सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार के नियमन पर कानून विशेषज्ञों की अलग-अलग राय

By भाषा | Published: February 25, 2021 09:33 PM2021-02-25T21:33:45+5:302021-02-25T21:33:45+5:30

Law experts differ on the regulation of central government on social media | सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार के नियमन पर कानून विशेषज्ञों की अलग-अलग राय

सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार के नियमन पर कानून विशेषज्ञों की अलग-अलग राय

नयी दिल्ली, 25 फरवरी सोशल मीडिया मंचों और ओटीटी के लिए सरकार के नये नियमन पर बृहस्पतिवार को कानून विशेषज्ञों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की। एक धड़े ने जहां कहा कि जब तक वे उचित पाबंदियां लगाते हैं तब तक यह वैध है, जबकि कुछ ने इस आधार पर इनका विरोध किया कि यह संविधान के तहत निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है।

केंद्र ने बृहस्पतिवार को फेसबुक और ट्विटर के साथ ही नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी मंचों पर कई नियमन लागू किए। इसके तहत इन कंपनियों को अधिकारियों द्वारा चेतावनी दिए जाने के 36 घंटे के अंदर किसी भी सामग्री को हटाना होगा और एक शिकायत निवारण व्यवस्था बनानी होगी जिसके तहत एक अधिकारी देश के अंदर होना जरूरी है।

नियमन में ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे मंचों के लिए ऐसे संदेश देने वाले मूल व्यक्ति की पहचान आवश्यक है जिसे अधिकारी राष्ट्र विरोधी और देश की सुरक्षा एवं संप्रभुता के खिलाफ मानते हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता अजित सिन्हा ने कहा कि अगर पाबंदियां उचित हैं तो नियम लगाए जा सकते हैं वहीं वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि इससे निजता के अधिकारों और प्रेस की आजादी पर प्रभाव पड़ेगा।

सिन्हा ने कहा कि प्रथमदृष्ट्या विचार यह है कि ये सोशल मीडिया मंच भारतीय कानून से संचालित होंगे और सरकार के पास नियमन की ताकत होगी।

सिन्हा ने कहा, ‘‘सोशल मीडिया के नियम तब तक वैध होंगे जब तक अनुच्छेद 19 (बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) के तहत उचित पाबंदियां होंगी। अगर पाबंदियां उचित हैं तो निश्चित तौर पर नियम लागू किए जा सकते हैं।’’

गुरुस्वामी ने सवाल उठाए कि नौकरशाह कैसे निर्णय कर सकते हैं कि ओटीटी मंचों की विषय वस्तु क्या होगी और अदालत इस तरह की चिंताओं के समाधान के लिए है।

उन्होंने कहा कि विषय वस्तु के लेखक की पहचान उजागर करने के लिए बाध्य करने से मंचों द्वारा मुहैया कराया जाने वाला ‘एंड टू एंड इन्क्रिप्शन’ समाप्त हो जाएगा।

गुरुस्वामी ने कहा, ‘‘नये सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में व्हाट्सएप और सिग्नल जैसे सोशल मीडिया मंचों को नियमित करने की बात है। इससे संविधान के तहत मिले निजता, बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार प्रभावित होंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नौकरशाह कौन होते हैं जो निर्णय करें कि विषय वस्तु क्या होगी? चिंताओं को सुनने के लिए अदालतें हैं। अंतत: डिजिटल मीडिया को नियमित करने वाले नियमों से प्रेस की आजादी प्रभावित होगी।’’

नियमन का स्वागत करते हुए वकील मृणाल भारती ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का काफी महत्व है लेकिन इसमें जवाबदेही भी बनती है।

वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे और वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि दिशानिर्देशों के बारे में पढ़ने के बाद ही वे प्रतिक्रिया देंगे।

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Web Title: Law experts differ on the regulation of central government on social media

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