लोकसभा चुनावः गुजरात में मुस्लिम कार्ड के भरोसे BJP, पांच साल पुराना करिश्मा दोहराएगी पार्टी?
By महेश खरे | Published: May 3, 2019 10:33 AM2019-05-03T10:33:11+5:302019-05-03T10:33:35+5:30
गुजरात लोकसभा चुनावः पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पराजय झेलने वाली भाजपा ने गुजरात के इस मॉडल पर काम शुरू कर दिया था. भाजपा के टिकट मुस्लिमों को दिए और पंचायतों में वहां तृणमूल के बाद दूूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन कर देश को चौंकाया.
गुजरात की सियासी तस्वीर बरकरार रही या बदल गई, इसका खुलासा 23 मई को हो जाएगा. भाजपा गांवों में मुस्लिम कार्ड के भरोसे मिशन 26 का सपना पाले हुए है तो कांग्रेस अपनी हिस्सेदारी का आकार बढ़ाना चाहती है. कांग्रेस को अगर कुछ मिलने की उम्मीद है तो वह गांव से ही है. अगर गांव और आदिवासी पट्टी में कांग्रेस के मंसूबों पर भाजपा लगाम लगा सकी तो उसे लक्ष्य भेदने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी. इसलिए भाजपा इस बार कांग्रेस को कमजोर करके खुद को मजबूत बनाने की रणनीति पर चली है.
इसके साथ ही गांवों की चुनावी जमीन को केसरिया रंग में रंगने के लिए स्थानीय संस्थाओं के संख्या बल का उपयोग किया गया. भाजपा सतर्क हो कर सधे कदमों से इसलिए चलती रही है कि उसके तंत्र ने भी गांवों को संभालने की जरूरत बताई थी. पंचायतों में मुस्लिम चेहरे गांव पर पकड़ बढ़ाने के लिए भाजपा का गुजरात मॉडल चौंकता भी है.
जहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी ने मुस्लिम चेहरों को जगह नहीं दी वहीं पंचायतों में उसने मुस्लिम नेताओं को टिकट भी दिए और पद भी. यहां तक कि सरपंच और चेयरमैन तक बना कर छिटक रही इस आबादी को करीब लाने की कोशिश करती रही है. विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटें जीतने का करिश्मा इसी वजह से हुआ है.
निकाय चुनावों में भी यही नीति 2015 में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा के 110 प्रत्याशी चुनाव जीत कर आए थे. इसके साथ ही भाजपा का स्थानीय निकायों में मुस्लिम सदस्यों का संख्या बल बढ़कर 180 हो गया था. ताल्लुका पंचायतों में तो भाजपा के 230 मुस्लिम प्रत्याशी जीते थे. इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी कच्छ जिले की रही. बंगाल में भी चला गुजरात मॉडल पश्चिम बंगाल में भी भाजपा ने ग्रामीण चुनाव में गुजरात के इसी मॉडल के भरोसे वहां की 42 सीटों में से 23 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पराजय झेलने वाली भाजपा ने गुजरात के इस मॉडल पर काम शुरू कर दिया था. भाजपा के टिकट मुस्लिमों को दिए और पंचायतों में वहां तृणमूल के बाद दूूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन कर देश को चौंकाया.