Jammu and Kashmir: वर्ष 2005 के भूकंप की याद दिलाने वाले भूकंप के झटके के बाद कश्मीरियों को चेतावनियां याद आईं

By सुरेश एस डुग्गर | Published: March 23, 2023 05:26 PM2023-03-23T17:26:24+5:302023-03-23T17:29:05+5:30

वर्ष 2007 में, अमेरिका के बोल्डर में कोलोराडो विश्वविद्यालय के सहयोग से कश्मीर विश्वविद्यालय द्वारा किए गए भूभौतिकीय अनुसंधान ने चेतावनी दी थी कि 9.0 तीव्रता का संभावित भूकंप संभावित रूप से कश्मीर घाटी को प्रभावित कर सकता है।

Kashmiris remember warnings after tremors reminiscent of 2005 quake | Jammu and Kashmir: वर्ष 2005 के भूकंप की याद दिलाने वाले भूकंप के झटके के बाद कश्मीरियों को चेतावनियां याद आईं

Jammu and Kashmir: वर्ष 2005 के भूकंप की याद दिलाने वाले भूकंप के झटके के बाद कश्मीरियों को चेतावनियां याद आईं

Highlightsएक चेतावनी में कहा गया था कि कश्मीर में 9 रिक्टर स्केल की तीव्रता का भूकंप कभी भी आ सकता है2007 में अमेरिका के बोल्डर में कोलोराडो विश्वविद्यालय के सहयोग से कश्मीर विश्वविद्यालय ने दी चेतावनी

जम्मू: दो दिन पहले प्रदेश में आए 6.6 रिक्टर स्केल के भूकंप ने हालांकि प्रदेश में कोई नुक्सान नहीं किया पर इसने 2005 में आए भूकंप की भयानक यादें ताजा कर दी हैं। साथ ही उन चेतावनियों की ओर एक बार फिर ध्यान आकर्षित करना आरंभ किया है जिसमें कहा जाता रहा है कि कश्मीर में 9 रिक्टर स्केल की तीव्रता का भूकंप कभी भी आ सकता है।

दरअसल कश्मीर भी, एक ऐसा क्षेत्र है जो भूकंपीय क्षेत्र जोन 5 के अंतर्गत आता है। दरअसल वर्ष 2007 में, अमेरिका के बोल्डर में कोलोराडो विश्वविद्यालय के सहयोग से कश्मीर विश्वविद्यालय द्वारा किए गए भूभौतिकीय अनुसंधान ने चेतावनी दी थी कि 9.0 तीव्रता का संभावित भूकंप संभावित रूप से कश्मीर घाटी को प्रभावित कर सकता है और दो दिन पहले भारत के उत्तरी हिस्सों को हिला देने वाले भूकंप ने घाटी के लोगों को वर्ष 2005 में आए भूकंप की याद दिला दी जिसमें कई लोग मारे गए थे।

वर्ष 2007 के अध्ययन के अनुसार, ऐसी संभावना है कि 8.5 तीव्रता से ऊपर के रिक्टर पैमाने पर भूकंप कश्मीर घाटी में आ सकता है और अब जबकि 6.6 तीव्रता के भूकंप ने सबको डरा दिया है, ऐसे में कश्मीर क्षेत्र में हाल के भूकंप ने एक बार फिर क्षेत्र में भूकंप आपदा तैयारियों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। यह सच है कि कश्मीर एक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है और कश्मीर में विनाशकारी भूकंपों का इतिहास रहा है, और फिर भी सच्चाई यह है कि कश्मीर ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए तैयार नहीं है।

कश्मीर में आया भूकंप, भूकंप की तैयारी की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ साथ नागरिकों के लिए एक वेक-अप काल था इससे कोई इंकार नहीं करता है। यह समझना आवश्यक है कि भूकंप अप्रत्याशित होते हैं, और उनके प्रभाव को कम करने का सबसे अच्छा तरीका तैयार रहना ही है।

एक मौसम चैनल चलाने वाले कश्मीर के स्वतंत्र मौसम पर्यवेक्षक फैजल आरिफ के बकौल, कश्मीर घाटी क्षेत्र एक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है, और लोगों ने अतीत में विनाशकारी भूकंपों का अनुभव किया है। उसका कहना था कि उनके अपने क्षेत्र में इसी तरह की त्रासदी होने की आशंका ने कई लोगों को किसी भी भूकंपीय गतिविधि के प्रति अधिक संवेदनशील और प्रतिक्रियाशील बना दिया है। वे कहते थे कि इसके अतिरिक्त, मीडिया में तुर्की भूकंप के निरंतर कवरेज ने विश्व स्तर पर लोगों में आशंका और चिंता की भावना पैदा की है, जिसने कश्मीर क्षेत्र में घबराहट और भय को बढ़ाया है।

इसे याद रखा जा सकता है कि कश्मीर एक बहुत ही उच्च जोखिम वाले क्षेत्र जोन 5 में स्थित है और लगातार भूकंपों से जूझता रहता है। जानकारी के लिए नेशनल सेंटर फार सीस्मोलाजी के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 में, कश्मीर ने भूकंप के लगभग 100 झटके झेले हैं और इनमें से कुछेक का केंद्र श्रीनगर के पास था। इस्लामिक यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी के वाइस-चांसलर शकील रोमशू ने तुर्की आपदा को भारतीय हिमालय में भूकंपों की भेद्यता को दूर करने के लिए एक वेक-अप काल करार दिया है और चेताया है कि इन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत है।

Web Title: Kashmiris remember warnings after tremors reminiscent of 2005 quake

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