चुनावी किस्से: जब राजीव गांधी के कहने पर चुनाव लड़ीं मीरा कुमार, मायावती-रामविलास को हराकर पहुंचीं संसद

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 16, 2019 10:36 AM2019-05-16T10:36:30+5:302019-05-16T10:37:27+5:30

मोदी लहर में मीरा कुमार को 64 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा। मीरा कुमार को इस बार आरजेडी, हम, रालोसपा सहित कई छोटे दलों का समर्थन है, जबकि बीजेपी के साथ जेडीयू और रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी है।

lok sabha chunav 2019 battle of sasaram meira kumar vs Chhedi Paswan | चुनावी किस्से: जब राजीव गांधी के कहने पर चुनाव लड़ीं मीरा कुमार, मायावती-रामविलास को हराकर पहुंचीं संसद

मीरा कुमार लोकसभा की पूर्व स्पीकर रह चुकी हैं।

Highlightsसासाराम से कुल 13 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं।1957 से 1984 तक लगातार जगजीवन राम ने सासाराम सीट का प्रतिनिधित्व किया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट के बगल में बिहार के सासाराम में भी लोकसभा चुनाव 2019 के सातवें चरण में 19 मई को मतदान होगा। इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार मीरा कुमार और वर्तमान सांसद छेदी पासवान के बीच कड़ी टक्कर है। इस सुरक्षित सीट पर छेदी पासवान ने तीन बार, जबकि मीरा कुमार ने अब तक दो बार जीत हासिल की है।

राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में आईं मीरा कुमार

लोकसभा की पहली महिला स्पीकर रहीं और जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार ने 1985 में राजनीति में प्रवेश किया था। देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम ने आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को छोड़कर भारतीय लोकदल से चुनाव लड़ा था। जगजीवन राम कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं, इंदिरा गांधी सरकार में वह देश के रक्षा मंत्री थे।

बाबू जगजीवन राम के कांग्रेस से अलग होने के बावजूद 1985 में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के आग्रह पर उन्होंने बिजनौर से लोकसभा चुनाव लड़ा।
कांग्रेस के गिरधारी लाल जैसे दिग्गज के निधन के बाद खाली हुई बिजनौर लोकसभा सीट पर 1985 में उपचुनाव हुआ था। 

मीरा कुमार का लोकदल के रामविलास पासवान से था। मान्यता प्राप्त दल नहीं होने के कारण बसपा प्रत्याशी होते हुए भी मायावती सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार निर्दलीय मैदान में थी। इस रोमाचंक चुनाव में मीरा कुमार ने रामविलास पासवान को 5 हजार वोटों से पटखनी दी थी। मायावती 61 हजार वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहीं थी।

सासाराम में पिता की विरासत को आगे बढ़ाने में रहीं नाकाम

1957 से 1984 तक लगातार जगजीवन राम ने सासाराम सीट का प्रतिनिधित्व किया था। उनके निधन के बाद हुए 1989 में पहली बार मीरा कुमार ने चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें जनता दल के छेदी पासवान के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1991 लोकसभा चुनाव में भी छेदी पासवान ने मीरा कुमार को हराया। मीरा कुमार पहली बार जीत 2004 में मिली, जब उन्होंने पूर्व आइएएस ऑफिसर और बीजेपी सांसद मुनीलाल को हराया। मुनीलाल तीन बार बीजेपी सांसद रहे हैं, 1996 में इस सीट पर कमल खिलाने का श्रेय उन्हें ही है।

विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली तीन सीटें

सासाराम सुरक्षित संसदीय क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में तीन क्षेत्र कैमूर जिले के और तीन रोहतास जिले के हैं। इस संसदीय क्षेत्र में मोहनिया (सु), भभुआ, चैनपुर, चेनारी (सु), सासाराम और करगहर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में 3 सीट बीजेपी के खाते में गई। वहीं रालोसपा, आरजेडी और जेडीयू एक-एक सीट पर जीतने में कामयाब रहे थे।

13 उम्मीदवार मैदान में

सासाराम से कुल 13 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, और छह निर्दलीय समेत 13 उम्मीदवार शामिल हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 17.72 लाख मतदाता हैं। इनमें 9.28 लाख पुरुष और 8.44 लाख महिला शामिल हैं। 

74 वर्षीय मीरा की अग्निपरीक्षा

मोदी लहर में मीरा कुमार को 64 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा। मीरा कुमार को इस बार आरजेडी, हम, रालोसपा सहित कई छोटे दलों का समर्थन है, जबकि बीजेपी के साथ जेडीयू और रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी है। रालोसपा पिछले चुनाव में एनडीए के साथ थी, लेकिन इस बार वह महागठबंधन के साथ है। मीरा कुमार रविदास जाति से आती हैं, जबकि छेदी पासवान समुदाय से। 
 

Web Title: lok sabha chunav 2019 battle of sasaram meira kumar vs Chhedi Paswan