लोकसभा चुनावः ‘ताई’ की विदाई, 30 साल से इंदौर पर भाजपा का कब्जा, इस बार कौन, भाजपा-कांग्रेस में चुनावी भिड़ंत

By भाषा | Published: May 16, 2019 04:01 PM2019-05-16T16:01:46+5:302019-05-16T16:01:46+5:30

इंदौर में 19 मई को मुख्य भिड़ंत भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी (57) और कांग्रेस उम्मीदवार पंकज संघवी (58) के बीच होने वाली है। यहां स्पष्ट चुनावी लहर नदारद है। हालांकि, रोचक संयोग की बात यह है कि सांसदी की दौड़ में शामिल दोनों चुनावी प्रतिद्वन्द्वी अब तक इंदौर नगर निगम के पार्षद पद का चुनाव ही जीत सके हैं।

lok sabha election 2019 Indore in Madhya Pradesh has picked BJP’s Sumitra Mahajan past eight terms. | लोकसभा चुनावः ‘ताई’ की विदाई, 30 साल से इंदौर पर भाजपा का कब्जा, इस बार कौन, भाजपा-कांग्रेस में चुनावी भिड़ंत

प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जड़ें भी मजबूत मानी जाती हैं। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (76) इंदौर से वर्ष 1989 से 2014 के बीच लगातार आठ बार चुनाव जीत चुकी हैं।

Highlightsइंदौर लोकसभा क्षेत्र में करीब 23.5 लाख लोगों को मतदान का अधिकार हासिल है। शर्मा की इस बात से कई मतदाता सहमत नजर आये कि पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार क्षेत्र में चुनाव प्रचार कमोबेश ठंडा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 12 मई की रैली और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के 13 मई के रोड शो में भीड़ जुटाकर क्रमश: भाजपा और कांग्रेस ने अपने पक्ष में चुनावी माहौल तैयार करने की कोशिश की है।

मध्यप्रदेश के इंदौर संसदीय क्षेत्र में पिछले 30 साल से हालांकि भाजपा की विजय पताका फहरा रही है। लेकिन चुनावी समर से लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के विश्राम लेने के बाद इस बार यहां उम्मीदवारों की हार-जीत के समीकरण एकदम बदल गये हैं।

इंदौर में 19 मई को मुख्य भिड़ंत भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी (57) और कांग्रेस उम्मीदवार पंकज संघवी (58) के बीच होने वाली है। यहां स्पष्ट चुनावी लहर नदारद है। हालांकि, रोचक संयोग की बात यह है कि सांसदी की दौड़ में शामिल दोनों चुनावी प्रतिद्वन्द्वी अब तक इंदौर नगर निगम के पार्षद पद का चुनाव ही जीत सके हैं।

दोनों हमउम्र नेता अमूमन लो-प्रोफाइल में रहकर राजनीति करने के लिये जाने जाते हैं। शहर के पलासिया इलाके में चाय की दुकान चलाने वाले श्यामबिहारी शर्मा ने बृहस्पतिवार को कहा, "ताई (मराठी में बड़ी बहन का संबोधन और सुमित्रा महाजन का लोकप्रिय उपनाम) के चुनाव लड़ने से मना करने के बाद से ही ऐसा लग रहा है कि इंदौर सीट का दर्जा वीवीआईपी से सामान्य हो गया है।"

भाजपा और कांग्रेस, दोनों दलों के चुनाव प्रचार में एक तरह की सुस्ती

उन्होंने कहा, "इस बार भाजपा और कांग्रेस, दोनों दलों के चुनाव प्रचार में एक तरह की सुस्ती महसूस की गयी है। लिहाजा मैं पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि लालवानी और संघवी में से कौन चुनाव जीतेगा? हालांकि, इतना तो तय है कि 30 साल के लम्बे अंतराल के बाद हमें लोकसभा सांसद के रूप में नया प्रतिनिधि मिलने वाला है।"

इंदौर लोकसभा क्षेत्र में करीब 23.5 लाख लोगों को मतदान का अधिकार हासिल है। शर्मा की इस बात से कई मतदाता सहमत नजर आये कि पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार क्षेत्र में चुनाव प्रचार कमोबेश ठंडा है। बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 12 मई की रैली और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के 13 मई के रोड शो में भीड़ जुटाकर क्रमश: भाजपा और कांग्रेस ने अपने पक्ष में चुनावी माहौल तैयार करने की कोशिश की है।

इंदौर सीट पर भाजपा का 30 साल पुराना कब्जा बरकरार रखने की चुनौती

सांसदी की दौड़ में पहली बार शामिल भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी खासकर मोदी का नाम लेकर वोट मांगते देखे गये हैं। उनके सामने इंदौर सीट पर भाजपा का 30 साल पुराना कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है।

इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के पूर्व चेयरमैन और इंदौर नगर निगम के पूर्व सभापति लालवानी अपनी सभाओं में राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और घुसपैठियों को देश से बाहर खदेड़ने जैसे मुद्दों को लेकर खूब मुखर हैं।

उधर, कांग्रेस उम्मीदवार पंकज संघवी 21 साल के लम्बे अंतराल के बाद अपने सियासी करियर का दूसरा लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें वर्ष 1998 में इंदौर लोकसभा क्षेत्र में ही भाजपा की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन के हाथों 49,852 मतों से हार का स्वाद चखना पड़ा था।

इस बार संघवी ने अपने चुनाव प्रचार में राष्ट्रीय मुद्दे उठाने के साथ स्थानीय युवाओं को रोजगार, रहवासी इलाकों व औद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी जैसे वादे भी किये हैं।

कांग्रेस का उत्साह मौजूदा लोकसभा चुनावों में उफान पर

पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान 15 साल बाद सूबे की सत्ता में लौटी कांग्रेस का उत्साह मौजूदा लोकसभा चुनावों में उफान पर है। हालांकि, सियासी आलोचकों का मानना है कि कांग्रेस के लिये इंदौर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा का 30 साल पुराना गढ़ भेदना इतना आसान नहीं है।

प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जड़ें भी मजबूत मानी जाती हैं। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (76) इंदौर से वर्ष 1989 से 2014 के बीच लगातार आठ बार चुनाव जीत चुकी हैं।

लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने के भाजपा के नीतिगत निर्णय को लेकर मीडिया में खबरें आने के बाद उन्होंने पांच अप्रैल को खुद घोषणा की थी कि वह इस बार बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी। लम्बी उहापोह के बाद भाजपा ने लालवानी को महाजन का चुनावी उत्तराधिकारी बनाते हुए इंदौर से टिकट दिया। 

Web Title: lok sabha election 2019 Indore in Madhya Pradesh has picked BJP’s Sumitra Mahajan past eight terms.



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