किसान आंदोलन : टिकैत के आंसुओं का असर बरकरार, गाजीपुर पर बढ़ रहे हैं किसानों के तंबू

By भाषा | Updated: January 31, 2021 21:07 IST2021-01-31T21:07:06+5:302021-01-31T21:07:06+5:30

Kisan agitation: Tikait tears continue to impact, farmers' tents are growing on Ghazipur | किसान आंदोलन : टिकैत के आंसुओं का असर बरकरार, गाजीपुर पर बढ़ रहे हैं किसानों के तंबू

किसान आंदोलन : टिकैत के आंसुओं का असर बरकरार, गाजीपुर पर बढ़ रहे हैं किसानों के तंबू

नयी दिल्ली, 31 जनवरी भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के आंसुओं का असर बरकरार है और तमाम पुराने और नए अवरोधकों के बावजूद दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के तंबू लगातार बढ़ रहे हैं।

केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर के अंत से जारी किसान आंदोलन की गति गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद थम ही गई थी और ऐसा लगने लगा था कि यह शांतिपूर्ण आंदोलन अपने अंत की ओर बढ़ चला है।

लेकिन आंदोलन का यह हश्र देखकर किसान नेता टिकैत पत्रकारों से बातचीत के दौरान अपने आंसू नहीं रोक सके और रो पड़े, यहां तक कि उन्होंने आंदोलन के लिए अपनी जान तक देने की बात कही दी। उनके आंसू देखने के बाद आंदोलन फिर अपनी राह पर लौट रहा है और तेजी से किसानों की संख्या और उनके तंबू बढ़ रहे हैं।

प्रदर्शन में शामिल होने आए लोग रविवार को अपने नेता के साथ तस्वीरें खिंचवाने के लिए घंटों इंतजार करते रहे। वहीं भाकियू नेता टिकैत अपने समर्थकों और मीडिया से मिलने में व्यस्त रहे।

भाकियू के एक सदस्य ने कहा कि पिछले तीन दिनों से टिकैत दिन में मुश्किल से तीन घंटे की नींद ले पा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें उच्च रक्तचाप की समस्या हुई थी, लेकिन अब वह ठीक हैं।’’

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल गाजीपुर सीमा पर पहुंचे और किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया। उन्होंने टिकैत से करीब 10 मिनट के लिए भेंट की। गौरतलब है कि कृषि कानूनों को लेकर शिअद ने केन्द्र की राजग सरकार का साथ छोड़ा और बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।

हाथों में तिरंगा लिए और नारे लगाते हुए किसानों ने मार्च निकाला। वहीं युवाओं का एक समूह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर सुबह से शाम ढलने तक देशभक्ति के गानों पर नाचता रहा।

लेकिन तीन दिन पहले इसी गाजीपुर बॉर्डर पर नजारा कुछ और ही था। ट्रैक्टर परेड में हिंसा और लाल किले पर हंगामे के बाद किसान आंदोलन समाप्त होता दिख रहा था। कुछ किसान अपने घरों को लौट गए थे। सबका मनोबल टूट रहा था। यहां तक कि 26 जनवरी की हिंसा के बाद बुधवार की रात गाजियाबाद जिला प्रशासन ने किसानों को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे को खाली करने का ‘अल्टीमेटम’ दे दिया था।

हिंसा और अप्रिय घटनाओं की आशंका के मद्देनजर बॉर्डर के दोनों सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। इस सबके बीच पत्रकारों से बातचीत में टिकैत रो पड़े।

उन्होंने कहा, ‘‘आंदोलन वापस नहीं लिया जाएगा। किसानों के साथ अन्याय हो रहा है।’’ यहां तक कि किसान नेता ने आंदोलन के लिए अपनी जान देने की बात भी कही।

गुड़गांव से आयी भाकियू सदस्य सरिता राणा का कहना है कि वह दो किलोमीटर पैदल चलकर प्रदर्शन स्थल पर पहुंची हैं। राणा ने कहा कि टिकैत को रोता देखने के बाद वह और उनके पति पूरी रात सो नहीं सके। राणा ने कहा, ‘‘हमने उन्हें कभी रोते हुए नहीं देखा। इसने हमारा दिल पिघला दिया।’’

किसान अपने-अपने घरों से अपने नेता के लिए पानी से भरे कनस्तर लेकर आ रहे हैं। भाकियू सदस्यों के आकलन के अनुसार, रविवार को यूपी गेट पर 10,000 से ज्यादा प्रदर्शनकारी एकत्र हैं।

टिकैत ने कहा कि वह प्रदर्शनकारियों की भावनाओं को समझते हैं और पानी से भरे कनस्तरों को गंगा में प्रवाहित किया जाएगा।

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Web Title: Kisan agitation: Tikait tears continue to impact, farmers' tents are growing on Ghazipur

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