लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- सदन में डिबेट, डिस्कशन और डिसेंट हो सकता है, लेकिन डिस्टरबेंस नहीं होना चाहिए

By भाषा | Updated: December 18, 2019 17:28 IST2019-12-18T17:28:40+5:302019-12-18T17:28:40+5:30

भारत में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79 वें सम्मेलन का उदघाटन करते हुए लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा, ‘‘ सदन में 'डिबेट, डिस्कशन और डिसेंट' हो लेकिन ‘डिस्टरबेंस’ नहीं होना चाहिए क्योंकि जनता की आशा और आकांक्षा सदन चलने की है जहां उनकी समस्यायें उठायी जायें। 

Legislatures should not be reduced to arenas of political slugfest says lok sabha president Om Birla | लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- सदन में डिबेट, डिस्कशन और डिसेंट हो सकता है, लेकिन डिस्टरबेंस नहीं होना चाहिए

File Photo

Highlightsलोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कहा कि संसद और विधानसभाओं में 'डिबेट, डिस्कशन और डिसेंट' हो सकता है लेकिन ‘डिस्टरबेंस’ नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में जनता की लोकतंत्र में आस्था बढ़ी है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कहा कि संसद और विधानसभाओं में 'डिबेट, डिस्कशन और डिसेंट' हो सकता है लेकिन ‘डिस्टरबेंस’ नहीं होना चाहिए क्योंकि जनता की आशा और आकांक्षा सदन चलने की है जहां उनकी समस्याएं उठायी जाएं। उन्होंने कहा कि विधायी निकायों को राजनीति का अखाड़ा न बनने दिया जाये। उन्होंने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में जनता की लोकतंत्र में आस्था बढ़ी है और इस वर्ष आम चुनाव में संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में सबसे ज्यादा 67.40 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। 

भारत में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79 वें सम्मेलन का उदघाटन करते हुए लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा, ‘‘ सदन में 'डिबेट, डिस्कशन और डिसेंट' हो लेकिन ‘डिस्टरबेंस’ नहीं होना चाहिए क्योंकि जनता की आशा और आकांक्षा सदन चलने की है जहां उनकी समस्यायें उठायी जायें। 

उन्होंने कहा कि विधायी निकायों को राजनीति का अखाड़ा न बनने दिया जाये।’’ उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जहां पारदर्शी तरीके से चुनाव होते हैं। इस लोकतंत्र की विशेषता है कि 130 करोड़ लोगों का देश है और इतने बड़े देश में उत्साह के साथ सभी क्षेत्रों में किसी भी मौसम-सर्दी, गर्मी या बरसात में और किसी भी भौगोलिक क्षेत्र-पहाड़ी हो, दुर्गम हो, मतदाताओं की लगातार लोकतंत्र में बढ़ती आस्था और बढ़ता मतदान यह संकेत करता है कि भारत की जनता का लोकतंत्र के प्रति दृढ़विश्वास बढ़ता जा रहा है।’’

उन्होंने कहा कि इस वर्ष 19 जून को लोकसभा में सर्वसम्मति से अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद से वह सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों के भरोसे, सहयोग और सहमति से इसे चलाने का प्रयास कर रहे हैं और उनकी कोशिश है कि इसकी मर्यादाओं और परंपराओं को ऊंचाई पर पहुंचाया जाये। इस संबंध में बिरला ने कहा कि 37 दिन के संसद के पहले सत्र में एक दिन भी कार्यवाही स्थगित नहीं हुई और इसकी उत्पादकता 125 प्रतिशत रही। 

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार दूसरे सत्र में 115 प्रतिशत कामकाज हुआ। संसद और राज्य विधानसभाओं को जनता के विश्वास और जवाबदेही का मंदिर बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने दोनों सत्रों में अधिकतम प्रश्न उठाने और पहली बार चुने गये जनप्रतिनिधियों को अपनी समस्यायें उठाने तथा चर्चा में भाग लेने का मौका दिया। इस संबंध में उन्होंने कहा कि कानून बनाने के अलावा सदस्यों को अविलंबनीय जनहित के मुददे उठाने के लिये पर्याप्त समय और पर्याप्त अवसर देना भी पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी है। 

हालांकि, उन्होंने कहा कि सदन में 'डिबेट, डिस्कशन और डिसेंट' हो लेकिन ‘डिस्टरबेंस’ नहीं होना चाहिए क्योंकि जनता की आशा और आकांक्षा सदन चलने की है जहां उनकी समस्यायें उठायी जायें। उन्होंने कहा कि विधायी निकायों को राजनीति का अखाड़ा न बनने दिया जाये। बिरला ने कहा कि 2021 में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के 100 वर्ष पूरे होंगे जबकि 2022 में भारत की आजादी के 75 साल पूरे हो जायेंगे। 

उन्होंने कहा कि 2021 में सभी विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारी अपनी विधानसभाओं का विशेष सत्र बुलायेंगे जिसमें लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सदस्यों को प्रशिक्षण देने तथा क्षमता निर्माण पर ध्यान दिया जाये जिससे जनता के मुद्दे सही तरीके से उठाये जा सकें। उन्होंने बताया कि दो दिवसीय सम्मेलन में दल-बदल कानून, कार्यपालिका पर नियंत्रण, सरकार के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने, विधानसभा की बैठकों के दिन बढ़ाने और उसकी अवधि तय करने सहित कई विषयों पर विचार-विमर्श होगा। 

लोकसभा अध्यक्ष ने उम्मीद जतायी कि यहां देवभूमि में बिना किसी पूर्वाग्रह के देवताओं की तरह चर्चा होगी और प्रयास किया जायेगा कि तय किये लक्ष्यों को 2021 तक पूरा करें। बिरला ने कहा कि उनका विचार है कि विधानसभाएं और लोकसभा को डिजिटल करने के युग की ओर बढ़ा जाये। 

उन्होंने इस संबंध में उन राज्यों की प्रशंसा की जो अपनी विधानसभाओं के डिजिटलीकरण और उन्हें पेपरलैस बनाने की शुरूआत कर चुके हैं। देश की आकांक्षाओं के अनुरूप परिणाम लाने को पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी बताते हुए उन्होंने आशा जतायी कि हर सम्मेलन की तरह यह मंच भी कुछ निर्णय करके निकलेगा।

Web Title: Legislatures should not be reduced to arenas of political slugfest says lok sabha president Om Birla

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे