जानिए क्या है कावेरी जल विवाद, जिसके लिए एक बार फिर से आमने-सामने हैं तमिलनाडु और कर्नाटक सरकार

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 21, 2023 06:44 PM2023-08-21T18:44:28+5:302023-08-21T18:45:54+5:30

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक बार फिर कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर जारी लड़ाई आजादी से भी पहले की है। अब एक बार फिर ये मामला शीर्ष अदालत में है। तमिलनाडु की मांग है कि 24 हजार क्यूसेक पानी कर्नाटक द्वारा तुरंत छोड़ा जाए।

Know what is Kaveri water dispute, once again Tamil Nadu and Karnataka government are face to face | जानिए क्या है कावेरी जल विवाद, जिसके लिए एक बार फिर से आमने-सामने हैं तमिलनाडु और कर्नाटक सरकार

कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर जारी लड़ाई आजादी से भी पहले की है

Highlightsकावेरी जल विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाईसुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए एक पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त कीतमिलनाडु सरकार की याचिका पर चीफ जस्टिस ने कही पीठ गठित की बात

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कावेरी जल विवाद को लेकर तमिलनाडु सरकार की याचिका पर  सुनवाई के लिए एक पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की। तमिलनाडु ने याचिका में कहा है कि कर्नाटक सरकार को तमिलनाडु की महत्वपूर्ण मांगों को पूरा करने के लिए 14 अगस्त, 2023 से अपने जलाशयों से 24000 क्यूसेक पानी तुरंत छोड़ने का निर्देश दिया जाए।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने तमिलनाडु का याचिका का उल्लेख किया। रोहतगी ने अदालत से कावेरी जल विवाद मामले में अपनी याचिका सूचीबद्ध करने का आग्रह करते हुए कहा कि डेल्टा जिलों में खड़ी फसलों को तत्काल पानी की जरूरत है। रोहतगी के अनुरोध पर विचार करते हुए पीठ ने एक पीठ गठित करने पर सहमति जताई।

तमिलनाडु सरकार ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि कर्नाटक जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) ने 11 अगस्त, 2023 को रोज छोड़े जाने वाले पानी को 15000 से घटाकर 10000 क्यूसेक (0.864 टीएमसी प्रति दिन) कर दिया था। ये पानी कर्नाटक द्वारा केआरएस और काबिनी जलाशयों से अगले 15 दिनों के लिए छोड़ा जाना था। 

तमिलनाडु सरकार द्वारा कर्नाटक से अपना बकाया पानी प्राप्त करने के लिए किए गए प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक शीर्ष अदालत द्वारा पारित आदेशों के अनुसार पानी छोड़ने के लिए बाध्य है। 

बता दें कि कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक बार फिर कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर जारी लड़ाई आजादी से भी पहले की है। अब एक बार फिर ये मामला शीर्ष अदालत में है। तमिलनाडु की मांग है कि 24 हजार क्यूसेक पानी कर्नाटक द्वारा तुरंत छोड़ा जाए। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कुछ दिन पहले कहा था कि राज्य की नदियों और जलाशयों में खुद के लिए पानी नहीं है। इसलिए तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ना संभव नहीं है। इसके बाद तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। 

बता दें कि कर्नाटक से निकलने वाली कावेरी नदी कुशालनगर, मैसूर, श्रीरंगापटना, त्रिरुचिरापल्ली, तंजावुर और मइलादुथुरई जैसे शहरों से होती हुई 750 किमी की दूरी तय करके बंगाल की खाड़ी में गिरती है। दोनों राज्यों में विवाद को देखते हुए 1990 में कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल (CWDT) का गठन किया गया। फिर भी मामला नहीं सुलझा। दरअसल सारा विवाद कर्नाटक के बनाए बांध पर है क्योंकि इससे कर्नाटक के पास पानी रोकने की ताकत है। ये मामला पहले भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। साल 2018 में शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि कर्नाटक को हर साल 284.75 TMC पानी मिलेगा. जबकि, तमिलनाडु को सालाना 404.25 TMC पानी मिलेगा। इसके अलावा बिलिगुंडलु डैम से भी तमिलनाडु को हर साल 177.25 TMC पानी दिया जाना था। लेकिन अब तमिलनाडु सरकार का आरोप है कि कर्नाटक ऐसा नहीं कर रहा है।

Web Title: Know what is Kaveri water dispute, once again Tamil Nadu and Karnataka government are face to face

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे