कोच्चि, 24 अगस्तः प्रकृति का एक अद्भुत असंगत रूप इन दिनों देखने को मिल रहा है। एक तरफ केरल में औसत से 11 फीसदी ज्यादा बारिश ने तबाही मचा दी है। दूसरी तरफ केरल से बाहर निकलते ही, कोस्टल आंध्र प्रदेश बल्कि दक्षिण भारत का आधा हिस्सा कम बारिश से बेहाल है। तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना के करीब 95 जिलों में कम बारिश से लोगों की हालत खराब है। इनमें 47 जिले तो ऐसे हैं जहां औसत से 20 फीसदी तक कम बारिश हुई है। और इनमें करीब पांच जिले ऐसे हैं, जिनमें अकाल जैसी स्थिति है। इनमें औसत से 60 फीसदी तक कम पानी बरसा है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक आंध्र प्रदेश का रायलसीमा जिला सबसे ज्यादा तप रहा है। इस जिले में इस मॉनसून करीब औसत से करीब 42 फीसदी तक कम बारिश हुई है। जानकारी के मुताबिक यह एक ऐसा दक्षिण भारत का जिला है, जिसमें पश्चिमी राजस्थान से भी कम बारिश हुई। जबकि उत्तरी कर्नाटक भी सबसे ज्यादा चिंता का विषय बना हुआ है, जहां करीब 21 फीसदी तक कम बारिश हुई है और यहां किसानों की संख्या काफी ज्यादा है।
यहां तक कि केरल से सटे राज्य तमिलनाडु के 32 में करीब 22 जिले कम बारिश से जूझ रहे हैं। महज आठ फीसदी ऐसे जिले हैं जिनमें औसत बारिश हुई है। यह नहीं कि कम बारिश से जूझ रहे जिले केवल तमिलनाडु के किसी एक खास हिस्से के हों। राज्य के मध्य से लेकर उत्तर-दक्षिण सभी ओर के जिले इससे प्रभावित हैं। इनमें से कुछ जिले तो केरल की सीमा से लगे हुए हैं, जिनमें मुसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त है।
कर्नाटक को देखें तो यहां भी बारिश को लेकर वही विरोधाभास दिखाई देता है। राज्य के करीब तीन फीसदी जिलों में सामान्य बारिश हुई है। जबकि 30 में से करीब आधे यानी 15 जिले कम बारिश के चलते भारी समस्या से जूझ रहे हैं। जबकि कोडागू बाढ़ से जूझ रहा है।
इंडिया मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (आईएमडी) के मॉनसून विशेषज्ञ डी शिवनंदा कहते हैं, इस साल रायलसीमा और तमिलनाडु बड़ी मुश्किल से बारिश हो पाई। इस साल बंगाल की खाड़ी से उठने वाले मॉनसून में उतना दबाव नहीं था। इस साल इसका दक्षिण भारत के हिस्से पर कोई प्रभावशाली असर नहीं दिखा। जैसी कि उम्मीद की जा रही थी।
जबकि तेलंगाना के कुछ हिस्सों में बाद में अच्छी बारिश हुई, शुरुआती कम बारिश की मार सहने के बाद। हालांकि इसके बाद भी 31 जिलों में छह जिलों की हालत कम बारिश के चलते खराब ही रही। लेकिन इसी के पड़ोसी आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में औसत से ज्यादा बारिश हुई। वहीं केरल की ओर बढ़ें तो केरल के 11 से 14 जिलों में औसत से 40 फीसदी तक ज्यादा बारिश हुई। इसमें करोड़ों का नुकसान हो चुका है।
हालांकि औसत से ज्यादा मॉनसून की बात करें तो पाएंगे कि ऐसा केवल दक्षिण भारत में ही हुआ है। मध्य भारत में गुजरात को छोड़कर ज्यादातर राज्यों में बारिश सामान्य रही है। गुजरात में औसत से 0.3 फीसदी तक कम बारिश हुई है। उत्तर-पूर्वी राज्यों में औसत से 6.7 फीसदी तक बारिश की कमी रही। जबकि उत्तरी भारत तें बारिश जमकर हुई, कुछ जगहों पर बाढ़ के हालात भी बने। पर बाद में इनपर काबू पा लिया गया।
हालांकि पूरे देश में हुई बारिश का एक औसत आकलन करें तो आईएमडी के मुताबिक इस साल औसत बारिश से सात फीसदी तक कम बारिश हुई। लेकिन विरोधाभास देखिए केरल में अब तक सबसे बड़ी बाढ़ आ गई है।