लोकसभा चुनाव 2019: आंध्र-तेलंगाना में पैसे-ताकत के बीच पीएम मोदी नाम की चर्चा
By संतोष ठाकुर | Published: April 6, 2019 10:25 AM2019-04-06T10:25:05+5:302019-04-06T10:39:29+5:30
5 अप्रैल आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए प्रचार चरम पर है. लगभग सभी पार्टी ने यहां पर करोड़पति उम्मीदवारों पर दांव लगाया है. लेकिन आंध्रप्रदेश में जहां चंद्रबाबू नीत तेदेपा और जगनमोहन रेड्डी नीत वाईएसआर कांग्रेस अन्य दलों से प्रचार के साथ चुनाव प्रभावित करने की स्थिति में दिखते हैं तो वहीं तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव नीत तेरास प्रचार में अन्य दलों से काफी आगे दिख रही है.
दोनों ही राज्य में भाजपा के लिए सीटों को जीतना मुश्किल दिखता है लेकिन यह आश्चर्यजनक रूप से सामने आ रहा है कि इन दक्षिणी राज्यों में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और विश्वसनीयता उत्तरी राज्यों की तरह है. लोगों का मानना है कि मोदी है तो कुछ भी काम होना मुमिकन है. हालांकि यहां पर जिस तरह से चुनाव में पैसे और ताकत का उपयोग हो रहा है, उसे देखते हुए यह कहना कठिन है कि भाजपा को कितनी सीट मिलेगी. इस अनिश्चितता को देखते हुए ही हाल में प्रधानमंत्री ने यहां दो रैली की तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को विशाखापट्टनम में एक रोड-शो किया. उनके इंतजार में जनता दो से ढाई घंटे तक खड़ी रही. जिससे यह पता चलता है कि मोदी-शाह राज में पार्टी के कैडर का यहां बड़े स्तर पर विस्तार हुआ है.
चंद्रबाबू की चाल समझ नहीं पाई भाजपा:
आंध्रप्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के प्रचार-प्रभाव में आगे रहने पर विशाखापट्टनम के एक व्यापारी जी. बाबू रेड्डी ने कहा कि भाजपा असल में नायडू की चाल को समझ ही नहीं पाई. वह 4 साल तक उनके गठबंधन में रहे. केंद्र की सभी योजनाओं को यहां पर बड़े स्तर पर लागू कराया. उसके बाद उन्हीं योजनाओं में कुछ और पैसा राज्य सरकार की ओर से डालते हुए उन्होंने उन सभी केंद्रीय योजनाओं को अपना नाम दे दिया. ऐसे में केंद्र के पैसे से उन्होंने अपनी राजनीति की और अब अपना पैसा वह केवल प्रचार में लगा रहे हैं.
दोनों के बीच गठबंधन के समय भाजपा ने विशाखापट्टनम और नरसापुरम सीट जीती थी. इस बार यहां पर भी मुश्किल दिखती है. लेकिन जिस तरह से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने यहां पर दिन-रात कैंप किया. धुंआधार प्रचार किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो छवि है, उसका अगर कोई अप्रत्याशित असर होता है तो उससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है. लेकिन राह इतनी आसान नहीं है. इसकी वजह यह है कि चंद्रबाबू ने चुनाव के बीच भी किसानों और अन्य वर्गों में कैश ट्रांसफर योजना को अंजाम दिया है. जिससे करीब 75 लाख लोगों के पास सीधे पैसा पहुंच गया है. यह लोगों को प्रभावित कर सकता है.