Lok Sabha Elections 2024: अधूरे कामों को पूरा करने के लिए हेमामालिनी चाह रही एक और मौका, त्रिकोणात्मक चुनावी संघर्ष में फंसी
By राजेंद्र कुमार | Published: April 21, 2024 06:19 PM2024-04-21T18:19:26+5:302024-04-21T18:19:26+5:30
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी मथुरा आकर लोगों से हेमामालिनी के पक्ष में वोट डालने की अपील की है। खुद हेमामालिनी अब कई अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए आखरी बार चुनाव जिताने की अपील कर रही हैं।
मथुरा: अयोध्या, काशी और मथुरा, उत्तर प्रदेश के इन तीन धार्मिक शहरों को किसी पहचान की जरूरत नहीं हैं। भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा को भी राजनीतिक रूप से अहम माना जाता है। ब्रज क्षेत्र में पड़ने वाली मथुरा संसदीय सीट वर्तमान में देश की विख्यात फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी को लेकर चर्चा में हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर दो बार इस सीट से देश की संसद में पहुंची हेमा मालिनी इस सीट से जीत की हैट्रिक लगाने के लिए फिर से चुनाव मैदान में हैं। परन्तु इस बार हेमा मालिनी मथुरा नें त्रिकोणात्मक चुनावी संघर्ष में फंस गई हैं और उनकी जीत को सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी मथुरा आकर लोगों से हेमामालिनी के पक्ष में वोट डालने की अपील की है। खुद हेमामालिनी अब कई अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए आखरी बार चुनाव जिताने की अपील कर रही हैं।
इसी 26 अप्रैल को मथुरा में मतदान होना है। ऐसे में हेमा मालिनी अब हर दिन पांच गांवों में चुनावी जनसभा को संबोधित करने के बाद मथुरा में मोहल्ले -मोहल्ले में जाकर लोगों के वोट डालने के लिए घर से निकलने की अपील कर रही हैं। पश्चिम यूपी में मतदान करने के लिए लोगों द्वारा दिखाई गई सुस्ती के चलते हेमामालिनी यह अपील लोगों से कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस सीट पर अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज विजेंदर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन बिजेंदर सिंह ने अचानक ही भाजपा का दामन थाम लिया।
ऐसे में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता मुकेश धनगर को इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सुरेश सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। मथुरा सीट से कुल 14 चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर सबसे ज्यादा जाट मतदाता हैं। इन मतदाताओं को साधने के लिए हेमामालिनी भी धर्मेंद्र से अपने रिश्ते का उल्लेख करते हुए अपने को जाट बताती हैं। इसके साथ ही वह यह भी कह रही हैं कि मुझे कई ऐसे अधूरे काम अभी पूरे करने हैं, जो वह दस वर्षों में पूरे नहीं कर सकी हैं। वह यह भी कहती हैं कि पीएम मोदी और सीएम योगी के नेतृत्व में उन्होने 10 सालों से ब्रज की सेवा की है। अब ब्रज क्षेत्र में और ज्यादा काम करने के लिए उन्हे फिर से मौका दें, ताकि कई अधूरे रह गए कार्यों को पूरा कर सकूँ।
इनके बीच मुकाबला
फिलहाल, पिछले दो चुनाव से यहां की जनता को 'ड्रीम गर्ल' भाई हैं। जाटों के प्रभाव वाली इस सीट पर वर्ष 2009 में भाजपा के सहयोग से जीत चुकी रालोद भी एनडीए का हिस्सा है। विपक्षी गठबंधन की नुमाइंदगी यहां कांग्रेस कर रही हैं, जिसे आखिरी बार 2004 में जीत मिली थी। बसपा को यहां अपना खाता खोलना बाकी है। इसके लिए उसने वर्ष 1999 में दावेदारी करने तीसरे नंबर पर रहे सुरेश सिंह पर दांव खेला है। फिलहाल इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही चुनावी संघर्ष हो रहा है।
इस सीट के जातीय वोट को देखें तो यहां करीब करीब सवा तीन लाख जाट वोटर हैं। इनके अलावा ब्राह्मण बिरादरी करीब पौने तीन लाख मतदाता हैं। ठाकुर, जाटव और मुस्लिम वोटर्स की संख्या इनके बाद आती है। वैश्य और यादव बिरादरी के भी वोटर्स इस सीट पर अहम भूमिका में रहते हैं। इस सीट पर 19.28 लाख मतदाता हैं. मथुरा सीट में मथुरा-वृंदावन, मांट, बलदेव, छाता और गोवर्धन विधानसभा आती हैं।