रदेश संगठन से खफा हैं. शाह ने पहले इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा की और इस पर नाराजगी भी जताई. 

इसके बाद उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत से अलग-अलग चर्चा की. राकेश सिंह इस चर्चा के बाद तुरंत रात को ही भोपाल पहुंचे और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अलग-अलग चर्चा की. इसके बाद अन्य नेताओं से भी राकेश सिंह ने चर्चा की है. राकेश सिंह ने पूरे घटना क्रम की जानकारी ली और वे अब इसकी पूरी रिपोर्ट अमित शाह को दिल्ली में देंगे. माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के बाद संगठन में काफी कुछ बदलाव नजर आ सकता है.

अमित शाह की नाराजगी के चलते फिलहाल दोनों विधायकों पर संगठन द्वारा लगाम लगाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई को लेकर प्रदेश संगठन मौन हो गया है. पहले यह माना जा रहा था कि दोनों विधायकों पर संगठन कार्यवाही करेगा, मगर अब यह प्रयास किए जा रहे हैं कि दोनों विधायकों से बातचीत की जाए और उनकी नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया जाए. हालांकि गुरुवार को संगठन नेताओं का यह प्रयास असफल रहा, दोनों विधायक भाजपा नेताओं से दूरी बनाए रहे.

नेता प्रतिपक्ष की बढ़ सकती है मुश्किलें

पार्टी हाईकमान की नाराजगी को देखते हुए प्रदेश पदाधिकारी इस बात के संकेत देने लगे हैं कि संगठन में बदलाव हो सकता है, साथ ही नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की मुसिबत भी बढ़ सकती है. भार्गव के उस बयान से भी हाईकमान खफा है जिसमें उन्होंने कहा था कि हमारे नंबर 1 और नंबर 2 नेता जिस दिन कहेंगे उसके 24 घंटे में कांग्रेस सरकार गिरा दी जाएगी. इस बयान से हाईकमान जहां नाराज है, वहीं पार्टी ने किनारा कर लिया है. वहीं विधेयक जब पारित किया गया, उस वक्त सदन में भाजपा के करीब 2 दर्जन विधायक अनुपस्थित थे. इस बात की जानकारी को भी संगठन ने गंभीरता से लिया है.

रघुनंदन ने कहा- पार्टी को आत्मावलोकन की जरूरत

भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा एक बार फिर पार्टी के नेताओं से नाराज हैं. उनकी नाराजगी किस नेता को लेकर है, यह तो उन्होंने स्पष्ट नहीं किया, मगर इशारा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर जा रहा है. शर्मा का मीडिया में यह बयान आया कि स्वयं को एकात्म मानवतावाद का ज्ञाता समझने वाले लोगों ने अपने हितों और प्रतिष्ठा के लिए जिन सिद्धांतों के तहत इन लोगों का पार्टी में जमावड़ा किया उसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है. पार्टी को अब आत्मावलोकन की जरूरत है. 

उन्होंने कहा कि पार्टी को उन नेताओं के बारे में भी सोचने की जरुरत है, जिन्होंने अपने अहम की संतुष्टि के लिए पार्टी की कितनी बड़ी क्षति की है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब शर्मा ने इस तरह का बयान दिया हो, वे विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव के बाद भी लगातार इस तरह के बयान देते रहे हैं. उनका निशाना सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री चौहान पर ही होता है. शर्मा के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है.

डरी हुई है कांग्रेस

विधानसभा के घटनाक्रम को लेकर आज नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि कांग्रेस की सरकार डरी हुई है. कांग्रेस को प्रजातांत्रिक संस्था का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान कांग्रेस ने अकेले दौड़कर दस्तखत कर लिए. उन्होंने कहा कि ये फ्लोर टेस्ट नहीं था, इसकी प्रमाणिकता तब होती जब विश्वास मत लाया जाता. भार्गव ने कहा कि कांग्रेस के लोगों को खुश होने की जरूरत नहीं है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अभी दोनों विधायकों से चर्चा नहीं हुई है. दोनों विधायकों को लेकर बात करेंगे. हम सब एक हैं, वक़्त आएगा तो बात देंगे. भार्गव ने ये भी कहा कि हम लोग विश्वास की राजनीति करते हैं, विधायकों की जासूसी नहीं करते हैं.

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