कोविड-19: दिल्ली में करीब 60 अस्पतालों में वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड उपलब्ध नहीं
By भाषा | Published: November 19, 2020 02:51 PM2020-11-19T14:51:28+5:302020-11-19T14:51:28+5:30
नयी दिल्ली, 19 नवम्बर राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड (बिस्तर) की कमी बढ़ती जा रही है।
आधिकारिक आकंड़ों के अनुसार दिल्ली में करीब 60 अस्पतालों में वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड नहीं है।
संक्रमण के मामलों में वृद्धि ऐसे समय में हुई है, जब सर्दियां करीब आ रही हैं और शहर में गंभीर रूप से बिगड़ती वायु गुणवत्ता ने श्वसन संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों की परेशानियां और बढ़ा दी है।
दिल्ली सरकार के ऑनलाइन ‘कोरोना डैशबोर्ड’ के अनुसार शहर में बृहस्पतिवार देर रात साढ़े 12 बजे विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों में 1,362 में से 131 कोविड-19 आईसीयू बेड ही उपलब्ध थे।
आंकड़ों के अनुसार ‘राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल’ (आरजीएसएसएच), साकेत, पटपड़गंज तथा शालीमार बाग में ‘मैक्स अस्पताल’, ‘बत्रा अस्पताल’, शालीमार बाग तथा वसंत कुंज में ‘फोर्टिस अस्पताल’, ‘फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट’ और द्वारका में ‘वेंकटेश्वर अस्पताल’ में एक भी बेड उपलब्ध नहीं था।
बृहस्पतिवार देर रात साढ़े 12 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली सरकार के अधीन कोविड-19 को समर्पित आरजीएसएसएच में वेंटिलेटर वाले 200 आईसीयू बेड हैं और इनमें से एक भी खाली नहीं था। वहीं एलएनजेपी अस्पताल के 200 में केवल सात बेड खाली थे।
आंकड़ों के अनुसार ‘एम्स ट्रामा सेंटर’ के 71 में से केवल सात आईसीयू बेड खाली थे। वहीं ‘सफदरजंग’ के भी 65 में से सात बेड ही खाली थे। ‘सर गंगा राम अस्पताल’ में 45 में से आठ, आरएमएल अस्पताल में 28 में से केवल दो आईसीयू बेड खाली थे।
आंकड़ों के अनुसार दिल्ली सरकार के अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों जैसे, ‘बीएसए अस्पताल’ में, 12 में से नौ बेड खाली थे और ‘एसजीएमएच अस्पताल’ में, छह में से चार और ‘डीडीयू अस्पताल’ में एक भी बेड खाली नहीं था।
दिल्ली के कोविड-19 के अलावा अन्य मरीजों को समर्पित आईसीयू बेड में भी धीरे-धीरे कम होती जा रही है।
दिल्ली में 28 अक्टूबर के बाद से कोरोना वायरस के मामलों में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई, जब पांच हजार से अधिक नए मामले सामने आए थे। 11 नवम्बर को यहां आठ हजार से अधिक नए मामले सामने आए थे।
वहीं, दिल्ली में बुधवार को 7,486 नए मामले सामने आने आए थे और 133 और लोगों की इससे मौत हुई।
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