कर्नाटक हिजाब विवाद: हाईकोर्ट ने हिजाब पर पाबंदी को बरकरार रखा, कहा- इस्लाम धर्म का आवश्यक धार्मिक हिस्सा नहीं
By विशाल कुमार | Published: March 15, 2022 10:47 AM2022-03-15T10:47:24+5:302022-03-15T10:54:20+5:30
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं द्वारा कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति और 5 फरवरी के सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली सभी रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया।
बेंगलुरु: कर्नाटक हिजाब विवाद मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के स्कूलों में ड्रेस कोड लागू करने के 5 फरवरी के राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखा है और कहा कि हिजाब पहनना इस्लामिक आस्था का आवश्यक धार्मिक हिस्सा नहीं है।
इसके साथ ही कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं द्वारा कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति और 5 फरवरी के सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली सभी रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि 5 फरवरी के सरकारी आदेश को अमान्य करने का कोई मामला नहीं बनता है। अदालत ने ड्रेस को उचित प्रतिबंध माना है।
बता दें कि, इससे पहले आज फैसले को देखते हुए बेंगलुरु सहित कर्नाटक के कुछ हिस्सों में आईपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।
बेंगलुरु में पुलिस आयुक्त कमल पंत ने 15 से 21 मार्च तक सार्वजनिक स्थानों पर सभी सभाओं, विरोध प्रदर्शनों और समारोहों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट के अधिकारियों ने सोमवार शाम को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी।
उडुपी के एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छात्राओं के एक समूह की कक्षाओं में उन्हें हिजाब पहनने देने की मांग से तब एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था जब कुछ हिंदू विद्यार्थी भगवा शॉल पहनकर पहुंच गये। यह मुद्दा राज्य के अन्य हिस्सों में फैल गया जबकि सरकार ड्रेस कोड लागू करने संबंधी नियम पर अड़ी रही।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित एवं जस्टिस जेएम काजी की पूर्ण पीठ उडुपी की लड़कियों की याचिका पर गठित की गयी थी। इन लड़कियों ने अनुरोध किया था कि उन्हें कक्षाओं में स्कूली ड्रेस के साथ-साथ हिजाब पहनने की अनुमति दी जाए क्योंकि यह उनकी धार्मिक आस्था का हिस्सा है।
एक जनवरी को उडुपी के एक महाविद्यालय की छह लड़कियों ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लिया था। इसका आयोजन कॉलेज प्रशासन द्वारा इन लड़कियों को हिजाब में कक्षाओं में जाने से रोके जाने के विरूद्ध किया गया था।
10 फरवरी को एक अंतरिम आदेश में, पीठ ने कहा था कि इन सभी याचिकाओं पर विचार लंबित होने तक हम सभी छात्रों को उनके धर्म या विश्वास की परवाह किए बिना भगवा शॉल, (भगवा) स्कार्फ, हिजाब, धार्मिक झंडे या इस तरह के अन्य अगले आदेश तक कक्षा के भीतर पहनने से रोकते हैं। कोर्ट ने आगे कहा था कि यह आदेश ऐसे संस्थानों तक ही सीमित है जहां कॉलेज विकास समितियों ने छात्र ड्रेस कोड/वर्दी निर्धारित की है।
सुनवाई के दौरान कर्नाटक के महाधिवक्ता ने कहा था कि सरकार का आदेश अहानिकर था और धार्मिक पोशाक पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश नहीं दिया गया, लेकिन इसे संस्थानों पर छोड़ दिया। हालांकि, एजी ने स्वीकार किया कि आदेश के कुछ हिस्से अनावश्यक हो सकते हैं। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि हिजाब पहनना एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है।
हालांकि, हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाने की उम्मीद है। 11 फरवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ताओं से कहा था कि वे विवाद को बड़े स्तर तक न फैलाएं।
बता दें कि, राज्य के स्कूलों में दसवीं कक्षा की परीक्षा 28 मार्च से शुरू होने वाली है और प्री-यूनिवर्सिटी परीक्षाएं (कक्षा 11वीं और 12वीं के लिए) अप्रैल में हैं।