कानून मंत्री ने सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों के खिलाफ अप्रिय टिप्पणी को लेकर चिंता प्रकट की

By भाषा | Updated: November 9, 2021 22:25 IST2021-11-09T22:25:00+5:302021-11-09T22:25:00+5:30

Law Minister expresses concern over obnoxious remarks against judges on social media | कानून मंत्री ने सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों के खिलाफ अप्रिय टिप्पणी को लेकर चिंता प्रकट की

कानून मंत्री ने सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों के खिलाफ अप्रिय टिप्पणी को लेकर चिंता प्रकट की

नयी दिल्ली, नौ नवंबर कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर की जा रही अप्रिय टिप्पणियों को लेकर मंगलवार को चिंता प्रकट की। साथ ही, उन्होंने कहा कि कई लोग न्यायाधीश के जीवन और उनके द्वारा की जाने वाली कड़ी मेहनत को नहीं समझते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि विधायिका और न्यायपालिका क्षेत्राधिकार के लिए नहीं लड़ रही है और वे दोनों इस देश को एक मजबूत लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने की टीम का हिस्सा हैं।

मंत्री ने राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नालसा) द्वारा शारदा यूनिवर्सिटी, नोएडा में आयोजित विधिक सेवाएं दिवस समारोह में कहा, ‘‘हम जानते हैं कि न्यायाधीश क्या काम करते हैं लेकिन कई लोग न्यायाधीश के जीवन को नहीं समझते हैं। सोशल मीडिया और विभिन्न मंचों पर कुछ अप्रिय टिप्पणी की जा रही है, जब आप करीब से देखेंगे कि न्यायाधीशों को कितना अधिक काम करना पड़ता है, तो हमारे जैसे लोगों के लिए उसे समझना मुश्किल होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम सार्वजनिक जीवन से हैं, हम खुले हैं। न्यायाधीश खुले नहीं हो सकते। उनके लिए अपनी परंपरागत ड्यूटी से बाहर आना और कानूनी सलाह देना आसान नहीं है।’’

मंत्री ने कहा कि विधायिका और न्यायपालिका, दोनों ही यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोगों को महज न्यूनतम न्याय के लिए संघर्ष नहीं करना पड़े।

उन्होंने चार करोड़ मामलों के निचली अदालतों में लंबित रहने का जिक्र करते हुए कहा कि निचली न्यायपालिका एक ऐसी जगह है जहां इस समय सबसे अधिक जोर दिये जाने की जरूरत है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने मुख्य भाषण देते हुए कहा कि कानूनी पेशा मुनाफे में बढ़ोतरी का नहीं, बल्कि समाज की सेवा के लिए है।

उन्होंने कहा कि कानून में शिक्षित छात्र समाज के कमजोर और वंचित वर्गों की आवाज बनने के लिए सशक्त हैं।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘कानूनी सहायता आंदोलन में शामिल होने का आपका निर्णय एक महान करियर का मार्ग प्रशस्त करेगा। इससे आपको सहानुभूति, समझ और नि:स्वार्थ होने की भावना पैदा करने में मदद मिलेगी। याद रखें, अन्य व्यवसायों के विपरीत, कानूनी पेशा मुनाफे में वृद्धि का नहीं, बल्कि समाज की सेवा के लिए है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘विधिक सेवाएं प्राधिकारों की प्रगति के प्रति हमारे कानून मंत्री के व्यक्तिगत झुकाव को देख कर खुश हूं।’’

उन्होंने उम्मीद जताई कि बुनियादी ढांचा के मुद्दों सहित विधिक सेवाएं प्राधिकारों की प्रगति में अड़चनों पर कानून मंत्री के नेतृत्व के तहत फौरी हस्तक्षेप के साथ ध्यान दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे गर्व है कि वह न्यायाधीशों की कड़ी मेहनत को समझते हैं।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं ईमानदारी से महसूस करता हूं कि आप सभी को दोगुना विशेषाधिकार प्राप्त है। सबसे पहले, आपको देश के प्रमुख संस्थानों में शिक्षित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जहां सूचना और ज्ञान आपकी उंगलियों पर उपलब्ध है। दूसरा, कानून में शिक्षित होने के कारण आप उन लोगों की आवाज बनने के लिए सशक्त हैं जिनके पास कोई नहीं है।’’

कानून मंत्री ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि कई लोगों को न्याय नहीं मिल पाता। यह किसी की गलती नहीं है। परिस्थितियों और स्थिति के चलते आम आदमी को न्याय मिलना आसाना नहीं है। एक व्यक्ति को न्याय पाने के लिए संपत्ति बेचनी पड़ जाती है, लेकिन उसे तारीख नहीं मिलती है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत दुखद है कि आम आदमी न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। आम आदमी और न्याय के बीच की खाई को पाटना होगा। नालसा ने कई कदम उठाये हैं। ’’

मंत्री ने कहा, ‘‘मूल अधिकारों से समझौता नहीं हो सकता। सिर्फ मूल अधिकारों का संरक्षण ही किसी देश को महान नहीं बनाता। बल्कि यह तब महान बनता है जब हर कोई संवैधानिक अधिकारों के साथ संवैधानिक कर्तव्य और दायित्व भी समझता है। ’’

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश व नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति यू यू ललित ने कहा कि मुफ्त कानूनी सहायता पाना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है।

कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ए के गोस्वामी सहित अन्य भी शरीक हुए।

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Web Title: Law Minister expresses concern over obnoxious remarks against judges on social media

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