लोकसभा चुनावः बिहार में चीनी मिलें बन्द, खेती व किसानी की कमर टूटी, राजनीति के कोल्हू में गन्ना बना किसान

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 5, 2019 04:01 PM2019-05-05T16:01:55+5:302019-05-05T16:01:55+5:30

चंपारण, मुजफ्फरपुर, सारण से लेकर बिहार के अनेक क्षेत्रों के किसानों का है, जहां पिछले चार दशकों में एक-एक कर एक दर्जन से अधिक चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं। पिछले कुछ दशकों में बंद हुई चीनी मिलों में मोतिहारी, चकिया, मुजफ्फरपुर की मोतीपुर चीनी मिल, सारण की मढ़ौरा चीनी मिल, गोपालगंज की हथुआ चीनी मिल, नवादा जिले की वारिसलीगंज, मिथिला क्षेत्र में सकरी और लोहट चीनी मिल, पूर्णिया की बनमनखी चीनी मिल, वैशाली की गोरौल चीनी मिल और गया की गुरारू चीनी मिल शामिल हैं।

lok sabha election 2019 Ahead of 2014 Lok Sabha polls, Narendra Modi had said that during his next visit, he would sip tea with sugar from Motihari sugar mill in East Champaran district. The mill was closed down in 2002, and still remains closed. | लोकसभा चुनावः बिहार में चीनी मिलें बन्द, खेती व किसानी की कमर टूटी, राजनीति के कोल्हू में गन्ना बना किसान

लोगों का आरोप है कि चीनी मिल चालू कराने के नाम पर यहां कई लोग नेता बनकर सत्तासुख भोगते रहे लेकिन बंद पड़ी इन मिलों का उद्धार नहीं हो पाया।

Highlightsपूर्वी चंपारण में तीन चीनी मिलें मोतिहारी, सुगौली और चकिया हैं। इसमें मोतिहारी और चकिया मिल सालों से बंद हैं।सांसद राधामोहन सिंह के कृषि मंत्री बनने के बाद चंपारण की जनता को उनसे काफ़ी उम्मीदें थी लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं मिला।

‘‘किसान गन्ने की खेती कर खुशहाल रहते थे, उन्हें इससे नकद पैसे मिलते थे, जिससे परिवार चलाना आसान होता था। चीनी मिल से अन्य रोजगार भी मिल जाता था। लेकिन चीनी मिलें बंद होने से खेती और किसानी दोनों की कमर टूट गई है और नेताओं के लिये यह सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह गया।’’

यह दर्द चंपारण, मुजफ्फरपुर, सारण से लेकर बिहार के अनेक क्षेत्रों के किसानों का है, जहां पिछले चार दशकों में एक-एक कर एक दर्जन से अधिक चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं। पिछले कुछ दशकों में बंद हुई चीनी मिलों में मोतिहारी, चकिया, मुजफ्फरपुर की मोतीपुर चीनी मिल, सारण की मढ़ौरा चीनी मिल, गोपालगंज की हथुआ चीनी मिल, नवादा जिले की वारिसलीगंज, मिथिला क्षेत्र में सकरी और लोहट चीनी मिल, पूर्णिया की बनमनखी चीनी मिल, वैशाली की गोरौल चीनी मिल और गया की गुरारू चीनी मिल शामिल हैं।

बंद होने से हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं

इन मिलों के बंद होने से हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं, साथ ही गन्ने की खेती पर आधारित कृषि व्यवस्था ध्वस्त हो गई। गन्ना किसान संघर्ष मोर्चा के रविरंजन सिंह, शंकर भगवान ओझा और रामचंद्र साव कहते हैं कि यहां के किसानों को केवल चीनी मिल चाहिए। किसान परिवारों के लिए आय दुगनी करने की घोषणा का कोई मतलब नहीं है।

उन्होंने कहा कि किसान गन्ने की खेती कर खुशहाल रहते थे, उन्हें गन्ने की खेती से नकद पैसे मिल जाते थे, जिससे परिवार चलाना आसान था। चीनी मिल से अन्य रोजगार भी मिलते थे। चुनाव के समय सरकारी स्तर पर मिल दोबारा खोलने की बात जोर पकड़ती तो है लेकिन होता कुछ नहीं है।

