लोकसभा चुनाव 2019: पिछले ढाई दशकों में गंगा की उर्वर जमीन भाजपा, कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों के लिये उपजाऊ नहीं रही..

By भाषा | Published: April 3, 2019 03:46 PM2019-04-03T15:46:35+5:302019-04-03T15:46:35+5:30

2019 के लोकसभा चुनाव में गंगा नदी के किनारे वाली इन सीटों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मुलायम परिवार, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, मनोज सिन्हा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी, रीता बहुगुणा जोशी चुनावी समर में हैं । 

Lok Sabha Elections 2019: In the last two and a half decades, the fertile land of the Ganga is not fertile for the national parties like the BJP and Congress. | लोकसभा चुनाव 2019: पिछले ढाई दशकों में गंगा की उर्वर जमीन भाजपा, कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों के लिये उपजाऊ नहीं रही..

मुर्शीदाबाद सीट पर माकपा का प्रभाव रहा है हालांकि इस सीट पर 2004 एवं 2009 में कांग्रेस जीती थी। हावड़ा सीट पर 2014, 2009 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस जीती थी ।

Highlightsइलाहाबाद सीट पर पिछली बार भाजपा और 2004 एवं 2009 में सपा ने जीत दर्ज की थी । पिछले ढाई दशकों के लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तब 2014 के लोकसभा चुनाव में गंगा के किनारे स्थित करीब 30 लोकसभा सीटें में से भाजपा 20 से अधिक सीट जीतने में सफल रही थी ।

गंगा नदी अपने तट पर बसे लोगों एवं भूक्षेत्र के लिये भले ही जीवनदायिनी है लेकिन पिछले पांच चुनावों में (2014 को छोड़कर) इस नदी के क्षेत्र वाली ढाई दर्जन से अधिक लोकसभा सीटें भाजपा, कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों के लिये बहुत उर्वर साबित नहीं हुई हैं । करीब 2525 किलोमीटर लम्बी गंगा नदी उत्तराखण्ड में पश्चिमी हिमालय से निकलती है तथा उत्तराखण्ड से शुरू होकर यह उत्तर भारत के मैदानी भूभाग से बहती हुई पश्चिम बंगाल से होकर गुजरती है ।

पिछले ढाई दशकों के लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तब 2014 के लोकसभा चुनाव में गंगा के किनारे स्थित करीब 30 लोकसभा सीटें में से भाजपा 20 से अधिक सीट जीतने में सफल रही थी । हालांकि 2009 में भाजपा को इनमें से करीब दो तिहाई से अधिक सीटों पर हार और क्षेत्रीय दलों की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा जबकि 2009 से पहले भी पार्टी को कई सीटों पर हार और क्षेत्रीय दलों से कड़ी चुनौती मिली।

गंगा क्षेत्र 1984 के लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन नब्बे के दशक में इस गढ़ में सेंधमारी शुरू हो गई। जहां कई स्थानों पर भाजपा का प्रभाव बढ़ा तो वहीं, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी जैसे दलों ने पकड़ बनाई । बिहार में जनता दल :यू:, राष्ट्रीय जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी जैसे दलों का प्रभाव बढ़ा । पश्चिम बंगाल में वामदलों के प्रभाव को तोड़ते हुए तृणमूल कांग्रेस का प्रादुर्भाव हुआ ।

गंगा नदी के किनारे के क्षेत्रों को समेटने वाली महत्वपूर्ण संसदीय सीटों में हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, एटा, मेरठ, बिजनौर, भदोही, उन्नाव, बदायूं, कानपुर, बुलंदशहर, फर्रूखाबाद, हरदोई, कन्नौज, इलाहाबाद, रायबरेली, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, हाजीपुर, पटना साहिब, सारण, बक्सर, कटहार, खगड़िया, भागलपुर, मुंगेर, मुर्शीदाबाद, बेहरामपुर, नबद्वीप वर्तमान रानाघाट, हावड़ा प्रमुख हैं ।

पिछले करीब ढाई दशकों के दौरान हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम से स्पष्ट होता है कि 2014 के चुनाव को छोड़ दें तब 2009 में एटा, मुजफ्फरनगर, उन्नाव, बुलंदशहर, वाराणसी, कानपुर, पटना, भागलपुर, इलाहाबाद, बलिया, हरिद्वार, फर्रूखाबाद, हरदोई, बक्सर, मुर्शीदाबाद, बेरहमपुर,नबद्वीप, हावड़ा जैसी सीटों पर भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा था ।

पिछले लगभग 25 वर्षों में हुए चुनाव में बलिया, मेरठ, इलाहाबाद, फर्रूखाबाद, हरदोई जैसी सीटों पर भाजपा का सपा, कांग्रेस और बसपा से मुकाबला रहा है । कन्नौज, बदायूं सीट समाजवादी पार्टी खासतौर पर मुलायम सिंह यादव के परिवार का गढ़ रही है। गंगा के किनारे स्थित वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं ।

इस सीट पर 1991 से 2014 के बीच सिर्फ एक बार 2004 को छोड़कर भाजपा जीतती रही है । 2004 में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी । रायबरेली सीट राजनैतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इसका प्रतिनिधित्व कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी कर रही हैं । हरिद्वार सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला रहा है जबकि कानपुर सीट 2014 में भाजपा के और 1999 से 2009 के चुनाव में कांग्रेस के खाते में गई थी ।

इलाहाबाद सीट पर पिछली बार भाजपा और 2004 एवं 2009 में सपा ने जीत दर्ज की थी । इससे पहले तीन चुनाव में यहां से भाजपा जीती थी । भागलपुर सीट पर पिछले चुनाव में राजद ने जीत दर्ज की थी जबकि 2004 तथा 2009 में भाजपा और1999 में माकपा जीती थी । पटना साहिब सीट के अस्तित्व में आने के बाद भाजपा ने पिछले दो चुनाव में जीत दर्ज की। वहीं हाजीपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का प्रभाव रहा ।

मुर्शीदाबाद सीट पर माकपा का प्रभाव रहा है हालांकि इस सीट पर 2004 एवं 2009 में कांग्रेस जीती थी। हावड़ा सीट पर 2014, 2009 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस जीती थी ।

1999 और 2004 के चुनाव में यह सीट माकपा के खाते में आई थी । 2019 के लोकसभा चुनाव में गंगा नदी के किनारे वाली इन सीटों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मुलायम परिवार, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, मनोज सिन्हा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी, रीता बहुगुणा जोशी चुनावी समर में हैं । 

 

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: In the last two and a half decades, the fertile land of the Ganga is not fertile for the national parties like the BJP and Congress.