कश्मीर में नौकरी कर रहे कश्मीरी पंडितों ने उठाया बड़ा सवाल, पूछा क्या Kashmir में सच में उनके लिए कोई जगह है सुरक्षित?
By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 2, 2022 01:37 PM2022-06-02T13:37:06+5:302022-06-02T13:42:07+5:30
आपको बता दें कि कई सुरक्षाधिकारी खुद मानते है कि आतंकी ‘जहां चाहें वहां वार करने की क्षमता’ रखते हैं और वे चाह कर भी उनके हमलों को रोक नहीं पा सकते हैं।
जम्मू: कश्मीरी विस्थपित टीचर रजनी बाला की कुलगाम में आतंकियों द्वारा की गई हत्या के उपरांत मचे बवाल के बाद प्रशासन ने प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नियुक्त किए गए सभी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को कश्मीर में ‘सुरक्षित’ इलाकों में ट्रांसफर करने की बात तो कही है। लेकिन इस बढ़ती हिंसा के बीच कश्मीर में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ है कि क्या कश्मीर में सच में कोई स्थान उनके लिए सुरक्षित बचा हुआ है?
कश्मीरी पंडित नहीं मान रहे है खुद को सुरक्षित कहीं
आपको बता दें कि यह सवाल कश्मीरी पंडितों द्वारा ही किया जा रहा है। ये वो लोग हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री पैकेज की पहली शर्त के तहत कश्मीर में ही सरकारी नौकरी करना स्वीकार किया था, पर अब जबकि आतंकी कश्मीर को अप्रवासियों से मुक्त करवाने की मुहिम पुनः छेड़े हुए हैं, वे अपने आपको कहीं भी सुरक्षित नहीं पा रहे हैं।
दिवंगत टीचर रजनी बाला के साथ ही कार्यरत एक अन्य विस्थापित टीचर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आतंकी धमकी के चलते उन्हें नहीं लगता वे किसी सुरक्षित स्थान पर भी उनसे बच कर रह पाएंगें।
उसकी आशंका पहले भी कई बार सच साबित हो चुकी है जब आतंकियों ने कश्मीर के भीतर ही अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षित समझी जाने वाली कई बस्तियों पर हमले कर कई सुरक्षाकर्मियों को मार दिया था।
कश्मीर, कश्मीरी पंडितों के लिए हो चुका है असुरक्षित- मृत रजनी बाला के पति
आतंकियों के हाथों मारी जाने वाली रजनी बाला के पति राजकुमार के बकौल, कश्मीर कश्मीरी पंडितों के लिए असुरक्षित हो चला है। उनका कहना था कि उन्होंने कई दिन पहले अपनी पत्नी का तबादला करने का आग्रह कई बार अधिकारियों से किया था क्योंकि आतंकी धमकी के चलते उनकी पत्नी मानसिक तनाव में भी थी। लेकिन इसको लेकर अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगीं थी।
रजनी बाला की हत्या के बाद 250 कश्मीरी पंडित गए थे जम्मू
आपको बता दें कि रजनी बाला की हत्या के 12 घंटों के भीतर ही करीब 250 कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी जम्मू वापस लौट आए थे। उनके द्वारा समस्या का हल करने की खातिर 24 घंटों का नोटिस दिया गया था। हालांकि सरकार अब उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ट्रांसफर कर देने की बात कर रही है।
ऐसे में कई सुरक्षाधिकारी खुद मानते थे कि आतंकी ‘जहां चाहें वहां वार करने की क्षमता’ रखते हैं और चाह कर भी उनके हमलों को रोक पाना संभव नहीं हो पा रहा है, खासकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर और अप्रवासी नागरिकों पर वे वार करने से पीछे नहीं हटते हैं।