जानिए कौन हैं चंद्रशेखर आजाद, जिन्होंने ठोकी PM मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की ताल, कैसे बने दलित चेहरा?
By रामदीप मिश्रा | Updated: March 14, 2019 15:41 IST2019-03-14T15:38:54+5:302019-03-14T15:41:22+5:30
चंद्रशेखर आजाद उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के रहने वाले हैं और उन्होंने भीम आर्मी की स्थापना अक्टूबर 2015 में की थी। वह इस संगठन का उद्देश्य दलित समुदाय में शिक्षा के प्रसार बताते आए हैं।

जानिए कौन हैं चंद्रशेखर आजाद, जिन्होंने ठोकी PM मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की ताल, कैसे बने दलित चेहरा?
लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों के बीच लड़ाई दिलचस्प होती जा रही है। इस बीच उत्तर प्रदेश में दलित चेहरे के रूप में उभरे भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इससे पहले कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मेरठ अस्पताल में भर्ती चंद्रशेखर से मुलाकात की थी, जिसके बाद कयास लगाए जाने लगे हैं कि कांग्रेस भीम आर्मी से गठजोड़ कर चंद्रशेखर को समर्थन कर सकती। आइए आपको बताते हैं कि कौन हैं चंद्रशेखर आजाद जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले कुछ समय से सुर्खियों में बने हुए हैं...
चंद्रशेखर ने दलित छात्रों की पिटाई का किया विरोध
चंद्रशेखर आजाद उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के रहने वाले हैं और उन्होंने भीम आर्मी की स्थापना अक्टूबर 2015 में की थी। वह इस संगठन का उद्देश्य दलित समुदाय में शिक्षा का प्रसार बताते आए हैं। हालांकि अब कहा जाने लगा है कि यह संगठन धीरे-धीरे राजनीतिक शक्ल ले रहा है। चंद्रशेखर का संगठन भीम आर्मी उस समय भी चर्चा में आया जब उन्होंने सितंबर 2016 में सहारनपुर में एएचपी इंटर कॉलेज में दलित छात्रों का जमकर विरोध किया था। इस संगठन से भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं।
चंद्रशेखर ने 'द ग्रेट चमार' के बोर्ड से बटोरी सुर्खियां
कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रशेखर भीम आर्मी को लेकर कह चुके हैं कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उनका संगठन दलित उत्पीड़न के खिलाफ संवैधानिक तरीके से लड़ाई लड़ रहा है। इसी वजह से इस संगठन की पहुंच दूर दराज के गांवों तक पहुंची है। इसके अलावा चंद्रशेखर ने अपने गांव घडकौली के सामने 'द ग्रेट चमार' का बोर्ड लगाया था। जिसकी खूब चर्चा हुई थी। उनके इस अनोखे अंदाज का विरोध भी हुआ, लेकिन युवाओं व दलितों के बीच भीम आर्मी को लेकर भरोसा जागा और चंद्रशेखर की देखते ही देखते लोकप्रियता बढ़ गई।
चंद्रशेखर सहारनपुर हिंसा के थे मुख्य आरोपी
चंद्रशेखर उस समय भी सुर्खियों में आए थे जब साल 2017 में सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच जातीय हिंसा हुई थी और जिले में करीब एक महीने तक तनाव की स्थिति देखी गई थी। इस हिंसा का मुख्य आरोपी चंद्रशेखर को माना गया था और उनके खिलाफ कई केस दर्ज हुए थे। इस मामले में उनके खिलाफ प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया था और जेल में बंद कर दिया था। रासुका लगने को लेकर भीम आर्मी ने प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक जमकर विरोध प्रदर्शन किया था। हालांकि, सरकार ने समय से पहले चंद्रशेखर को जेल से रिहा कर दिया। उन्हें 1 नवंबर, 2018 तक जेल में रहना था। सियासी गलियारों में उनकी रिहाई को लेकर कहा गया कि सूबे की सरकार ने लोकसभा चुनाव को लेकर ऐसा कदम उठाया है।
पुलिस हिरासत में बिगड़ी तबीयत
चंद्रशेखर अभी हाल ही में इस वजह से सुर्खियों में आ गए कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। दरअसल, वह सहारनपुर से दिल्ली के लिए 'बहुजन सुरक्षा अधिकार यात्रा' निकाल रहे थे। यात्रा जब देवबंद पहुंची तब आचार संहिता के उल्लंघन का हवाला देते हुए पुलिस ने यात्रा रोक दी और चंद्रशेखर को हिरासत में ले लिया। पुलिस की कार्रवाई से नाराज उनके समर्थकों ने राजमार्ग पर हाईवे पर हंगामा शुरू कर दिया। गुस्साई भीड़ की अधिकारियों के साथ नोकझोंक हुई। हंगामे के बीच अचानक चंद्रशेखर की तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें मेरठ लाया गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया।
15 मार्च को दिल्ली में हुंकार रैली
चंद्रशेखर की पदयात्रा देबवंद में रोके जाने को लेकर उन्होंने एक वीडियो में कहा कि योगी आदित्यनाथ के इशारे पर ऐसा किया गया। उन्हे यातरा करने की अनुमति दी गई थी, जिसको लेकर प्रशासन और सरकार ने झूठ फैलाया। अब 15 मार्च को दिल्ली में बहुजन हुंकार रैली की जाएगी, जिसमें भारी संख्या में लोग भाग लेने वाले हैं और यह रुकने वाला नहीं है। इधर, प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की उनसे मेरठ अस्पताल में मुलाकात के बाद सियासी हल-चल बढ़ गई है। हालांकि वह पहले कह चुके हैं कि इस चुनाव में बहुजन समाज मायावती का समर्थन करेगा।