नई दिल्ली, 30 जुलाईः देश की आजादी को 71 साल बीत चुके हैं लेकिन समाज में वर्गीय विभाजन साफ-तौर पर झलकता है। इतने सालों में हमने यह मान लिया है कि जो अमीर है वो बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवाएं लेगा वहीं गरीब को सरकारी सुविधाओं पर निर्भर रहना होगा। 'सरकारी' नाम आते ही हमारे मन में एक ऐसी छवि उभरती है जिसमें संसाधनों की कमी हो, लेकिन भारत में कुछ राज्यों ने इस मानसिकता को तोड़ने का बीड़ा उभाया। हम बात कर रहे हैं केरल और दिल्ली की जिन्होंने सरकारी स्कूलों के कायाकल्प के लिए प्रयास किए और आज आलम यह है कि इन राज्यों के कुछ सांसद, विधायक और अधिकारियों ने भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना शुरू कर दिया है।
केरल ने कर दिखाया
दो साल पहले तक केरल के सरकारी स्कूलों में बच्चों की पंजीकरण संख्या तेजी गिर रही थी। इस समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार हरकत में आ गई। प्रत्येक विधानसभा के 49 सरकारी स्कूलों को चुना गया और प्रत्येक को 5 करोड़ रुपये जारी किए गए। इस पैसे का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर, सुविधाओं, हाई-टेक क्लासरूम, इंटरनेट इत्यादि के लिए किया गया। सरकार के इस कदम से स्कूलों का कायाकल्प बदल गया। बच्चों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। 1991 के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि सरकारी स्कूलों में एडमिशन की दर 6.9 प्रतिशत बढ़ी वहीं केरल के प्राइवेट स्कूलों में 8 प्रतिशत की गिरावट आई।
केरल के शिक्षामंत्री सी रवींद्रनाथ ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया हमने सांसदों-विधायकों और अधिकारियों से अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजने का निवेदन किया। अब तो कई लोगों ने इस पर अमल करना शुरू कर दिया है। पिछले महीने सीपीएम विधायक टीवी राजेश और सीपीएम के सांसद एमबी राजेश ने अपने बच्चे का दाखिला सरकारी स्कूल में करवाया। यह सकारात्मक ट्रेंड पार्टी लाइन से उठकर भी हो रहा है। कांग्रेस विधायक टीवी बालाराम ने भी अपने बच्चे का एडमिशन घर के नजदीक सरकारी स्कूल में करवाया है। तीनों नेताओं ने सोशल मीडिया पर इस बात की घोषणा की। एमबी राजेश ने कहा कि ये हमारा कर्तव्य है कि हम लोगों को सरकारी स्कूलों में भेजने के लिए एक संदेश दें।
कांग्रेस एमएलए टीवी बालाराम ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा,
'मैं अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में इसलिए नहीं भेज रहा हूं कि कोई संदेश जाए। बल्कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर आस-पास के कई अंग्रेजी माध्यम के प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर है।'
अब दिल्ली भी अपनाई केरल की राह
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई, इंफ्रास्ट्रक्चर और संसाधन के मामले में पिछले कुछ सालों में सुधार हुआ है। कई स्कूलों में महंगे प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं भी हैं, मसलन- हाई-टेक क्लासरूम, स्विमिंग पूल, इंटरनेट। सभी बड़ा बदलाव इसकी मॉनीटरिंग को लेकर हुआ है। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया लगातार स्कूलों के दौरे करते रहते हैं। इसी का परिणाम है कि आम आदमी पार्टी के दो विधायकों ने अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में करवा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने पड़ोसी और दोस्तों के बच्चों का दाखिला भी पास के सरकारी स्कूल में करने के लिए प्रेरित किया। ये सभी बच्चे पहले महंगे कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ाई करते थे।
विधायक अमानतुल्ला ने कहा, 'जब से उनकी पार्टी सत्ता में आई है, सरकारी स्कूलों की दशा में बहुत सुधार हुआ है। मुझे भरोसा है कि बच्चे यहां अच्छी शिक्षा हासिल करेंगे।' एक अन्य विधायक गुलाब सिंह के बच्चे पिछले एक साल से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं।
#KuchhPositiveKarteHain: केरल और दिल्ली के सांसद-विधायकों की पहल सराहनीय है। इससे आम जन-मानस में एक सकारात्मक संदेश जाएगा। अन्य राज्यों को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए। जिससे कम से कम शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए तो देश अमीरी-गरीबी के खांचे में ना बंटा रहे!
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