अब लालू यादव जेल से ही बनाएंगे बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति, नेताओं को मिलने के लिए भेजा मैसेज
By एस पी सिन्हा | Published: June 24, 2019 02:43 PM2019-06-24T14:43:51+5:302019-06-24T14:43:51+5:30
चर्चा है कि रांची जेल में कैद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव जेल से हीं आगे की रणनीति बनाने और नेतओं के जिम्मे काम का बंटवारा कर देने पर गंभीरता पूर्वक विचार कर रहे हैं.
बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इसको लेकर अभी से हलचल शुरू हो गई है. इसी सिलसिले में राजद के तीन बड़े नेता राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से रांची जेल में जाकर मुलाकात कर आगे की रणनीति तय करने वाले हैं. इसमें शिवानंद तिवारी, जगदानन्द सिंह और रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे राजद के दिग्गज नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं.
चर्चा है कि रांची जेल में कैद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव जेल से हीं आगे की रणनीति बनाने और नेतओं के जिम्मे काम का बंटवारा कर देने पर गंभीरता पूर्वक विचार कर रहे हैं.
सूत्रों की अगर मानें तो शायद यही कारण है कि लालू प्रसाद यादव ने इन नेताओं को मिलने का संदेशा भेजा गया है. कहा जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव बनाएंगे और फिर उस पर पूरी पार्टी अमल करेगी. वहीं, इस खबर के बाद बिहार में सियासी पारा चढ़ चुका है.
यही वजह है कि सत्तापक्ष के लोग लालू से उनके दल के नेताओं की मुलाकात पर तंज कस रहे हैं. इस वक्त बिहार में नीतीश कुमार की जदयू और भाजपा की मिली-जुली सरकार है. हालांकि पिछले बिहार विधानसभा का चुनाव जदयू और राजद ने मिलकर लड़ा था और जीत हासिल की थी. जबकि, कुछ समय के बाद नीतीश कुमार ने पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया.
इन दिनों राजद नेताओं की जेल में बंद लालू प्रसाद यादव से मुलाकात करने की खबर को लेकर विपक्षी जमकर तंज कर रहे हैं. कोई कह रहा है कि लालू पहले अपनी पार्टी के उन बाहुबलियों से राय ले लें जो सलाखों के पीछे हैं. इशारा मोहम्मद शहाबुद्दीन और राजबल्लभ की ओर है जो इस वक्त जेल में बंद हैं.
लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम ने बिहार में महागठबंधन की सभी पार्टियों को बैकफुट पर खडा कर दिया है. लेकिन इन सबमें सबसे अधिक फजीहत राजद की हुई है. महागठबंधन की अगुआई करने वाली राजद एक भी सीट नहीं जीत सकी. लोकसभा चुनाव परिणाम ने राजद के इतिहास पर ही दाग लगा दिया कि राजद का एक भी सांसद लोकसभा में नहीं दिखेगा.
अब हालत यह है कि चुनाव परिणाम आने के बाद से राजद के मौजूदा सबसे बड़े नेता बने तेजस्वी यादव लगातार गुम हैं और वापस लौटने का नाम ही नहीं ले रहे और न ही कुछ बोल रहे हैं. पूरी पार्टी में सन्नाटा छाया हुआ है.
सहयोगी दल भी अब इधर-उधर छिटकने लगे हैं. पार्टी की हालत तो यह हो गई है कि डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे बडे नेता राजद को वापस ट्रैक पर लाने के लिए तेजस्वी यादव की तरफ नहीं बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ देख रहे हैं क्योंकि उन जैसे नेताओं को ऐसा लग रहा है कि 2015 में जिस तरह लालू-नीतीश एकजुट हुए थे. उस समय भी मुश्किलों में खड़ी राजद को संजीवनी मिली थी. अगर इस बार भी नीतीश कुमार फिर से साथ आ गए तो हताशा में जा रही राजद फिर से अपने पैरों पर खड़ी होने लगेगी.