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महादेवी वर्माः 9 साल की उम्र में हो गई थी शादी, लेकिन आधुनिक काल की कहलाईं मीराबाई 

By रामदीप मिश्रा | Updated: March 26, 2018 11:04 IST

Happy Birthday Mahadevi Verma: महादेवी वर्मा के पिता का नाम गोविन्द प्रसाद वर्मा था। वह पेशे से एक वकील थे। माता का नाम हेमरानी देवी था। उनके माता-पिता दोनों ही शिक्षा से प्रेम करते थे।

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नई दिल्ली, 26 मार्चः हिन्दी भाषा की प्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म होली के दिन 26 मार्च, 1907 को उत्तर प्रदेश के जिला फर्रुखाबाद में हुआ था। महादेवी वर्मा की गिनती हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ सुमित्रानन्दन पन्त, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ की जाती है। आधुनिक हिन्दी कविता में महादेवी वर्मा एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरीं। आज उनकी 111वीं जयन्ती है और वह हर हिन्दीवासी के दिलों पर राज कर रही हैं। 

आधुनिक काल की हैं मीराबाई 

महादेवी वर्मा के पिता का नाम गोविन्द प्रसाद वर्मा था। वह पेशे से एक वकील थे। माता का नाम हेमरानी देवी था। उनके माता-पिता दोनों ही शिक्षा से प्रेम करते थे। महादेवी वर्मा को आधुनिक काल की मीराबाई भी कहा जाता है। वह छायावाद रहस्यवाद के प्रमुख कवियों में से एक हैं। महादेवी में काव्य प्रतिभा सात वर्ष की उम्र में ही मुखर हो उठी थी। विद्यार्थी जीवन में ही उनकी कविताएं देश की प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में स्थान पाने लगीं थीं।

सुनें महादेवी वर्मा को ऑल इंडिया रेडियो की इस दुर्लभ रिकॉर्डिंग में-

यहां से की शिक्षा प्राप्त

उनकी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में हुई। महादेवी वर्मा ने बीए जबलपुर से किया। वह अपने घर में सबसे बड़ी थी उनके दो भाई और एक बहन थी। 1919 में इलाहाबाद में 'क्रॉस्थवेट कॉलेज' से शिक्षा का प्रारंभ करते हुए महादेवी वर्मा ने 1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एमए की उपाधि प्राप्त की। तब तक उनके दो काव्य संकलन 'नीहार' और 'रश्मि' प्रकाशित होकर चर्चा में आ चुके थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय वे प्रधानाचार्य एवं कुलपति भी रहीं। 1932 में उन्होंने महिलाओं की प्रमुख पत्रिका 'चांद' का कार्यभार संभाला। उन्होंने 'साहित्यकार' मासिक का संपादन किया और 'रंगवाणी' नाट्य संस्था की भी स्थापना की।

कम उम्र में हो गई थी शादी

उन दिनों के प्रचलन के अनुसार महादेवी वर्मा का विवाह छोटी उम्र में ही हो गया था, लेकिन उनको सांसारिकता से कोई लगाव नहीं था। वह बौद्ध धर्म से बहुत प्रभावित थीं और स्वयं भी एक बौद्ध भिक्षुणी बनना चाहती थीं। विवाह के बाद भी उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी। महादेवी वर्मा की शादी 1914 में डॉ. स्वरूप नरेन वर्मा के साथ इंदौर में 9 साल की उम्र में हुई, वो अपने मां पिताजी के साथ रहती थीं क्योंकि उनके पति लखनऊ में पढ़ रहे थे।

ये मिले पुरस्कार

महादेवी वर्मा को भारत सरकार ने 1956 में उनकी साहित्यिक सेवा के लिए 'पद्म भूषण' की उपाधि और 1969 में 'विक्रम विश्वविद्यालय' ने उन्हें डी.लिट की उपाधि से सम्मानित  किया। इससे पूर्व महादेवी वर्मा को 'नीरजा' के लिए 1934 में 'सेकसरिया पुरस्कार', 1942 में 'स्मृति की रेखाओं' के लिए 'द्विवेदी पदक' प्राप्त हुए। 1943 में उन्हें 'मंगला प्रसाद पुरस्कार' एवं उत्तर प्रदेश सरकार के 'भारत भारती पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। 'यामा' नामक काव्य संकलन के लिए उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' प्राप्त हुआ।

ये हैं उनकी प्रमुख कृतियां

महादेवी वर्मा प्रमुख कृतियों में नीहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1934), सांध्‍यगीत (1935), दीपशिखा (1942), यामा (1940), दीपगीत (1983), नीलांबरा (1983) शामिल थे। महादेवी वर्मा का निधन 11 सितम्बर, 1987, को प्रयाग में हुआ था। उन्होंने गरीब व्यक्तियों की सेवा करने का व्रत ले रखा था। वे अक्सर ग्रामीण अंचलों में जाकर कमजोर तबके के लोगों की मदद किया करती थीं। साथ ही साथ बीमार लोगों को निशुल्क दवा भी दिया करती थीं।

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