केरल: विश्वविद्यालयों के कामकाज पर जारी विवाद पर भाकपा नेता ने साधा राज्यपाल पर निशाना
By भाषा | Updated: December 13, 2021 16:55 IST2021-12-13T16:55:18+5:302021-12-13T16:55:18+5:30

केरल: विश्वविद्यालयों के कामकाज पर जारी विवाद पर भाकपा नेता ने साधा राज्यपाल पर निशाना
तिरुवनंतपुरम, 13 दिसंबर केरल में विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और सरकार के बीच जारी विवाद के दरम्यान सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के एक प्रमुख नेता ने सोमवार को कहा कि राज्य विधानसभा से पारित एक कानून के जरिये राज्यपाल को विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाया गया था और विधानसभा को उन्हें इस पद से हटाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
भाकपा के राज्य सचिव कनम राजेंद्रन ने कहा कि राज्य विधानसभा से पारित एक कानून के जरिये राज्यपाल को केरल के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाया गया था और विधायिका के पास हमेशा इस कानून को रद्द करने की स्वतंत्रता रही है। लिहाजा सरकार को ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रविवार को कहा था कि उनकी सरकार राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का पद अपने पास रखने की मंशा नहीं रखती और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान इस पद पर बने रहेंगे।
राज्यपाल ने कहा है कि उन्हें मीडिया के जरिये मुख्यमंत्री से कुछ कहने की जरूरत नहीं है। उन्हें पद छोड़ने के अपने निर्णय को वापस लेने का कोई कारण नहीं दिखता।
राजेंद्रन ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल के पद की जरूरत पर भी सवाल उठाए। खान पर निशाना साधते हुए भाकपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी को लगता है कि राज्यपाल का पद ''गैर-जरूरी दिखावा'' है।
राजेंद्रन ने खान पर राज्यपाल और सरकार के बीच संवाद में रखी जाने वाली गोपनीयता का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया।
वरिष्ठ वामपंथी नेता ने संवाददाताओं से कहा, ''राज्यपाल ने उस सिद्धांत का उल्लंघन किया है।''
राज्यपाल ने आठ दिसंबर को मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने कहा था कि वह इस बात से नाराज हैं कि राज्य की माकपा नीत सरकार विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में उनके अधिकार को कम करके विश्वविद्यालयों के मामलों का संचालन कर रही है।
राज्यपाल हाल ही में कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में प्रोफेसर गोपीनाथ रवींद्रन का कार्यकाल चार साल बढ़ाने और राज्य विधानसभा द्वारा विश्वविद्यालय अधिनियम में एक संशोधन पारित किये जाने से नाराज हैं। सूत्रों के अनुसार इस संशोधन से विश्वविद्यालय अपीली न्यायाधिकरण को नियुक्त करने की कुलाधिपति की शक्ति को छीन लिया है।
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