मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ को राहत नहीं, केरल हाईकोर्ट ने लाइसेंस रद्द करने को सही ठहराया, सुरक्षा कारणों का दिया हवाला

By विशाल कुमार | Published: March 2, 2022 01:34 PM2022-03-02T13:34:23+5:302022-03-02T13:36:58+5:30

मुख्य न्यायाधीश एस. मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी. चाली की खंडपीठ ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए चैनल पर लगे प्रतिबंध को हटाने से इनकार कर दिया।

kerala-high-court-upholds-media-one-tv-ban security reasons | मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ को राहत नहीं, केरल हाईकोर्ट ने लाइसेंस रद्द करने को सही ठहराया, सुरक्षा कारणों का दिया हवाला

मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ को राहत नहीं, केरल हाईकोर्ट ने लाइसेंस रद्द करने को सही ठहराया, सुरक्षा कारणों का दिया हवाला

Highlightsकेंद्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को एकल न्यायाधीश ने आठ फरवरी को खारिज कर दिया था। चैनल ने दावा किया था कि उसे निष्पक्ष समाचार दिखाने के लिए ‘‘निशाना बनाया’’ जा रहा है।केंद्र ने तर्क दिया था कि सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार करने का कारण बताने की आवश्यक नहीं है।

कोच्चि:केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करके उसका प्रसारण रोकने संबंधी केंद्र के फैसले को बरकरार रखने के एकल न्यायाधीश के आदेश को सही ठहराया।

मुख्य न्यायाधीश एस. मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी. चाली की खंडपीठ ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए चैनल पर लगे प्रतिबंध को हटाने से इनकार कर दिया।

चैनल के अलावा संपादक समेत उसके कर्मियों और ‘केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स’ (केयूडब्ल्यूजे) ने भी याचिकाएं दायर की थीं। केंद्र के फैसले के खिलाफ इन याचिकाओं को एकल न्यायाधीश ने आठ फरवरी को खारिज कर दिया था।

‘मीडिया वन’ का संचालन करने वाली माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड कंपनी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उसे निष्पक्ष एवं ईमानदारी से समाचार दिखाने के लिए ‘‘निशाना बनाया’’ जा रहा है। 

उसने दलील दी थी कि केंद्र ने प्रतिबंध को उचित ठहराने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे संबंधी जिस कारण का हवाला दिया है, वह एक ‘‘चाल’’ है और ‘‘निराधार’’ है। 

उसने यह भी कहा कि ‘अपलिंकिंग’ और ‘डाउनलिंकिंग’ दिशानिर्देशों के अनुसार, लाइसेंस के नवीनीकरण के समय सुरक्षा मंजूरी जरूरी नहीं होती औेर यह केवल नई अनुमति के लिए आवेदन करते समय आवश्यक होती है। 

चैनल के संपादक, अन्य कर्मियों और केयूडब्ल्यूजे की पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील जाजू बाबू ने अदालत में दलील दी थी कि चैनल की बात पहले सुने बिना उस पर प्रतिबंध लगा दिए गए, जबकि यह प्रासंगिक नियमों के तहत अनिवार्य है। 

बाबू ने पीठ के समक्ष तर्क दिया था कि केंद्र के 31 जनवरी के फैसले ने प्रेस की स्वतंत्रता, भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संविधान के तहत प्रदान आजीविका के अधिकार का उल्लंघन किया गया है। 

दूसरी ओर, केंद्र ने तर्क दिया था कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है, तो सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार करने का कारण बताने की आवश्यक नहीं है। उसने पीठ से कहा था कि एक बार मिली सुरक्षा मंजूरी हमेशा के लिए जारी नहीं रह सकती। 

एकल न्यायाधीश ने ‘मीडिया वन’ के प्रसारण पर रोक लगाने के केन्द्र के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा था कि गृह मंत्रालय का चैनल ‘मीडिया वन’ को सुरक्षा मंजूरी नहीं देना सही है। 

यह पहला मौका नहीं है, जब चैनल को अपने संचालन पर इस तरह की रोक का सामना करना पड़ा हो। ‘मीडिया वन’ और एक अन्य मलयालम समाचार चैनल ‘एशियानेट’ को 2020 में दिल्ली में कथित साम्प्रदायिक हिंसा की उनकी ‘कवरेज’ को लेकर 48 घंटे के लिए निलंबित कर दिया गया था।

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