लोकसभा चुनाव 2019 में देश भर में बिहार में सबसे ज्यादा नोटा का वोट पड़ा है। बिहार में कुल दो फीसदी वोट नोटा वाले हैं। बहुजन समाज पार्टी, भाकपा माले, सीपीआई, सीपीएम जैसी पार्टियों को बिहार में नोटा से भी कम वोट मिले है।
बिहार में नोटा से कम वोट
पार्टी वोटबीएसपी 1.67%माले 1.33 %सीपीएम 0.07%सीपीआई 0.69%
वामदलों ने बिहार की सात सीटों बेगूसराय, आरा, पूर्वी चंपारण, काराकाट, सिवान, जहानाबाद और उजियारपुर में चुनाव लड़ा था। तीनों दलों को बिहार में 849602 वोट मिले हैं जबकि नोटा को 815144 वोट मिले है। जहानाबाद और पूर्वी चंपारण में वामदलों को नोटा से भी कम वोट मिला।
बहुजन समाज पार्टी ने बिहार सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे भी नोटा से कम वोट मिला।
माले को मिले वोट
सीट माले नोटाआरा 418266 21763काराकाट 24892 22002जहानाबाद 26285 27574 सीवान 74554 8464
सीपीएम को मिले वोटसीट सीपीएम नोटाउजियारपुर 27482 14405
सीपीआई को मिले वोटसीट सीपीआई नोटाबेगूसराय 267917 20408पूर्वी चंपारण 10206 22644
एक तिहाई सीटों पर नोटा तीसरे नंबर पर
बिहार के 40 लोकसभा क्षेत्रों में से एक तिहाई पर लोकसभा चुनाव 2019 में मतदाताओं के लिए नोटा तीसरे सबसे पंसदीदा विकल्प के रूप में सामने आया है। बिहार के अररिया और कटिहार लोकसाभा सीटें, जहां मुस्लिम मतदाताओं की एक बड़ी संख्या है और इन सीटों से अल्पसंख्यक समुदाय के सांसदों को एनडीए उम्मीदवारों के हाथों इस बार पराजय झेलनी पडी है, वहां भी नोटा के प्रति लोगों का रूझान पाया गया है।
अररिया में 20,618 और कटिहार में 20,584 मतदाताओं ने नोटा को विकल्प के रूप में चुना। गोपालगंज में सबसे ज्यादा 51,660 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना।
बिहार में कुल वोटर्स-7.06 करोड़मतदान- 4.07 करोड़प्रतिशत में-57.72 फीसदी वोटिंग