लोकसभा चुनाव 2019: सियासी सवाल- श्रीराम मंदिर निर्माण के मामले में बैक फुट पर क्यों है बीजेपी?

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: February 5, 2019 05:38 IST2019-02-05T05:38:47+5:302019-02-05T05:38:47+5:30

लेकिन, यह बात राम मंदिर समर्थक साधु-संतो और रामभक्तों को भी समझ नहीं आ रही है, कि आखिर इस मामले में बीजेपी बैक फुट पर क्यों है?

Lok Sabha Elections 2019: Political question: why is BJP on the back foot in the construction of Shriram temple? | लोकसभा चुनाव 2019: सियासी सवाल- श्रीराम मंदिर निर्माण के मामले में बैक फुट पर क्यों है बीजेपी?

फाइल फोटो

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले श्रीराम मंदिर निर्माण का मुद्दा फिर से चर्चाओं में है, लेकिन पहली बार यह बीजेपी को भारी पड़ने जा रहा है. कारण यह है कि पांच साल से केन्द्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है, यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है, बावजूद इसके, इन पांच वर्षों में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए बीजेपी सरकारों की ओर से कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए हैं. 

बीजेपी केवल अदालत के निर्णय के सापेक्ष आगे की कार्रवाई की बात कर रही है और देरी के लिए कांग्रेस पर आरोप लगा रही है. 

लेकिन, यह बात राम मंदिर समर्थक साधु-संतो और रामभक्तों को भी समझ नहीं आ रही है, कि आखिर इस मामले में बीजेपी बैक फुट पर क्यों है?

अब, राम मंदिर निर्माण को लेकर साधु-संतों के भी दो पक्ष बन गए हैं, जिनमें से एक पक्ष चाहता है कि तत्काल राम मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ किया जाए तो दूसरा पक्ष पहले पीएम मोदी को केन्द्र में एक मौका और देना चाहता है. दोनों पक्षों के बयानों का भावार्थ यही है कि एक पक्ष का भरोसा बीजेपी पर से उठ गया है तो दूसरा पक्ष अभी भी बीजेपी को केन्द्र की सत्ता में देखना चाहता है और इसके लिए मंदिर निर्माण प्रारंभ करने के लिए कुछ समय भी देना चाहता है. 

उधर, शिवसेना भी बीजेपी के सियासी तौर-तरीकों से सहमत नहीं है. शिवसेना का कहना है कि-- राम मंदिर का निर्माण उतना जटिल नहीं बनने देना चाहिए जितना जम्मू कश्मीर है, जिसका निकट भविष्य में कोई समाधान नजर नहीं आ रहा. बीजेपी को मंदिर निर्माण रुकवाने के लिए कांग्रेस पर उंगली नहीं उठानी चाहिए. 

हालांकि, राम मंदिर मुद्दे को लेकर बढ़ते दबाव के बीच पीएम मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि वह अयोध्या में विवादित ढांचे के पास गैर विवादित अतिरिक्त जमीन एक हिंदू ट्रस्ट और अन्य मूल भू-स्वामियों को लौटाने की मंजूरी दे. 

केंद्र के इस कदम पर शिवसेना का कहना था कि- अगर यह समाधान है तो बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार बीते चार सालों में इस बारे में क्यों नहीं सोच सकी? यही नहीं, यह भी कहा गया कि- ऐसा लगता है कि बीजेपी चुनावों को ध्यान में रखकर इस प्रस्ताव को लेकर आई है, जो नहीं होना चाहिए था. लेकिन, इस देश में भूख से लेकर राम मंदिर तक कोई भी फैसला हमेशा चुनावों को ध्यान में रखकर लिया जाता है? 

राम मंदिर मामले में बीजेपी संसद में निर्णय कर सकती है, क्योंकि वह लोकसभा में बहुमत में है, परन्तु इसमें दो आशंकाएं है, एक- राम जन्मभूमि से संबंधित मामला उच्चतम न्यायालय में है, इसलिए अब यदि तत्काल बीजेपी कोई कदम उठाती है तो संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है, दो- बीजेपी के कुछ सहयोगी दल भी इस मुद्दे पर बीजेपी का साथ छोड़ सकते हैं, क्योंकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार का तो कहना है कि- फिलहाल ये मामला कोर्ट में है और इसको लेकर जेडीयू का स्टैंड साफ है कि इस मामले में कोर्ट का जो फैसला होगा वह जेडीयू को मान्य होगा, या फिर आम सहमति से ही मंदिर का फैसला होना चाहिए. 

ये वजह हैं कि पीएम मोदी ने राम मंदिर निर्माण को लेकर कुछ समय पहले कहा था कि- उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ही जो भी कदम आवश्यक होंगे, उठाए जाएंगे.

यह पहला मौका है जब राम मंदिर मुद्दे पर बीजेपी सुरक्षात्मक सियासत कर रही है, जबकि बीजेपी का उदय राम मंदिर आंदोलन की आक्रामक राजनीति के कारण हुआ था.

सबसे बड़ी परेशानी यह है कि गैर कानूनी तरीके से तोड़फोड़ तो की जा सकती है, लेकिन निर्माण संभव नहीं है. यदि 6 दिसंबर की तरह निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाता है, तो इसे रोकने की कानूनी जिम्मेदारी केन्द्र और यूपी सरकारों की होगी. मतलब, राम मंदिर निर्माण रोकने की कानूनी जिम्मेदारी पीएम मोदी और सीएम योगी पर होगी, वे ऐसी भूमिका कैसे निभाएंगे?
तोड़फोड़ तो एक-दो दिनों का मामला होता है, लिहाजा इसे तो नजरअंदाज भी किया जा सकता है, लेकिन निर्माण एक लंबी प्रक्रिया है जो गैर कानूनी तरीके से असंभव है. 

इसलिए, मंदिर निर्माण के लिए अविवादित जमीन पर भूमि पूजन जैसा प्रारंभिक कार्य तो हो सकता है, लेकिन आगे का निर्माण संभव नहीं है. हिन्दू चाहते हैं कि राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो और इसीलिए बीजेपी को केन्द्र में अच्छा अवसर दिया गया था, लेकिन पीएम मोदी सरकार ने यह मौका गंवा दिया है.

अब, लोस चुनाव में जनता ही तय करेगी कि केन्द्र में बीजेपी सरकार को एक मौका और दिया जाए या नहीं दिया जाए!

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: Political question: why is BJP on the back foot in the construction of Shriram temple?