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लोकसभा चुनावः मानवेंद्र सिंह का राजनीतिक भविष्य तय करेगी बाड़मेर सीट!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: April 8, 2019 18:04 IST

कांग्रेस के प्रभाव वाली बाड़मेर सीट पर कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह का मुकाबला भाजपा के कैलाश चौधरी से होगा, जहां बसपा के पंकज चौधरी भी किस्मत आजमा रहे हैं.

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ठळक मुद्देमानवेंद्र सिंह भाजपा के प्रमुख नेता जसवंत सिंह के पुत्र हैं और इस सीट से एक बार पहले सांसद (2004-09) रह चुके हैं.पिछले लोस चुनाव में बाड़मेर से कर्नल सोनाराम 488747 वोट लेकर 87461 वोटों के अंतर से जसवंत सिंह से जीते थे.

विधानसभा चुनाव के दौरान मानवेंद्र सिंह को कांग्रेस ने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था. तब मानवेंद्र सिंह की हार-जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण था उनका चुनाव लड़ना. कांग्रेस नेतृत्व के निर्देशों का पालन किया मानवेंद्र सिंह ने और इसी का नतीजा है कि उन्हें बाड़मेर से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया गया है, लेकिन बाड़मेर की हार-जीत मानवेंद्र सिंह का राजनीतिक भविष्य तय करेगी. जीते तो बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है और हारे तो सियासी इंतजार लंबा हो जाएगा. 

कांग्रेस के प्रभाव वाली बाड़मेर सीट पर कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह का मुकाबला भाजपा के कैलाश चौधरी से होगा, जहां बसपा के पंकज चौधरी भी किस्मत आजमा रहे हैं.

मानवेंद्र सिंह भाजपा के प्रमुख नेता जसवंत सिंह के पुत्र हैं और इस सीट से एक बार पहले सांसद (2004-09) रह चुके हैं.

पिछले लोस चुनाव में बाड़मेर से कर्नल सोनाराम 488747 वोट लेकर 87461 वोटों के अंतर से जसवंत सिंह से जीते थे. तब जसवंत सिंह को 401286 वोट मिले थे, तो हरीश चौधरी को 220881 वोट मिले थे.

बीजेपी ने वर्तमान सांसद कर्नल सोनाराम के बजाय कैलाश चौधरी पर भरोसा किया है.

उल्लेखनीय है कर्नल सोनाराम तीन बार कांग्रेस, तो एक बार बीजेपी से सांसद रहे हैं, परन्तु विस चुनाव 2018 में वे बाड़मेर विस सीट से तीस हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव हार गए.

इस लोकसभा क्षेत्र में जैसलमेर, शिव, बाड़मेर, बायतू, पचपदरा, सिवाना, गुडामलानी और चौहटन विस क्षेत्र आते हैं. विस चुनाव 2018 के बाद इनमें से सात सीटें इस वक्त कांग्रेस के पास हैं, जाहिर है कि बीजेपी के लिए यह सीट हांसिल करना आसान नहीं है. अलबत्ता, जातिगत समीकरण साधने में यदि बीजेपी कामयाब हो जाती है तो नतीजे बदलने की उम्मीद रख सकती है.

यहां का चुनाव, बीजेपी-कांग्रेस के मुकाबले से भी ज्यादा इसलिए रोचक है कि यहां की हार-जीत मानवेंद्र सिंह का राजनीतिक भविष्य तय करेगी.

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