LMOTY 2019: उद्धव ठाकरे ने सीएम फडणवीस से पूछा 'हाऊ इज द जोश', लोकमत के अवार्ड में कही ये अहम बातें
By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: February 21, 2019 00:31 IST2019-02-21T00:28:34+5:302019-02-21T00:31:45+5:30
लोकमत का सबसे बड़ा लोकमत महाराष्ट्रीयन ऑफ द ईयर 2019 अवॉर्ड्स का आयोजन किया गया। जहां शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को सम्मानित किया गया।

LMOTY 2019: उद्धव ठाकरे ने सीएम फडणवीस से पूछा 'हाऊ इज द जोश', लोकमत के अवार्ड में कही ये अहम बातें
लोकमत का सबसे बड़ा लोकमत महाराष्ट्रीयन ऑफ द ईयर 2019 अवॉर्ड्स का आयोजन किया गया। जहां शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को सम्मानित किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा बीजेपी से अब हमारा गठबंधन हो चुका है। मैं आज राजनीति पर नहीं बोलूंगा, लेकिन 'साथ रहे तो ठीक वरना सीधे भिड़ जाना हमारे खून में है।
इस अवसर पर मंच पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। साफ नहीं हो सका कि उनके वक्तव्य का निशाना राजनीतिक विरोधियों की ओर था या मित्र पक्ष की ओर। 'लोकमत महाराष्ट्रियन ऑफ द ईयर' पुरस्कार समारोह में उद्धव ठाकरे को 'पॉवर आइकॉन ऑफ द ईयर' का पुरस्कार विख्यात समाजसेवक अप्पासाहब धर्माधिकारी के हाथों दिया गया। इसी अवसर पर ठाकरे विचार व्यक्त कर रहे थे, ठाकरे ने कहा, पिछले दो दिन से मुंह बंद है।परसों के बाद से कुछ नहीं सूझ रहा। मैं अब मुख्यमंत्री से पूछना चाहूंगा, 'हाऊ इज द जोश'! राजनीति पर बोलने के लिए अगला महीना है ही।
साथ आने वालों का स्वागत है, वरना तो हम सीधे भिड़ जाते हैं। आज के पुरस्कार समारोह पर पुलवामा हमले का साया है, देश इस बात का रास्ता देख रहा है कि हम कैसे पाकिस्तान की कमर तोड़ते हैं। हम सबको मिलकर पाकिस्तान के पेट पर ऐसी चोट देनी चाहिए कि वह फिर कभी भी भारत पर हमला बोलने की हिम्मत न दिखा सके। उन्होंने कहा कि मैं इस पुरस्कार को अपने शिवसैनिकों की ओर से स्वीकारता हूं। अगर वह मुश्किलों के दौर में मेरे साथ खड़े नहीं होते तो मुझे यह पुरस्कार नहीं मिलता।
ठाकरे ने कहा कि इसलिए मैं अपना यह पॉवर आइकॉन शिवसैनिकों को समर्पित करता हूं। मंच पर मौजूद तमाम लोगों के पास घरानों की विरासत है, अप्पासाहब को नानासाहब की विरासत मिली है। मुझे और विजय बाबू को भी राजनीतिक विरासत मिली है। उन्होंने कहा कि नानासाहब के साथ इससे पहले भी एक-दो कार्यक्रम हुए हैं। धर्माधिकारी कभी अकेले नहीं होते, जहां तक नजर जाती है बस लोग ही लोग। किसी भी उजाड़ जगह को बसाने की ताकत इन लोगों में है। नानासाहब के सामने मौजूद लोगों की गिनती तो असंभव थी, नानासाहब ने उस वक्त बताया था कि मैं पिछले 60-62 साल से घर-घर जा रहा हूं।
नानासाहब के वह शब्द हमेेशा के लिए मेरे दिल में घर कर गए, हम घर-घर जाते हैं वोट मांगने के लिए, लेकिन धर्माधिकारी घरों को जिंदा करने, उन्हें घर का रूप देने के लिए जाते हैं। इस वजह से अप्पासाहब के हाथों मिले पुरस्कार को मैं आशीर्वाद समझकर स्वीकार करता हूं। ठाकरे ने कहा कि इस आशीर्वाद के कारण कामयाबी मिलना तय है। यहां पुरस्कार हासिल करने वाले लोगों के काम के आगे छोटा महसूस करने की बात को स्वीकारते हुए ठाकरे ने कहा कि उनके पीछे कौन खड़ा होता है? ग्रामीण भाग से आई महिलाओं ने पानी मांगा। लेकिन उनका काम रुकता नहीं है. इन्हीं लोगों के कारण आज महाराष्ट्र उन्नत है. अखबार चलाना आसान काम नहीं है,अखबार जहां लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होता है, वहीं मार्गदर्शन करना भी इसी का काम होता है।यह विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने लोकमत के काम की प्रशंसा की