प्रमुख विपक्षी नेताओं ने किसानों के आठ दिसंबर के भारत बंद के आह्वान का समर्थन किया

By भाषा | Updated: December 6, 2020 20:57 IST2020-12-06T20:57:35+5:302020-12-06T20:57:35+5:30

Leading opposition leaders support farmers' call for 8 December Bharat bandh | प्रमुख विपक्षी नेताओं ने किसानों के आठ दिसंबर के भारत बंद के आह्वान का समर्थन किया

प्रमुख विपक्षी नेताओं ने किसानों के आठ दिसंबर के भारत बंद के आह्वान का समर्थन किया

नयी दिल्ली, छह दिसंबर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रमुख एम के स्टालिन तथा पीएजीडी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला समेत प्रमुख विपक्षी नेताओं ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी कर किसान संगठनों द्वारा आठ दिसंबर को किये गये ‘भारत बंद’ के आह्वान का समर्थन किया और केंद्र पर प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को मानने के लिये दबाव बनाया।

हजारों प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि मंगलवार को पूरी ताकत के साथ देशव्यापी हड़ताल की जाएगी। ये किसान तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।

बयान में कहा गया है, ‘‘ राजनीतिक दलों के हम दस्तखत करने वाले नेतागण देशभर के विभिन्न किसान संगठनों द्वारा आयोजित भारतीय किसानों के जबर्दस्त संघर्ष के साथ एकजुटता प्रकट करते हैं और इन पश्चगामी कृषि कानूनों एवं बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग को लेकर उनके द्वारा आठ दिंसबर को किये गये भारत बंद के आह्वान का समर्थन करते हैं।’’

इस बयान पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा, भाकपा (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, ऑल इंडिया फारवार्ड ब्लॉक (एआईएफबी) के महासचिव देवव्रत विश्वास और आरएसपी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य ने भी दस्तखत किये हैं।

बयान में कहा गया है, ‘‘ संसद में ठोस चर्चा और मतदान पर रोक लगाते हुए अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किये गये ये नये कृषि कानून भारत की खाद्य सुरक्षा, भारतीय कृषि एवं हमारे किसानों की बर्बादी का खतरा पैदा करते हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था के खात्मे की बुनियाद डालते हैं, भारतीय कृषि एवं हमारे बाजारों को बहुराष्ट्रीय कृषि कारोबारी औद्योगिक एवं घरेलू कॉरपोरेट घरानों की मर्जी के आगे गिरवी रखते हैं।’’

इन नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं एवं नियमों का पालन करना चाहिए तथा ‘‘किसान-अन्नदाताओं की वैध मांगों को पूरा करना चाहिए।’’

सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच पांच दौर की चर्चा के बाद भी शनिवार को वार्ता बेनतीजा रही। किसान संगठनों के नेता नये कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़ गये और उन्होंने केंद्र को गतिरोध दूर करने के लिए नौ दिसंबर को अगले दौर की बैठक बुलाने के लिए बाध्य कर दिया।

कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम, 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम, 2020 का विरोध कर रहे हैं।

सितंबर में बनाये गये तीनों कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक बड़े सुधार के रूप में पेश किया है और कहा कि इससे बिचौलिये हट जायेंगे एवं किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच पायेंगे।

किसान समुदाय को आशंका है कि केन्द्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की ‘‘अनुकंपा’’ पर छोड़ दिया जायेगा।

सरकार ने कहा है कि एमएसपी एवं मंडी व्यवस्था बनी रहेगी।

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Web Title: Leading opposition leaders support farmers' call for 8 December Bharat bandh

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