खतौली विधानसभा उपचुनावः रालोद-सपा गठबंधन ने मदन भैया को मैदान में उतारा, जानें मैनपुरी लोकसभा से कौन लड़ रहा चुनाव, क्या है समीकरण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 13, 2022 09:39 PM2022-11-13T21:39:17+5:302022-11-13T21:40:35+5:30
Khatauli assembly by-election: भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी को वर्ष 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में दो साल के कैद की सजा सुनाए जाने के चलते उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द होने के कारण रिक्त हुई है।
लखनऊः समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के गठबंधन ने रविवार को उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए रविवार को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। रालोद ने अपने आधिकारिक हैंडल से किए गए ट्वीट में बताया कि मदन भैया को खतौली विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए रालोद-सपा गठबंधन का उम्मीदवार घोषित किया गया है।
खतौली विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए मतदान आगामी पांच दिसंबर को होगा। यह सीट भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी को वर्ष 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में दो साल के कैद की सजा सुनाए जाने के चलते उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द होने के कारण रिक्त हुई है।
मैनपुरी से डिंपल यादव सोमवार को दाखिल कर सकती हैं पर्चा
मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार डिंपल यादव सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकती हैं। मैनपुरी के सपा के जिलाध्यक्ष आलोक शाक्य ने बताया, डिंपल यादव सोमवार दोपहर को पर्चा दाखिल करेंगी। इस सीट पर उप चुनाव पांच दिसंबर को होगा और परिणाम की घोषणा आठ दिसंबर को की जाएगी।
इस उप चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अंतिम तिथि 17 नवंबर है। मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1996 से सपा के उम्मीदवार चुने जाते रहे हैं। दस अक्टूबर को मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यह सीट खाली हुई। डिंपल यादव 2019 में कन्नौज से भाजपा उम्मीदवार सुब्रत पाठक के खिलाफ चुनाव लड़ी थीं और हार गई थीं।
इस बीच, मैनपुरी से पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव ने सैफई में संवाददाताओं को बताया कि नामांकन प्रक्रिया आसान होगी। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हम बहुत कठिन समय में चुनाव में उतर रहे हैं। नेताजी (मुलायम) को गुजरे हुए एक महीने बीत चुके हैं और चुनावों की घोषणा हो गई है। हम इस उप चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
मैनपुरी के लोगों ने हमेशा से ही समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने के प्रति अपना समर्पण दिखाया है और मुझे उम्मीद है कि हम यह चुनाव भारी अंतर के साथ जीतेंगे।” पांच विधानसभाओं में से सपा द्वारा हारी गई दो सीटों- मैनपुरी और भोगांव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “एक सीट पर जीत का अंतर 3600 था, जबकि दूसरी सीट पर यह 5000 था, लेकिन यदि आप सभी सीटों को गिनें तो संख्या सपा के साथ है।” रूठे हुए लोगों को पार्टी कैसे मनाएगी, इस बारे में पूछने पर तेज प्रताप यादव ने कहा, “लोगों का मुलायम सिंह यादव जी के साथ भावनात्मक जुड़ाव रहा है।
इन चुनावों में लोग बीती बातें भूलकर सपा के लिए मतदान करेंगे। जिन्होंने पहले सपा को वोट नहीं दिया था वे भी नेताजी के नाम पर सपा को वोट देंगे।” उल्लेखऩीय है कि भाजपा ने अभी तक अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है, जबकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कांग्रेस, बसपा और शिवपाल की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी यह चुनाव लड़ेगी या नहीं।
वर्ष 2019 में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने निकटम प्रतिद्वंदी भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य से 94,000 मतों के अंतर से मैनपुरी सीट से चुनाव जीता था। डिंपल यादव की उम्मीदवारी को उनके ससुर मुलायम सिंह यादव की विरासत को आगे बढ़ाने के तौर पर देखा जा रहा है। साथ ही उम्मीदवार के तौर पर डिंपल का चयन पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का प्रयास है।
अखिलेश की करहल विधानसभा सीट, मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसी तरह जसवंत नगर सीट से शिवपाल यादव प्रतिनिधित्व करते हैं। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने और विधान परिषद में जाने के लिए कन्नौज लोकसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद 2012 में डिंपल यादव इस सीट से निर्विरोध चुन ली गई थीं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में कुल 12.13 लाख मतदाताओं में करीब 35 प्रतिशत यादव हैं, जबकि अन्य मतदाताओं में शाक्य, ठाकुर, ब्राह्मण, अनुसूचित जाति और मुस्लिम शामिल हैं। मैनपुरी विधानसभा क्षेत्र में पांच विधानसभाएं आती हैं जिनमें मैनपुरी, भोगांव, किशनी, करहल और जसवंत नगर शामिल है। 2022 के विधानसभा चुनावों में जहां सपा ने तीन सीटें- करहल, किशनी और जसवंत नगर जीती थीं, वहीं भाजपा ने दो सीटों- मैनपुरी और भोगांव पर जीत हासिल की थी।