राम मंदिर ट्रस्ट पर कैसे बनी अयोध्या के नाराज संतों की सहमति, शाह से मिला आश्वासन! 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 7, 2020 09:51 AM2020-02-07T09:51:04+5:302020-02-07T10:00:07+5:30

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सरकार के इस फैसले के विरोध की रूपरेखा तैयार होने लगी। लेकिन शाम होते-होते संतों की नाराजगी दूर हो गई। अगले दिन होने वाली बैठक भी टाल दी गई।

Know how the consent of the angry saints of Ayodhya on Ram temple trust, assurance from Amit Shah! | राम मंदिर ट्रस्ट पर कैसे बनी अयोध्या के नाराज संतों की सहमति, शाह से मिला आश्वासन! 

राम मंदिर ट्रस्ट पर कैसे बनी अयोध्या के नाराज संतों की सहमति, शाह से मिला आश्वासन! 

Highlightsदोपहर बाद श्रीराम जन्मभूमि न्यास के उत्तराधिकारी कमलनयन दास को मनाने का दौर जारी हुआ।इस दौरान विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व के माध्यम से गृहमंत्री अमित शाह से संपर्क हुआ।

केंद्र सरकार ने अयोध्या में ‘‘विशाल और भव्य’’ राम मंदिर के निर्माण के लिए बुधवार को 15 सदस्यीय एक स्वतंत्र ट्रस्ट का गठन किया। लेकिन गुरुवार सुबह अयोध्या के संतों के असहमति के स्वर फूट पड़े। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े अयोध्या के संतों ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया और कहा कि ट्रस्टियों का चयन किस आधार पर किया गया। श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के समर्थन में तमाम साधु-संत जमा होने लगे। मीडिया में भी बयानबाजी शुरू हो गई। सरकार के इस फैसले के विरोध की रूपरेखा तैयार होने लगी। लेकिन शाम होते-होते संतों की नाराजगी दूर हो गई। अगले दिन होने वाली बैठक भी टाल दी गई।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 6 जनवरी की सुबह का वक्त था। अयोध्या की मणिराम छावनी में संत-महंत जमा होने लगे। मुद्दा था राम मंदिर ट्रस्ट में राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास को शामिल ना किया जाना। तय किया गया कि दोपहर तीन बजे एक बैठक में सामूहिक विरोध की रणनीति तय की जाएगी। इसकी खबर शासन और प्रशासन के लोगों को हुई तो उनके हांथ-पैर फूल गए।

बीजेपी विधायक वेद प्रकाश गुप्त, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय और बीजेपी के महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्र आनन-फानन में मणिराम छावनी पहुंचे। लेकिन उन्हें छावनी के गेट से ही बेरंग वापस लौटा दिया गया। इसके बाद यह प्रतिनिधिमंडल दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास से मिलने पहुंचा और समझा-बुझाकर गुस्सा शांत कराया। लेकिन असली मुद्दा था महंत नृत्य गोपालदास की नाराजगी दूर करना। 

दोपहर बाद श्रीराम जन्मभूमि न्यास के उत्तराधिकारी कमलनयन दास को मनाने का दौर जारी हुआ। इस दौरान विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व के माध्यम से गृहमंत्री अमित शाह से संपर्क हुआ। उनसे वार्ता के बाद आश्वासन मिलने पर कमलनयन दास सहमत हो गए लेकिन किसी समाधान तक पहुंचने से पहले महंत नृत्य गोपालदास की सहमति आवश्यक थी। उस वक्त तक महंत एकांत में जा चुके थे।

शाम करीब साढ़ चार बजे वार्ताकार महंत नृत्य गोपालदास के सामने पहुंचे। उन्हें बताया गया कि किन कारणों से फिलहाल उनका नाम ट्रस्ट में शामिल नहीं किया जा सका है लेकिन भविष्य में उनके मान-सम्मान का पूरा ख्याल रखा जाएगा। उसके बाद न्यास अध्यक्ष के मुंह से निकला ठीक है। और वार्ताकारों ने राहत की सांस ली।

विधायक वेद प्रकाश गुप्त ने बताया कि सभी संत रामजन्मभूमि पर भव्य व दिव्य मंदिर का निर्माण चाहते हैं और अब कोई नाराजगी नहीं है। न्यास अध्यक्ष जल्द ही ट्रस्ट में शामिल होंगे क्योंकि तीन स्थान रिक्त रखे गये हैं। वहीं महंत कमल नयन दास ने भी कहा कि संतों के सम्मान में सब आन्दोलित थे लेकिन अब सब ठीक हो गया है।

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