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Lokmat Exclusive: मिशन कश्मीर की वजह से अटक सकती है एसएसबी जवानों की सैलरी और भत्ते!

By संतोष ठाकुर | Updated: January 29, 2020 11:19 IST

नेपाल और भूटान की करीब 2500 किमी लंबी सीमा की निगरानी और रक्षा करने वाले सशस्त्र सीमा बल के जवानों को कहा गया है कि वे अपने बच्चों के शिक्षा भत्ते के साथ ही एलटीसी या अन्य भत्तों की मांग ना करें।

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ठळक मुद्देजब अधिकारियों से सवाल किया गया तो उन्होंने ऑफिशियली कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां एसएसबी की औचक तैनाती की गई। इस अप्रत्याशित खर्च की वजह से एसएसपी में फंड की कमी हो गई।

सशस्त्र सीमा बल यानी एसएसबी में वेतन संकट को लेकर सामने आए एक सरकुलर से हड़कंप मच गया है। इस सरकुलर में कहा गया है कि पर्याप्त फंड नहीं होने की वजह से जनवरी और फरवरी का वेतन देने में समस्या हो सकती है। सरकुलर में यह भी कहा गया है कि सभी तरह के भत्तों के भुगतान को रोकने का निर्णय किया गया है और वेतन मद से सिर्फ जनवरी-फरवरी का वेतन ही दिया जाएगा।

नेपाल और भूटान की करीब 2500 किमी लंबी सीमा की निगरानी और रक्षा करने वाले सशस्त्र सीमा बल के जवानों को कहा गया है कि वे अपने बच्चों के शिक्षा भत्ते के साथ ही एलटीसी या अन्य भत्तों की मांग ना करें।

इस समस्या की वजह जानने को लेकर जब अधिकारियों से सवाल किया गया तो उन्होंने ऑफिशियली कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। हालांकि अनौपचारिक रूप से उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां एसएसबी की औचक तैनाती की गई। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संशोधित बजट मांग के तहत राशि जारी कर दी है और यह संकट अब खत्म हो गया है। आपको बता दें कि एसएसबी की वेबसाइट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में एसएसबी की पांच बटालियन तैनात हैं।

अधिकारियों के मुताबिक सरकार के मिशन कश्मीर के लिए जिन अर्धसैनिक बलों की सबसे अधिक तैनाती गई है उसमें एसएसबी भी शामिल है। औचक निर्णय की वजह से एसएसबी ने अपने उपलब्ध संसाधन में से यहां की तैनाती पर खर्च कर दिया जिससे धन की उपलब्धता पर असर पड़ा।

एक अधिकारी ने कहा कि कोई समस्या नहीं है। इसे समझने के लिए बजट की प्रक्रिया को समझना होगा। कोई भी मंत्रालय या विभाग सरकार से बजट में निश्चित और अनिश्चित राशि की मांग अलग-अलग करता है। निश्चित राशि में वेतन, विभिन्न तरह के बिल और ऐसी राशि शामिल होती है जिनका खर्च निर्धारित है। अनिश्चित राशि में किसी तरह की आपात स्थिति या संभावित महंगाई दर में इजाफे आदि को ध्यान में रखकर एक अनुमानित राशि की मांग की जाती है। जब भी अनिश्चित राशि में अनुमान से अधिक खर्च हो जाता है। इसकी आशंका होती है तो सरकार से संशोधित बजट मांगा जाता है। बल को यह नहीं पता था कि उसमें आपाता तैनाती कश्मीर में की जाएगी। 

बड़ी संख्या में जवानों और अधिकारियों की तैनाती के कारण उनके आवागमन, परिवहन, राशन, ठहराव आदि पर अतिरिक्त धन राशि की जरूरत हुई। इसे बल ने अपने मौजूद संसाधन से खर्च कर दिया, जिससे अनिश्चित राशि के साथ ही निश्चित राशि के हिस्से से भी कुछ खर्च किया गया। ऐसी स्थिति में संशोधित बजट में मांग की गई जो प्राप्त हो गई। 

टॅग्स :गृह मंत्रालयजम्मू कश्मीर
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