बेगूसराय ग्राउंड रिपोर्ट: कन्हैया कुमार को लेकर युवाओं में उत्साह, आरजेडी और बीजेपी को दे रहे कड़ी टक्कर

By निखिल वर्मा | Published: April 28, 2019 08:09 AM2019-04-28T08:09:45+5:302019-04-28T08:24:09+5:30

बिहार की बेगूसराय सीट जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया और बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह के कारण लगातार चर्चा में बनी हुई है।

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कन्हैया कुमार पर जेएनयू कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप हैं।

Highlightsलोकसभा चुनाव 2014 में सीपीआई के राजेंद्र प्रसाद सिंह 1.92 लाख वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे।पिछली बार मोदी लहर में बीजेपी के भोला प्रसाद सिंह ने जीत हासिल की थी।

बिहार के बेगूसराय में चौथे चरण में सोमवार (29 अप्रैल) को मतदान होने जा रहा है। जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया और बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह के कारण यह सीट लगातार चर्चा में बनी हुई है। महागठबंधन से यहां डॉक्टर तनवीर हसन मैदान में है, वह पिछली बार दूसरे नंबर पर रहे थे। 

दलित युवाओं में छाया कन्हैया का क्रेज

बेगूसराय के पोखरिया में 27 अप्रैल को चुनाव प्रचार खत्म होने के बावजूद युवाओं का मजमा लगा हुआ था। लोकमत से बातचीत में यहां के दलितों का कहना है कि इस बार वो कन्हैया कुमार को वोट देंगे। पोखरिया में बड़ी आबादी पासवानों की है। लेकिन वे एनडीए में शामिल रामविलास पासवान के समुदाय से आने के बावजूद उन्हें सपोर्ट करते नजर नहीं आते। 

युवा अनिल पासवान कहते हैं, भाजपा को हराने के लिए कन्हैया मजबूत दिख रहे हैं क्योंकि उनके प्रति रुझान है युवाओं में। वह कहते हैं सिर्फ दलितों में ही नहीं बल्कि हर जात और धर्म के युवाओं में कन्हैया लोकप्रिय हैं। 

इसी वार्ड के युवक विक्की प्रकाश (पासवान) ऑटो चलाते हैं और उनके पिता सीपीआइ के कार्ड होल्डर हैं। पिछली बार विक्की ने रोजगार के लिए बीजेपी के लिए वोट दिया था लेकिन उनकी उम्मीदें चकनाचूर हो गई। वहीं इस बार उन्हें कन्हैया कुमार से उम्मीद है।

मुसलमानों को कन्हैया से उम्मीद

जिले में मुस्लिमों की आबादी करीब 2.80 लाख है। इस बार यहां एमवाई (मुस्लिम-यादव) टूटता नजर आ रहा है। शहर के नवाब चौक स्थित मुसलमान मोहल्ले में लोकमत से बातचीत में स्थानीय निवासी अहमद मुर्तजा कहते हैं, इस बार मोदी को हराने के लिए मुसलमानों का पूरा समर्थन कन्हैया को है। कन्हैया ही सिर्फ मोदी को ललकारते हुए दिख रहे हैं।

अहमद कहते हैं, पूरे देश में मुसलमानों को डराकर वोट लिया जाता रहा है, सिर्फ कन्हैया ही है ऐसा है जो हमें लड़ना सिखा रहा है। कन्हैया शिक्षा-विकास की बात कर रहे हैं, भाजपा कब्र की बात कर रही है जबकि तनवीर हसन कौम की बात कर रहे हैं। कन्हैया ही एक मात्र ऐसा व्यक्ति है जो सबको लेकर चलने की बात कर रहा है। अहमद दावा करते हैं कि इस बार कन्हैया 2-3 लाख वोटों से जीत हासिल करेंगे।

भूमिहार वोट किसकी तरफ

पिछली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले भोला सिंह भूमिहार जाति से थे। बेगूसराय के बरौनी प्रखंड स्थित बीहट पंचायत के निवासी कन्हैया भी भूमिहार जाति से आते हैं। इस सीट पर करीब 4.5 लाख भूमिहार वोटर हैं। इस बार बीजेपी से नवादा के सांसद गिरिराज सिंह इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। कट्टर हिन्दूवादी नेता की पहचान बना चुके गिरिराज भी भूमिहार जाति से आते हैं। 

बेगूसराय में जातिगत आंकड़ा
भूमिहार-4.5 लाख
मुस्लिम-2.80 लाख
कुशवाहा-2 लाख
कुर्मी-2 लाख
यादव-1.5 लाख

कुल वोटर-18 लाख (अनुमानित)

रामदीरी के रहने वाले नीलेश कुमार कहते हैं, 26 अप्रैल के रोड शो के बाद कन्हैया के लिए बेगूसराय में व्यापक माहौल बना है। वो कहते हैं, यहां के सवर्ण शुरू से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। कांग्रेसी उम्मीदवार नहीं होने के कारण इस बार पार्टी का वोट कन्हैया कुमार की तरफ शिफ्ट हो सकता है। 

बेगूसराय में 7 विधानसभा की सीटे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में महागठबंधन के उम्मीदवारों ने सातों सीट पर जीत हासिल की थी। उस समय आरजेडी ने तीन, कांग्रेस ने दो और जेडीयू ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी। 

नीलेश कहते हैं, इस बार स्थिति 2015 की तरह नहीं है, नीतीश महागठबंधन छोड़कर एनडीए में हैं। इसके अलावा साहेबपुर कमाल जैसी सीट जो कभी भी सीपीआई जीतने में असफल रही है, वहां भी इस बार कन्हैया फैक्टर चल रहा है।

पार्टी से बड़े कन्हैया?

बेगूसराय में इस बार सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया की व्यक्तिगत छवि पार्टी से बड़ी होती दिख रही है। सीपीआई को पसंद नहीं करने वाले लोग भी कन्हैया को वोट करने के लिए तैयार हैं।

युवा दलित कुंदन कुमार कहते हैं, वामपंथी दलों ने दलितों-मुसलमानों के लिए किया ही क्या है। पश्चिम बंगाल में 34 साल सरकार रहने के बाद भी वहां की दलित-मुसलमानों की स्थिति देख लीजिए। लेकिन कन्हैया की बात अलग है। वो नफरत की राजनीति की जगह शिक्षा और विकास की बात कर रहे हैं।

आरजेडी रही है खाली हाथ

राष्ट्रीय जनता दल का गठन 1997 में हुआ था, उसके बाद यहां हुए पांच लोकसभा चुनावों में पार्टी कभी चुनाव नहीं जीत पाई है। बीजेपी को भी पहली बार यहां सफलता पिछली बार मोदी लहर में मिली थी। यहां से सीपीआई के पूर्व नेता दिवंगत भोला सिंह ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी। सीपीआई के राजेंद्र प्रसाद सिंह 1.92 लाख वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में सीपीआई दूसरी नंबर रही थी।    

साल    विजयी              दल    जीत का अंतर
2014 भोला सिंह       बीजेपी   59 हजार
2009 मोनाजिर हसन   जेडीयू    41 हजार 
2004 राजीव रंजन सिंह जेडीयू    20 हजार
1999 राजो सिंह       कांग्रेस   20 हजार    
1998 राजो सिंह       कांग्रेस   53 हजार
1996 रमेंद्र कुमार     निर्दलीय  26 हजार
1991 कृष्णा शाही     कांग्रेस    68 हजार

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