इन्दौर लोकसभा सीट पर BJP के लिए प्रत्याशी चयन करना बना टेढ़ी खीर, कांग्रेस वेट एंड वॉच की स्थिति में

By मुकेश मिश्रा | Published: April 1, 2019 06:31 PM2019-04-01T18:31:34+5:302019-04-01T18:31:34+5:30

मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में इन्दौर सीट पर पूरे देश की नजर है. यह सीट पिछले 30 सालों से भाजपा के खाते में रहती चली आयी है. इस सीट से सुमित्रा महाजन ही अभी तक पार्टी का चेहरा रही हैं.

lok sabha elections: indore lok parliament seat bjp is not able to announce candidate | इन्दौर लोकसभा सीट पर BJP के लिए प्रत्याशी चयन करना बना टेढ़ी खीर, कांग्रेस वेट एंड वॉच की स्थिति में

इन्दौर लोकसभा सीट पर BJP के लिए प्रत्याशी चयन करना बना टेढ़ी खीर, कांग्रेस वेट एंड वॉच की स्थिति में

भाजपा के मजबूत किलों में से एक इन्दौर लोकसभा के लिए प्रत्याशी चयन का मामला पार्टी के लिए ही टेढी खीर साबित हो रहा है. पार्टी अभी तक यह तय नहीं कर पायी है कि क्या मौजूदा सांसद सुमित्रा महाजन को टिकट दे या फिर कोई नया चेहरा सामने लाये? मुश्किल इसी चेहरे के चयन को लेकर है. चेहरा बिना मौजूदा सांसद के सहमति के नहीं लाना चाहती क्योंकि डर है कि कही फिक्स वोट बैंक न खिसक जाए. वही कांग्रेस भाजपा के प्रत्याशी की राह तक रही है. यदि भाजपा ने चेहरा बदला तो कांग्रेस अपनी रणनीति बदलेगी और मौजूदा सांसद का पत्ता कटने को अपना हथियार बनायेगी.

प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में इन्दौर सीट पर पूरे देश की नजर है. यह सीट पिछले 30 सालों से भाजपा के खाते में रहती चली आयी है. इस सीट से सुमित्रा महाजन ही अभी तक पार्टी का चेहरा रही हैं. उन्होनें 1989 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और कांग्रेस के दिग्गज नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चन्द्र सेठी को हरा कर इस सीट पर जीत का सिलासिला जो चालू किया वह अभी तक बरकरार है. 

कांग्रेस ने कई बार इस किले को भेदने की कोशिश की लेकिन हर बार असफल रही. इस सीट में सबसे बड़ा फैक्टर मराठी समाज का वोट बैंक है, जो एक तरफ महाजन के खाते में जाते है. वही शहरी इलाके की विधानसभा सीटें भी भाजपा के पास रही हैं. सिंधी समाज का भी वोट बैंक तगड़ा है. जिसपर मौजूदा सांसद की पकड़ अच्छी है. 

वहीं, चेहरा और छवि भी उनकी जीत पर एक अहम रोल निभाती आ रही है. 8 बार से लगातार सांसद रहने वाली महाजन को लेकर आज तक भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा है. भाजपा संगठन भी जानता है. संगठन के अन्दर इन्दौर को लेकर अलग अलग राय है. एक गुट चाहता है कि महाजन को ही मैदान में उतरा जाए. वहीं, दूसरा गुट उनकी उम्र को आगे कर नये चहेरे को सामने लाना चाहती है. वैसे इस सीट पर भाजपा के पास तीन चार ऐसे नाम है जो चुनाव जीतने की क्षमता रखते है. उनका भी जनाधार है. पार्टी चाहती है कि नया चेहरा मौजूदा सांसद की सहमति से ही मैदान में उतरा जाए. ताकि फिक्स वोट बैंक न खिसके.

कांग्रेस अभी तक इस सीट पर वेट एंड वॉच की स्थिति में है. चार पांच नाम वहाँ चल रहे हैं जो लोकसभा का चुनाव महाजन के सामने लड़ चूके है. कांग्रेस चाहती है कि भाजपा अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दे. यदि मौजूदा सांसद को टिकट दिया तो जो चेहरे है उनमें से ही किसी एक को मैदान में उतार देगी. यदि नया चेहरा भाजपा ने उतरा तो फिर रणनीति बदलेगी.

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