बिहार सरकार के सूत्रों ने बताया कि मिलों को खोलने से लेकर राज्य की बंद पड़ी चीनी मिलों की जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र बसाने तक की योजना है। इसके लिए सरकारी स्तर पर प्रयास चल रहा है। बहरहाल, पिछले वर्ष पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी में बंद पड़ी चीनी मिल खुलवाने और बकाया राशि के भुगतान की मांग को लेकर आत्मदाह की कोशिश में मजदूर की मौत हो गई। मोतिहारी स्थित श्री हनुमान चीनी मिल मजदूर संघ पिछले 10-12 सालों से बंद पड़ी चीनी मिल को खुलवाने और बकाया राशि के भुगतान सहित कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है।

समस्या रोजगार के साथ बकाये के भुगतान को लेकर भी है

इनकी समस्या रोजगार के साथ बकाये के भुगतान को लेकर भी है। पूर्वी चंपारण में तीन चीनी मिलें मोतिहारी, सुगौली और चकिया हैं। इसमें मोतिहारी और चकिया मिल सालों से बंद हैं। बीच में एक दो बार खुलीं फिर बंद हो गईं। ऐसे में पूर्वी चंपारण के किसानों को अपना गन्ना पश्चिमी क्षेत्र की मिलों में भेजना पड़ता है और परिवहन का खर्च भी खुद ही उठाना पड़ता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां के सांसद राधामोहन सिंह के कृषि मंत्री बनने के बाद चंपारण की जनता को उनसे काफ़ी उम्मीदें थी लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं मिला। मोतिहारी और चकिया की चीनी मिल करीब चार हज़ार परिवारों की रोजी रोटी का स्रोत थी, लेकिन अब रोजगार के अभाव में कई या तो पलायन कर गए या दूसरे रोजगार में लग गए।

मोतीपुर गन्ना किसान यूनियन के रमण कुमार बताते हैं कि जब इन चीनी मिलों की शुरुआत हुई थी तो सरकार ने प्राइवेट मिलों को भी एक भूभाग दिया था जिसपर वे अपना गन्ना उत्पादन करें ताकि विषम परिस्थितियों में मिल का काम रुके नहीं। अब कई स्थानों पर उन जमीनों को बेचा जा रहा है और कई जमीन पर कथित रूप से भू माफिया की नजर है।

मढ़ौरा चीनी मिल बंद होने के बाद सारण के ग्यारह प्रखंडों के करीब बीस हजार परिवारों को एक चीनी मिल की दरकार है। करीब बीस साल पहले ये लोग गन्ना की खेती करते थे। यह इनकी नकदी फसल थी, जो इन्हें संपन्न बनाये हुए थी।

मढ़ौरा चीनी मिल बंद होने के बाद मढ़ौरा, अमनौर, तरैया, मशरक, पानापुर, इसुआपुर, मकेर, परसा, दरियापुर एवं बनियापुर प्रखंडों के गांवों में गन्ने की खेती भी बंद हो गयी जिससे किसान परिवारों की स्थिति खराब हो गई है। गोपालगंज की हथुआ चीनी मिल में 1996-97 से गन्ने की पेराई बंद है और यह अब खंडहर होने लगी है।

नवादा जिले के वारिसलीगंज के किसानों को बंद पड़ी चीनी मिल के खुलने का इन्तजार है। लोगों का आरोप है कि चीनी मिल चालू कराने के नाम पर यहां कई लोग नेता बनकर सत्तासुख भोगते रहे लेकिन बंद पड़ी इन मिलों का उद्धार नहीं हो पाया।

Web Title: lok sabha election 2019 Ahead of 2014 Lok Sabha polls, Narendra Modi had said that during his next visit, he would sip tea with sugar from Motihari sugar mill in East Champaran district. The mill was closed down in 2002, and still remains closed.



Get the latest Election News, Key Candidates, Key Constituencies live updates and Election Schedule for Lok Sabha Elections 2019 on www.lokmatnews.in/elections/lok-sabha-elections. Keep yourself updated with updates on Bihar Loksabha Elections 2019, phases, constituencies, candidates on www.lokmatnews.in/elections/lok-sabha-elections/bihar.