नीतीश कुमार ने फिर किया साफ- जेडीयू आर्टिकल 370 हटाने के पक्ष में नहीं, ईवीएम पर सवाल को बताया बोगस
By विनीत कुमार | Published: May 21, 2019 01:39 PM2019-05-21T13:39:59+5:302019-05-21T13:49:41+5:30
नीतीश कुमार ने कहा, 'ईवीएम पर सवाल उठाना ही बोगस है। ईवीएम के आने के बाद से चुनाव पारदर्शी हुए हैं। इस पर पहले भी सवाल उठाये गये हैं और इसका जवाब भी चुनाव आयोग ने कई बार दिया है।'
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल को झूठा और बनावटी करार दिया है। नीतीश ने कहा कि ईवीएम पर सवाल उठाने की बात कोई नई नहीं है और इसके आने के बाद से चुनाव पारदर्शी हुए हैं।
नीतीश कुमार ने साथ ही कहा कि वह जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के पक्ष में नहीं हैं। नीतीश ने कहा, 'कोई मतभेद नहीं है। हम हमेशा यह मानकर चल रहे हैं कि आर्टिकल 370 को नहीं हटाया जाना चाहिए। यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू नहीं किया जाना चाहिए। अयोध्या मामले का हल कोर्ट या आपसी सुलह से किया जाना चाहिए। हमने बीजेपी के साथ गठबंधन के पहले दिन से अपनी ये बातें साफ रखी हैं।'
नीतीश ने साथ ही कहा, 'इन मुद्दों पर बीजेपी का स्टैंड नया नहीं है। हर पार्टी का अपना स्टैंड होता है लेकिन जब गठबंधन होता है तो इन सब पर चर्चा होती है। इसलिए यहां कोई समस्या नहीं है।'
ईवीएम पर सवाल 'बोगस'
ईवीएम पर विपक्षी पार्टियों की ओर से उठाये जा रहे सवाल पर नीतीश ने कहा, 'ईवीएम पर सवाल उठाना ही बोगस है। ईवीएम के आने के बाद से चुनाव पारदर्शी हुए हैं। यह तकनीक है जिस पर पहले भी कई बार सवाल उठाये गये हैं और इसका जवाब भी चुनाव आयोग ने कई बार दिया है।' नीतीश ने साथ ही कहा, 'चुनाव में हारने वाला पक्ष हमेशा से इस पर सवाल उठाता रहा है। यह कोई नई बात नहीं है।'
ईवीएम के साथ छेड़छाड़ का मामला पिछले कुछ वर्षों में कई बार विभिन्न पार्टियों की ओर से उठाया गया है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह मुद्दा हावी है। चुनाव के बीच में विपक्षी पार्टियों ने वीवीपैट के मिलान को 50 प्रतिशत तक करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का भी रूख किया था। हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए फैसला चुनाव आयोग पर छोड़ दिया। चुनाव आयोग ने इसके बाद कहा कि एक विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदान केंद्रों पर वह वीवीपैट के पर्चों को मिलान करने में सक्षम है। अगर 50 फीसदी पर्चे का मिलान किया गया तो नतीजे आने में 6-7 दिन की देरी हो सकती है।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस जनहित याचिका को भी खारिज किया जिसमें शत-प्रतिशत वीवीपैट पर्चे के मिलान की मांग की गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि इससे लोकतंत्र का नुकसान होगा और वह बार-बार एक ही बात पर सुनवाई नहीं कर सकता।