केरलः राज्यपाल खान को झटका, हाईकोर्ट ने कहा-8 कुलपति पद पर बने रहे, केवल तय प्रक्रिया का पालन करके ही हटाया जा सकता
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 24, 2022 08:31 PM2022-10-24T20:31:28+5:302022-10-24T20:33:18+5:30
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने आठ कुलपतियों की ओर से दायर आपात याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की ओर से कुलपतियों को दिया गया निर्देश उचित नहीं था।
कोच्चिः केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को आठ विश्वविद्यालयों के कुलपति से कहा कि वह अपने-अपने पद पर रहकर काम जारी रखें और उन्हें केवल तय प्रक्रिया का पालन करके ही हटाया जा सकता है।
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने आठ कुलपतियों की ओर से दायर आपात याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की ओर से कुलपतियों को दिया गया निर्देश उचित नहीं था। गौरतलब है कि राज्यपाल ने इन आठ कुलपतियों को सोमवार तक इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी।
All 9 VCs can continue for now: Kerala High Court on varsity row
— ANI Digital (@ani_digital) October 24, 2022
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अदालत ने विशेष सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘ वे अपने पद पर बने रहने के पात्र हैं। अदालत ने पाया कि कुलाधिपति ने कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस जारी करके तीन नवंबर तक यह बताने के लिए कहा था कि क्यों ना उन्हें पद से हटा दिया जाये।
इस आधार पर अदालत ने कहा कि कुलपतियों को इस्तीफा देने का निर्देश देने का कोई महत्व नहीं है। अदालत ने कहा कि कुलपतियों के खिलाफ केवल तय प्रक्रिया का पालन करके कार्रवाई की जा सकती है। कुलपतियों ने अदालत से कहा कि 24 घंटों के अंदर इस्तीफा देने का राज्यपाल का निर्देश पूरी तरह अवैध था।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सोमवार को उन नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को नोटिस जारी किया, जिन्होंने उनके निर्देश के अनुसार आज पूर्वाह्न 11 बजकर 30 मिनट से पहले अपना त्याग पत्र भेजने से इनकार कर दिया था। इस बात का खुलासा खुद राज्यपाल ने किया, जो राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं।
खान ने कहा, “उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। अब औपचारिक नोटिस जारी किए गए हैं।” उन्होंने कहा कि नोटिस यूजीसी विनियमन के प्रावधानों के विपरीत गठित ‘सर्च कमेटी’ की सिफारिश पर कुलपति के रूप में किसी भी नियुक्ति को “अमान्य” घोषित करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप जारी किए गए हैं।
कारण बताओ नोटिस के ब्योरे के बारे में पूछे जाने पर खान ने कहा, “अब, उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में मैं आपकी नियुक्ति को” शुरू से ही “अमान्य” क्यों नहीं घोषित कर दूं।” उन्होंने कहा कि कुलपतियों को जवाब देने के लिए तीन नवंबर तक का समय दिया गया है।
खान ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के आरोपों को भी खारिज कर दिया कि कुलपतियों को प्राकृतिक न्याय से वंचित किया गया है। राज्यपाल ने अपने खिलाफ मुख्यमंत्री के आरोपों का जवाब देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैंने केवल एक सम्मानजनक रास्ता सुझाया। मैंने उन्हें बर्खास्त नहीं किया है।”