अचानक नहीं हुई थी कासगंज हिंसा, थी पहले से तैयारी, पुलिस ने भी किया पक्षपात: रिपोर्ट

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 6, 2018 10:11 AM2018-02-06T10:11:30+5:302018-02-06T10:17:59+5:30

उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी को दो समुदायों में हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी और एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया था।

Kasganj Violence: NGO Fact Finding Report Said Violence was pre planned and Police were partisan against minorities | अचानक नहीं हुई थी कासगंज हिंसा, थी पहले से तैयारी, पुलिस ने भी किया पक्षपात: रिपोर्ट

अचानक नहीं हुई थी कासगंज हिंसा, थी पहले से तैयारी, पुलिस ने भी किया पक्षपात: रिपोर्ट

गैर-सरकारी संगठनों की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने सोमवार (पाँच फ़रवरी) को पेश की गई अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उत्तर प्रदेश के कासगंज में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) को हुई हिंसा पूर्व-नियोजित थी ताकि "धार्मिक ध्रुवीकरण और हिंसक मुठभेड़ करवाई जा सके।" इन संगठनों ने "यूनाइटेड अगेंस्ट हेट" के बैनर के तहत दो फरवरी को कासगंज का दौरा किया था। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस की कासगंज में हुई हिंसा में "अल्पसंख्यकों के निशाना" बनाया।

फैक्ट-फाइंडिंग टीम के सदस्य और पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने मीडिया ने कहा कि टीम ने दोनों समुदायों के स्थानीय लोगों से  बातचीत की और इस नतीजे पर पहुँची की कासगंज में हुई हिंसा अचानक नहीं हुई थी। दारापुरी के अनुसार कासगंज की हिंसा के लिए पहले से ही योजना बना ली गयी थी। कासगंज में 26 जनवरी को हुई हिंसा में चंदन गुप्ता नामक युवक की गोली लगने से मौत हो गयी थी। एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने हिंसा के दौरान पक्षपातपूर्ण किया। संकल्प फाउंडेशन नामक संगठन और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यो ने मुसलमानों की दुकानों और संपत्तियों को निशाना बनाकर हिंसा की। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने मुसलमानों के घरों, दुकानों और मस्जिदों को कोई सुरक्षा नहीं प्रदान की। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हिंसा के बाद भी पुलिस इन जगहों पर सबूत लेने के लिए नहीं गयी। 

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पुलिस ने कासगंज हिंसा की प्राथमिक रिपोर्ट (एफआईआर) में इलाके की दो मस्जिदों पर हुए हमले की बात नहीं शामिल की। रिपोर्ट में इसे पुलिस का जानबूझकर किया गया पक्षपात बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों की दुकानों में उपद्रवियों ने तोड़फोड़ उनकी एफआईआर लिखने में पुलिस ने हीलाहवाली की।
 

Web Title: Kasganj Violence: NGO Fact Finding Report Said Violence was pre planned and Police were partisan against minorities

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